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ब्रेकिंग समाचार -अस्पतालों में नहीं कटेगी बत्ती, ठप नहीं होगा इलाज,असम में बहु विवाह पर लगेगा प्रतिबंध,चुनावी दौर में जहरीली शराब का धंधा…

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दिल्लीवालो को गर्मी से जल्द राहत मिलने वाली है। वीकेंड पर धूल भरी आंधी और बारिश की संभावना है। कांग्रेस नेता इमरान मसूद का भड़काऊ बयान, कहा- ‘मुस्लिमों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी भारत में,देश से कोई निकाल नहीं सकता,सुभासपा चीफ ओपी राजभर की मां का निधन,उधर दिल्ली शराब घोटाला मामले में बीआरएस नेता के. कविता को कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने के. कविता को 15 अप्रैल तक के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है। के. कविता अगले 3 दिनों तक सीबीआई की रिमांड में रहेंगी

दिल्ली: दिल्ली कैबिनेट से अपने इस्तीफे पर दिल्ली के पूर्व मंत्री राज कुमार आनंद ने कहा, “मैंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मैं चाहता तो दिल्ली विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे सकता था… अगर लोग कहते हैं कि उन्हें मेरे जैसा नेता नहीं चाहिए तो मैं वहां से भी इस्तीफा दे दूंगा… मैं बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर का अनुसरण करता हूं… केवल एक चीज जो मायने रखती है वह यह है कि क्या मैं ‘पेबैक टू सोसाइटी’ के उनके मंत्र का पालन कर सकता हूं या नहीं।”

सीएम हिमंत बिस्व सरमा बोले- चुनाव बाद असम में बहु विवाह पर लगेगा प्रतिबंध, UCC भी करेंगे लागू

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा…कद्दावर नेता…बेबाक बोल…राष्ट्रवाद पर बेहद मुखर…बयानों में स्पष्टवादिता…जिसे लेकर अक्सर ही चर्चा में रहते हैं। हिमंत दो टूक कहते हैं, चुनाव के बाद असम में न सिर्फ बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध लगाएंगे, बल्कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भी लागू करेंगे। वे साफ कहते हैं कि मदरसा शिक्षा से मुसलमानों का भला नहीं होगा। मुस्लिम बेटे-बेटियों को डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, वैज्ञानिक बनाने की राह दिखानी होगी। उनकी तरक्की के सारे रास्ते बंद हो जाएं, ऐसी शिक्षा नहीं चाहिए। ध्रुवीकरण पर कहा, सामने वाला ऐसा करता है, तो हमें भी करना पड़ता है। मुस्लिमों से वोट नहीं मांगने के सवाल पर बोले- किससे वोट मांगना है…किससे नहीं…यह मेरा अधिकार है। मैं जब जानता हूं कि एक विशेष वर्ग वोट नहीं देगा, तो वहां जाकर वक्त बर्बाद क्यों करना। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने असम की राजधानी दिसपुर में अपने आवास पर डॉ. इन्दुशेखर पंचोली से बातचीत के दौरान हर मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी…

असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव के बाद बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भी लेकर आएंगे। थोड़ा उत्तराखंड का असर देख रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी लेनी है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है 2026 में वो हो जाना चाहिए। 

पीएम मोदी के 400 पार में पूर्वोत्तर राज्य कितना योगदान दे पाएंगे?
पूर्वोत्तर में 25 सीटे हैं। मेरा मानना है कि 22 सीटें एनडीए के पास आएंगी। इसमें से 15-16 भाजपा को मिलेंगी, बाकी गठबंधन को मिलेंगी।

आप लंबे समय तक कांग्रेस में रहे, अब भाजपा में हैं? दोनों में किस तरह का अंतर देखते हैं?
देखिए, जब हम छात्र राजनीति से मुख्य धारा की राजनीति में आए, तो उस समय कांग्रेस ही ऐसी पार्टी थी, जिसका असम में पूरा कब्जा था। कई राज्यों में सरकारें थीं। हम 2001 से 2014 तक असम सरकार में मंत्री रहे। 2014 में मोदीजी सत्ता में आए, तो कई लोगों को लगा कि जो हम लोग कर रहे हैं, वह रूटीन है। उससे देश में बदलाव नहीं आएगा। अगर देश में तरक्की चाहिए, नया काम चाहिए, तो बदलाव लाने वाला व्यक्ति चाहिए। जिसमें निर्णय लेने की क्षमता हो, जिस व्यक्ति के पास नई दिशा हो, उसके साथ मिलकर काम करना होगा। पूर्वोत्तर भारत पर पीएम मोदी का काफी ध्यान रहा है। हम भाजपा में आए, सरकार बनाई। राज्य में दो-दो बार सरकार बनाई, लोकसभा के दो चुनावों में हमारा अच्छा परिणाम रहा।

