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मनोस्वास्थ्य : हर तीसरा व्यक्ति न्यूरोलॉजिकल डिजिज का शिकार

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      डॉ. श्रेया पाण्डेय 

इन दिनों न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम तेज़ी से बढ़ रहे हैं। यह अब दुनिया भर में खराब स्वास्थ्य और डिसएबिलिटी का प्रमुख कारण है। न्यूरोलॉजिकल स्थिति के कारण होने वाली विकलांगता, बीमारी और समय से पहले मृत्यु की कुल मात्रा में 1990 के बाद से 18% की वृद्धि हुई है। 

    यह निष्कर्ष वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की स्टडी में सामने आया है। डब्लूएचओ के अनुसार, क्वालिटी केयर तक पहुंच हासिल होने पर ही लोगों को ब्रेन हेल्थ के जोखिम को कम किया जा सकता है।

 *क्या कहती है स्टडी?*

     द लैंसेट न्यूरोलॉजी ने हाल में न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम पर हुए अध्ययन का निष्कर्ष प्रकाशित किया है। इससे पता चलता है कि 2021 में दुनिया भर में 300 करोड़ से अधिक लोग न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के साथ जी रहे थे। 

     यह आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक बीमारी, चोट और जोखिम कारक का अध्ययन करने के लिए निकाला। डब्लूएचओ के अनुसार, न्यूरोलॉजिकल स्थितियां अब दुनिया भर में खराब स्वास्थ्य और डिसएबिलिटी का प्रमुख कारण है।

     न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के कारण होने वाली डिसएबिलिटी, बीमारी और समय से पहले मृत्यु की कुल मात्रा में 1990 के बाद से 18% की वृद्धि हुई है।

*निम्न आय वाले देशों में अधिक समस्या :*

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की स्टडी के अनुसार, 80% से अधिक न्यूरोलॉजिकल मौतें और खराब स्वास्थ्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।

      दरअसल , उपचार तक पहुंच व्यापक रूप से अलग-अलग होती है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में उपचार तक पहुंच नहीं हो पाती है। अधिक आय वाले देशों में निम्न और मध्यम आय वाले देशों की तुलना में प्रति 100,000 लोगों पर 70 गुना अधिक न्यूरोलॉजिकल प्रोफेशनल उपलब्ध हैं। .

*मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से समझना जरूरी :*

    न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम के साथ रहने वाले लोगों को क्वालिटी केयर, उपचार और रिहैबिलिएशन के जरूरत को पूरा किया जा सके। 

    यह सुनिश्चित करना पहले से कहीं अधिक जरूरी है कि बचपन से लेकर बाद के जीवन तक मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से समझा जाए, महत्व दिया जाए और उन्हें संरक्षित किया जाए।”

*महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक प्रॉब्लम :*

     लोगों को होने वाले 10 न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम, जैसे कि स्ट्रोक,निओनेटल एन्सेफैलोपैथी या मस्तिष्क की चोट, माइग्रेन, डिमेंशिया, डायबिटिक न्यूरोपैथी, मेनिनजाइटिस, एपिलेप्सी, जन्मजात न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर और सेंट्रल नर्वस सिस्टम प्रॉब्लम 2021 में मुख्य थे।

      कुल मिलाकर न्यूरोलॉजिकल स्थितियां महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक डिसएबिलिटी और स्वास्थ्य हानि का कारण बनती हैं। माइग्रेन या डिमेंशिया जैसी कुछ स्थितियां हैं, जिनसे महिलाएं असमान रूप से प्रभावित होती हैं.

*सबसे अधिक प्रभावित करता है डायबिटिक न्यूरोपैथी :*

डायबिटिक न्यूरोपैथी सबसे तेजी से बढ़ने वाली न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। 1990 के बाद से वैश्विक स्तर पर डायबिटिक न्यूरोपैथी से पीड़ित लोगों की संख्या तीन गुना से अधिक हो गई है, जो 2021 में बढ़कर 20.6 करोड़ हो गई है।

      यह वृद्धि दुनिया भर मेंडायबिटीज में वृद्धि के अनुरूप है। कोविड -19 के बाद से न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम अधिक होते हैं। इसके कारण कोविड -19 के बाद से कॉग्निटिव लॉस और गुइलेन-बैरे सिंड्रोम होने लगा।

     इनके 23 मिलियन से अधिक मामले हैं। 1990 के बाद से अन्य स्थितियों के कारण न्यूरोलॉजिकल बोझ और स्वास्थ्य हानि में 25% या उससे अधिक की कमी आई है। टेटनस, रेबीज, मेनिनजाइटिस, न्यूरल ट्यूब दोष, स्ट्रोक, न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस, एन्सेफलाइटिस और एन्सेफैलोपैथी भी होता है।

*जोखिम कारकों को रोकना  जरूरी :*

डब्लूएचओ के अनुसार, पर्यावरणीय कारक और खराब जीवन शैली इन समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं। हाई सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर, आसपास का परिवेश और घरेलू वायु प्रदूषण भी स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

      इसी तरह लेड के संपर्क को रोकने से मेंटल डिसेबिलिटी को कम किया जा सकता है। प्लाज्मा ग्लूकोज लेवल को कम करने से डिमेंशिया का बोझ 14.6% तक कम हो सकता है। स्मोकिंग नहीं करने पर स्ट्रोक, डिमेंशिया और मल्टीपल स्केलेरोसिस के जोखिम को कम किया जा सकता है।

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