अगर असम को देखें तो राज्य तरक्की के रास्ते पर निकल पड़ा है। 2014 के बाद यात्रा बहुत ही सफल रही है। तमाम अलगाववादी संगठनों ने हथियार डाले, चारों ओर विकास की गंगा बहने लगी। इससे हम बहुत ही संतुष्ट हैं। असम में हम वह करने में कामयाब रहे, जो जीवन में कभी सोचा भी नहीं था…इतनी शांति हो सकेगी, युवावस्था में भी नहीं सोचा था।

आप विकास को अपना हथियार मानते हैं, जबकि विपक्ष का आरोप है कि ध्रुवीकरण को हथियार बनाया है?
मेरे लिए असम में ध्रुवीकरण जरूरी है। इसलिए नहीं कि सत्ता में रहें, बल्कि हमारे असम में मूल निवासी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में बने रहें। हमारा अस्तित्व खतरे में न पड़े। इसके लिए, कभी-कभी हम लोगों को इस तरह के मामले उठाने पड़ते हैं। यह हमारी मजबूरी है। जब एक राज्य में 36 प्रतिशत लोग पलायन करके आते हैं और धीरे-धीरे आप अपने देश में ही अल्पसंख्यक बन जाते हैं। सामने वाला भी ध्रुवीकरण करता है, तो हमें भी ध्रुवीकरण करना पड़ता है।

आपने चुनाव के बाद यूसीसी लागू करने की घोषणा की है?
वो तो तैयार है, हम चुनाव के बाद बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध लगाएंगे। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भी लेकर आएंगे। थोड़ा उत्तराखंड का असर देख रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी लेनी है। मुझे लगता है 2026 में वो हो जाना चाहिए।

आप मदरसों को बंद करना चाह रहे हैं?
सरकारी मदरसे तो बंद कर दिए। यह भी तलाश रहे हैं कि कानून के रास्ते से कैसे प्राइवेट मदरसे भी बंद किए जा सकते हैं। मैं नहीं मानता हूं कि मुसलमान का भला मदरसा शिक्षा से होगा। मुसलमान बेटों और बेटियों को आप सार्वजनिक शिक्षा से जोड़ें। उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, वैज्ञानिक बनने की राह दिखाइए। अगर किसी को धार्मिक शिक्षा लेनी है, तो वह घर में ले सकता है, अपने समुदाय में ले सकता है। मुसलमान बच्चों की शिक्षा-दीक्षा बचपन से ही एक अलग रास्ते पर चली जाए और उनके सारे रास्ते बंद हो जाएं, ऐसी शिक्षा नहीं चाहिए।

हमने काम किया…मुस्लिम बेटियों और माताओं के वोट स्वत: मिलेंगे

पहले आपने कहा था कि आपको मुसलमानों का वोट नहीं चाहिए?
मैं तो हमेशा कहता हूं कि जो वर्ग आपको वोट नहीं देता है, आपको वहां जाकर समय नष्ट नहीं करना चाहिए। धीरे-धीरे विकास कीजिए। तब एक समय आएगा, वे लोग खुद वोट देंगे। मैं किसी से जबरदस्ती तो नहीं कर सकता। मैं जब जानता हूं कि एक विशेष वर्ग वोट नहीं देगा, तो वहां जाने से मेरा एक दिन का कीमती वक्त बर्बाद ही होगा। ऐसे बहुत से हिंदू इलाके भी हैं, जो मुझे वोट नहीं देंगे, मैं वहां भी नहीं जाता हूं। बेवजह हल्ला होगा, दोनों ग्रुप में मारपीट की नौबत आ जाएगी। जो हमें वोट देते हैं, उनका सम्मान करना है, जो हमें वोट नहीं देते, उनका भी सम्मान करना है।

अब आप कह रहे हैं कि मुसलमान बेटियां-महिलाएं आपको वोट दें?
2021 में मैंने बोला कि अभी वे लोग हमें वोट नहीं देंगे। लेकिन, तीन साल में हमने काफी काम किया है, मुसलमान बेटियों और माताओं के बीच। उम्मीद है कि मैं मांगू या नहीं मांगू, 10 प्रतिशत वोट हमें मिलेंगे।

राहुल आरोप लगाते हैं तो बताते क्यों नहीं…मैंने कौन सा भ्रष्टाचार किया भ्रष्टाचार पर विपक्ष आपको निशाने पर लेता रहता है। राहुल गांधी से लेकर केजरीवाल तक आरोप लगाते हैं कि आप भाजपा में इसीलिए शामिल हुए, क्योंकि आप पर आरोप हैं?
मैं कोशिश करता हूं जानने की, कि मेरे ऊपर क्या आरोप हैं, कोई बता ही नहीं रहा। सिर्फ बोलते रहते हैं कि आरोप है। कोई बताए तो सही, कि मेरे ऊपर क्या आरोप हैं? असम के लोग जानते हैं कि तरुण गोगोई के साथ मेरा विवाद हुआ, राहुल गांधी के साथ मेरा विवाद हुआ। पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से मैं कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में आया। राहुल गांधी बोलते हैं कि मैंने भ्रष्टाचार किया, इसलिए भाजपा-में आया। मैं राहुल जी से पूछना चाहता हूं कि आपकी पार्टी में रहते हुए मैंने कौन सा करप्शन किया? कोई आरोप तो बताता नहीं।

राहुल गांधी आप के निशाने पर हमेशा रहते हैं?
ऐसा नहीं है। मैं राहुल के निशाने पर रहता हूं। जब से मैं कांग्रेस में हूं तब से। तो मुझे थोड़ा रक्षात्मक रवैया अपनाना पड़ता है।

न पीएम सोते हैं, न हमें सोने देते हैं…

दो लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पूर्वोत्तर में बेहतर प्रदर्शन किया। दोबारा विधानसभा चुनाव भी जीते। आगे पूर्वोत्तर में क्या भविष्य देखते हैं?
अब भी पूर्वोत्तर में हम कमजोर हैं। मिजोरम, नगालैंड, मेघालय में हम बहुत कमजोर हैं, लेकिन सरकार में हैं। वहां हम काफी अच्छा कर सकते हैं। असम में 35% जनता मुस्लिम है। बिना तुष्टीकरण किए, न्यायसंगत तरीके से हमें इनके बीच जाना होगा। हमें मुसलमानों के बीच से ही एक राष्ट्रवादी मूवमेंट खड़ा करना होगा। जैसे-मदरसा नहीं, सामान्य शिक्षा, बहुविवाह नहीं, एक विवाह प्रथा हो, 16 साल से नीचे विवाह न करके शिक्षा दी जाए।

आपके काम के तरीके की लोगों के बीच खूब चर्चा है। क्या इसकी प्रेरणा पीएम मोदी से मिली है?
मोदीजी ने भाजपा के सभी सीएम के मन में प्रतिस्पर्धा की भावना ला दी है। छह-छह महीने में हमारी परीक्षा भी ली जाती है, सभी को एकसाथ बैठाकर। न वह सोते हैं, न हमें सोने देते हैं। जब हर छह महीने में टेस्ट होगा, तो तैयारी करनी ही होगी।

आप कांग्रेस में काफी समय तक रहे, आज भाजपा में हैं। दोनों में मूल अंतर क्या है?
एक परिवारवादी पार्टी है, दूसरी लोकतांत्रिक पार्टी है। जो हमारी देश पहले की नीति है, वैसी कांग्रेस की नीति नहीं रही। आप कांग्रेस के घोषणापत्र को देखें, वह भारत के चुनाव के लिए बनाया है, या पाकिस्तान के लिए बनाया है, कोई फर्क ही नहीं नजर आएगा। अपराधी के लिए बनाया है या नागरिकों के लिए बनाया है, फर्क ही नहीं है। इसलिए कांग्रेस और भाजपा के बीच कोई तुलना ही नहीं है।

क्या कांग्रेस के घोषणापत्र से असम में कोई लाभ होगा?
मैंने ठीक से कांग्रेस का घोषणापत्र पढ़ा भी नहीं है। असम में कांग्रेस की ज्यादा चर्चा भी नहीं है। जो मैंने पढ़ा, उससे लगा कि यह पाकिस्तान में ज्यादा चलेगा।

बयानबाजी को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत की है?
ये तो मूल अधिकार है, घोषणापत्र पढ़कर जो लगा, वही बोलना पड़ेगा। अगर कोई किताब पढ़कर उसकी समीक्षा मांगे, तो हमें ईमानदारी से देनी होगी।

“असम में एक वर्ग है, जो सीएए का विरोध करता है। हम उनकी भी विचारधारा का सम्मान करते हैं, लेकिन आप आंदोलन न कीजिए। कोर्ट से जो भी हल है, ले आइए। हमें कोई आपत्ति नहीं है। हम लोगों को समझाने में कामयाब हुए। कुछ लोग अब भी विरोध में हैं, लेकिन उन्होंने आंदोलन नहीं, कोर्ट का रास्ता चुना।”

असम पहले राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर विवाद में रहा, फिर सीएए को लेकर। इस बार सीएए का वैसा विरोध नहीं दिखता। कैसे हुआ यह?
सीएए आंदोलन की पृष्ठभूमि में ही, मैं सीएम बना। पिछले तीन साल में मैंने काफी संवाद किया। जिस दिन मैं मुख्यमंत्री बना, तो दिमाग में यही था कि जब नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू होगा, तो बवाल होगा, उसे रोकना है। जिन लोगों ने पहले विरोध किया, उन्हें हमने राजी किया कि सीएए में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो हमें खतरे में डालेगा। कहा, देखो संसद में कानून पास हुआ है, अगर कानून को निरस्त भी कराना है, तो कोर्ट ही निरस्त कर सकता है। आप कोर्ट जाइए, हम सीएए के पक्ष में अपनी बात रखेंगे, आप विरोध में रखिए। कोर्ट निर्णय करेगा, लेकिन असम को दोबारा संघर्ष के रास्ते पर ले जाने का कष्ट न करें। लोग समझ गए। कोई कोर्ट चला गया, तो कोई सीएए के पक्ष में आ गया।

मेघालय सीएए से अलग है, लेकिन एक वर्ग है, जो फिर भी इसका विरोध कर रहा है। उनसे कोई बातचीत हो रही है?
मेघालय के साथ बाकी राज्यों में जो थोड़ी बहुत असंतुष्टि है, इसे लेकर राज्य सरकारें बात कर रही हैं। केंद्र सरकार का भी उनके साथ बातचीत का रास्ता है। इसीलिए पूरे नार्थ-ईस्ट में कोई आंदोलन नहीं हुआ। हां, कुछ विरोध है।

विपक्ष का आरोप है, परिसीमन का लाभ भाजपा को मिल रहा है? गौरव गोगोई को अपनी सीट छोड़नी पड़ी।
देखिए…मैं व्यक्ति के ऊपर कोई चर्चा नहीं करता। परिसीमन चुनाव आयोग ने किया है। कांग्रेस ने कोई दूसरा प्रस्ताव आयोग को नहीं दिया। कुछ छोटे-मोटे सुधार बताए थे, वह आयोग ने काफी हद तक मान भी लिए। इसलिए परिसीमन को लेकर कोई असंतोष जैसा नहीं दिखा। किसी को अपनी सीट बदलनी है, या नहीं बदलनी है, उनकी पार्टी का निर्णय होता है।

चुनावी दौर में जहरीली शराब का धंधा…, अवैध शराब बनाने वालों और उनके सहयोगियों पर नकेल कसना समय की मांग

Elections 2024 Spurious Liquor Issue death of people amid model code of conduct

लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इस समय पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू है। लेकिन पिछले 20 मार्च को पंजाब के संगरूर जिले में जहरीली शराब से पांच की मृत्यु हो गई और कुछ लोग भर्ती किए गए। मरने वालों की संख्या बढ़कर 21 तक पहुंच गई। इस घटना का तत्काल ही चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया और पंजाब सरकार के मुख्य सचिव व डीजीपी को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा। इस बार लोकसभा चुनावों में आचार संहिता लागू होने के बाद जहरीली शराब पीने से मौत की यह पहली घटना है।इस बार लोकसभा चुनाव में आचार संहिता लागू होने के बाद पंजाब के संगरूर में जहरीली शराब से 21 लोगों की मौत ऐसी पहली घटना है। 

वर्ष 2019 में ओडिशा में लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। उस दौरान भी 30 अप्रैल, 2019 में भद्रक जिले में जहरीली शराब पीने से पांच लोग मरे व 28 बीमार हुए थे। उस दिन राज्य में चौथे व अंतिम चरण का मतदान था। स्थानीय लोगों के मुताबिक, राजनीतिक पार्टियों द्वारा बांटे गए पैसे से लोगों ने शराब खरीदी थी और राजनीतिक दलों द्वारा भी शराब बांटी गई थी। सितंबर, 2022 में हरिद्वार के पथरी थाना क्षेत्र में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत हुई थी। उत्तर प्रदेश में भी पंचायत चुनावों के दौरान जहरीली शराब कांड हुए थे। अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने से मई, 2021 में अस्सी लोग मर गए थे।

लोकसभा, विधानसभा या पंचायतों के चुनावों में भी मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दल और उम्मीदवार कच्ची-पक्की, सस्ती-महंगी शराब बांटते रहते हैं। इसलिए चुनाव आयोग नकदी के साथ शराब या नशीले पदार्थों पर भी निगरानी रखता है। अभी देश भर में शराब पकड़ी जा रही है। राज्यों में इसके लिए विशेष छापामार दस्ते तैनात किए गए हैं। उत्तराखंड में तो ड्रोनों की मदद से शराब बनाने वालों पर नजर रखी जा रही है।

संगरूर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का गृह जिला भी है। वह जब प्रभावित परिवारों से मिलने गए, तो गांव वालों ने बताया कि क्षेत्र में अवैध शराब का धंधा खुलेआम चल रहा है। इस कांड की जांच के लिए विशेष उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन हो चुका है। दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

संगरूर कांड में नकली शराब में मिथेनॉल पाया गया। शराब बनाने के लिए ये रसायन मिथाइल अल्कोहल नोएडा से तथा बोतलें व ढक्कन बनाने का सामान लुधियाना से खरीदा गया था। बताया जा रहा है कि शराब बनाने की जानकारी यूट्यूब से जुटाई गई थी और कुछ जरूरी सामान ऑनलाइन भी खरीदा गया था। पंजाब पुलिस और आबकारी विभाग को छापों में जगह-जगह हजारों लीटर शराब, सैकड़ों खाली व भरी अवैध शराब की बोतलें, पेटियां एवं भट्ठियां मिल रही हैं। किंतु मौके पर शराब बनाते अपराधी कम ही पकड़े जा रहे हैं।

हालांकि सांविधानिक प्रतिबद्धता देश में मद्यपान को कम करने की है, किंतु राज्य ज्यादा से ज्यादा शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने में लगे हैं। उनका तर्क होता है कि इससे अवैध व नकली शराब के जोखिम कम होंगे। अनुमानतः औसतन राज्यों को करीब ढाई लाख करोड़ का राजस्व शराब की बिक्री से मिलता है। इसलिए कोरोना महामारी के दौरान बंद शराब की दुकानों को खुलवाने के लिए राज्य बेताब थे। शराब बनाने, वितरण, प्रबंधन आदि राज्यों का
विषय है। 19 जुलाई, 2022 को गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने एक लिखित जवाब में संसद को बताया कि वर्ष 2016 से 2020 के बीच जहरीली शराब पीने से देश में 6,000 मौतें हुईं थीं।

देखने में आता है कि विभिन्न जहरीली शराब कांडों में जो अपराधी पकड़े जाते हैं, वे पहले भी ऐसे ही कारोबारों में कई बार सजा व जमानत पाए हुए होते हैं। बाहर निकलते ही वे फिर से पुराने धंधे में लग जाते हैं। संगरूर घटना के ज्यादातर आरोपी पहले ही हिस्ट्रीशीटर थे। संगरूर हादसा होली से ठीक पहले हुआ था, जब शराब की मांग बढ़ जाती है। शराब की मांग बढ़ जाने पर शराब तस्करों के साथ-साथ अन्य अपराधी भी नकली शराब के धंधे में सक्रिय हो जाते हैं।

जब भी ऐसी कोई घटना होती है, तो दोषियों को मौत की सजा देने की भी मांग उठने लगती है, फिर धीरे-धीरे सब कुछ ठंडा पड़ जाता है। ऐसी घटनाओं पर खूब जमकर राजनीति होती है और भारी मुआवजे की मांग होती है। कई बार ऐसी घटनाओं में पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत की भी बात सामने आई है। जब तक अवैध शराब बनाने वालों और उन्हें सहयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होगी, ऐसे दर्दनाक हादसे होते रहेंगे।

अस्पतालों में नहीं कटेगी बत्ती, ठप नहीं होगा इलाज, अस्पतालों को सौर ऊर्जा से लैस करने का काम शुरू

Central Govt Scheme for Solar Energy based Hospitals to mitigate power cut problem

बिजली कटौती की वजह से सरकारी कामकाज या फिर अस्पतालों में भर्ती मरीजों के इलाज में आने वाली बाधा जल्द दूर होगी। सरकार ने इन सभी इमारतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का फैसला किया है, जिसकी शुरुआत सबसे पहले केंद्र सरकार ने अपने मंत्रालय और उनके अधीन सरकारी इमारतों से की है। इसमें दिल्ली एम्स, सफदरजंग अस्पताल, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल भी शामिल हैं। सभी मंत्रालय के लिए सरकार ने पांच अलग-अलग एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी है जो इस साल के आखिर तक काम पूरा करेगीं। वहीं दूसरी ओर राज्यों ने भी इस पर संज्ञान लिया है।साल 2022 में हैदराबाद के गांधी अस्पताल में बिजली कटौती के बाद 21 मरीजों की मौत हुई। इसी साल नोएडा जिला अस्पताल में बत्ती गुल होने से मरीजों और डॉक्टरों को परेशानी हुई। 

 इस काम के लिए राज्यों ने डेडलाइन तय नहीं की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर के एम्स और दिल्ली के पांच अस्पतालों को सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का आदेश दिया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिस तरह कोरोना महामारी में ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए गए उसी तरह सौर ऊर्जा संयंत्र को लेकर भी काम हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2024 तक डेडलाइन सभी मंत्रालय को दी है।

इसलिए है जरूरी
दरअसल, बिजली आपूर्ति का प्रभाव सरकारी अस्पतालों पर काफी गंभीर है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) का एक अध्ययन बताता है कि देश के अस्पतालों में प्रति बिस्तर औसत बिजली खपत लगभग 200 से 300 किलोवाट प्रति घंटा है। इस हिसाब से देखें तो 30 बिस्तर के एक अस्पताल की मासिक बिजली खपत छह से नौ हजार किलोवाट प्रति घंटा तक हो सकती है। हालांकि यह अनुमान विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर अलग भी हो सकता है।

दिल्ली से लेकर हैदराबाद तक असर
साल 2022 में हैदराबाद के गांधी अस्पताल में बिजली कटौती के बाद 21 मरीजों की मौत हुई। इसी साल नोएडा जिला अस्पताल में बत्ती गुल होने से मरीजों और डॉक्टरों को परेशानी हुई। दिल्ली के रोहिणी स्थित डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर अस्पताल में लंबे समय तक बिजली गुल रही, जिससे चिकित्सा सेवाएं बाधित हुईं।

प्राइवेट अस्पतालों में नहीं होती परेशानी
साल 2022 में शोधकर्ताओं ने भारत में संस्थागत प्रसूति पर ऊर्जा की कमी के प्रभाव पर अध्ययन किया, जिसमें 1998-99 और 2005-06 के भारतीय जनसांख्यिकी और स्वास्थ्य सर्वेक्षण के डाटा का विश्लेषण किया। इसका निष्कर्ष बताता है कि भारत में बिजली कटौती की समस्या प्राइवेट अस्पतालों में नहीं है। अलग-अलग कारणों के चलते सरकारी अस्पताल सबसे ज्यादा इसका सामना करते हैं, जिसकी वजह से इन अस्पतालों में जन्म लेने वाले शिशुओं में सालाना एक फीसदी से ज्यादा गिरावट देखी गई है।

ओडिशा में आएमडी ने लू के लौटने के जताए आसार, सभी कलेक्टरों को मिली चेतावनी

Odisha alerts collectors after IMD forecasts heatwave return April

सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि लोगों को दोपहर के समय 11 बजे से 3 बजे तक बाहर निकलते समय एहतियात बरतने की सलाह दी जाए। स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जानी चाहिए।

एसआरसी ने कहा कि मौसम कार्यालय ने ‘येलो अलर्ट’ जारी किया है। साथ ही जिला अधिकारियों से चेतावनी जारी करने को कहा है। इसके तहत लोगों खासकर बच्चों और बुजुर्गों के बीच गर्मी से संबंधित चिंताओं के बारे में जागरूक करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।  

सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि लोगों को दोपहर के समय 11 बजे से 3 बजे तक बाहर निकलते समय एहतियात बरतने की सलाह दी जाए। स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जानी चाहिए। 

15 और 16 को हीटवेव की भविष्यवाणी
आईएमडी ने 15 अप्रैल को अंगुल, ढेंकनाल, कटक, नयागढ़, कोरापुट। इसके साथ ही 16 अप्रैल को अंगुल, ढेंकनाल, कटक, नयागढ़, कोरापुट, मलकानगिरी, कंधमाल, बौध, मयूरभंज, बालासोर, भद्रक, क्योंझर और जाजपुर जिलों में हीटवेव की स्थिति की भविष्यवाणी की है।

सऊदी अरब की जेल से व्यक्ति की रिहाई के लिए लोगों ने जुटाए 34 करोड़ रुपये, CM ने जनता का आभार जताया

Rs 34 cr raised via crowdfunding to secure Kerala man's release from Saudi jail

सऊदी अरब में मृत्युदंड की सजा पाये कोझिकोड के एक व्यक्ति अब्दुल रहीम को बचाने के लिए केरल के लोग एकसाथ आए हैं। लोगों ने चंदे के जरिए 34 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं। रहीम को सजा से बचने के लिए 18 अप्रैल से पहले ब्लड मनी के तौर पर करीब 34 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। ब्लड मनी का आशय सजा से बचने के लिए पीड़ित के परिवार को धन का भुगतान करना होता है।

 सउदी अरब में मृत्युदंड की सजा पाये केरल के एक व्यक्ति को बचाने के लिए राज्य के लोगों ने चंदा के माध्यम से 34 करोड़ रुपये जुटाए हैं। एकजुटता दिखाते हुए केरल में लोग कोझिकोड के निवासी अब्दुल रहीम को बचाने के लिए एक साथ आए हैं।  

रहीम 18 साल से जेल में बद है। उस पर साल 2006 में सऊदी में एक लड़के की हत्या का आरोप है। स्थानीय लोगों ने बताया कि रहीम को सऊदी अरब में 2006 में एक दिव्यांग लड़के की दुर्घटनावश मौत के बाद जेल में डाल दिया गया था। जिसकी वह देखभाल करता था। लड़के के परिजनों ने माफी देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद 2018 में रहीम को मौत की सजा सुनाई गई थी।

एक्शन कमेटी के सदस्यों ने मीडिया को बताया कि उनकी याचिका को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था। लेकिन बाद में परिवार रहीम को ब्लड मनी देने शर्त पर माफ करने को सहमत हो गया। राज्य के लोगों की भावना की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि यह करुणा और सच्चाई की ‘रियल केरल स्टोरी’ है।

उन्होंने कहा कि केरल को निशाना बनाने वाले नफरती अभियानों के बीच मलयाली लोगों की भावना उठ खड़ी हुई है। विजयन ने कहा कि सऊदी अरब में मौत की सजा का सामना कर रहे एक व्यक्ति अब्दुल रहीम की कहानी इसी प्रतिरोध का प्रतीक है। उसकी रिहाई के लिए 34 करोड़ करोड़ रुपये जुटाकर केरल के लोगों ने अपनी प्रतिबद्धता स्पष्ट की है।मुख्यमंत्री ने कहा, इस मानवीय काम के लिए हाथ बंटाने वाले सभी लोगों का आभार। एकजुट रहकर हम करुणा और सच्चाई की रियल केरल स्टोरी को साझा करना जारी रखेंगे।

पीएम मोदी और सीएम नीतीश पर रोहिणी आचार्य का अटैक

राजद नेता और सारण सीट से लोकसभा उम्मीदवार रोहिणी आचार्य ने कहा कि कार्रवाई करना ही चाहिए, प्रधानमंत्री मोदी के अगल-बगल जितने लोग हैं सब पर कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि उन्होंने सरकारी वॉशिंगमशीन में धुलाई करके सबको अपने पास बैठा लिया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रोड शो पर उन्होंने कहा कि बेरोजगारी पर तो कोई बहस ही नहीं हो रही है। नीतीश कुमार अपना-हिसाब किताब जनता के बीच लेकर जाएं और जनता को अपने कामों का हिसाब-किताब दें।

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