चुनावी बॉन्ड खरीदने के मामले में दूसरे नंबर पर रही कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई सीबीआई ने की है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बताया है कि मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और एनएमडीसी आयरन एंड स्टील प्लांट और इस्पात मंत्रालय के आठ अधिकारियों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामले में मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई 315 करोड़ रुपये की परियोजना के निष्पादन में हुई गड़बड़ियों के मामले में की गई है। सीबीआई ने शनिवार को यह जानकारी दी है।
कंपनी पर कथित तौर पर अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप
जांच एजेंसी ने बताया हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ कथित तौर पर रिश्वत देने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस कंपनी ने 966 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड्स खरीदे थे और इस मामले में दूसरे नंबर पर रही थी।
सीबीआई के अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि जगदलपुर एकीकृत इस्पात संयंत्र से संबंधित कार्यों के सिलसिले में मेघा इंजीनियरिंग के 174 करोड़ रुपये के बिलों को मंजूरी देने के लिए कथित तौर पर 78 लाख रुपये की रिश्वत दी गई। सीबीआई के अनुसार रिश्वत स्वीकार करने के आरोप में एनआईएसपी और एनएमडीसी के आठ अधिकारियों और मेकॉन के दो अधिकारियों के नाम भी प्राथमिकी में शामिल किए गए हैं।
कंपनी के बॉन्ड्स को भाजपा, कांग्रेस व बीआरएस समेत कई पार्टियों ने भुनाए
चुनाव आयोग की ओर से बीते 21 मार्च को जारी आंकड़ों के अनुसार, मेघा इंजीनियरिंग का नाम चुनावी बॉन्ड की दूसरी सबसे बड़ी खरीदार कंपनी के रूप में सामने आया था। कंपनी ने 966 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड्स खरीदे थे। आंकड़ों के अनुसार कंपनी की ओर से भाजपा को सबसे अधिक 586 करोड़ रुपये दान किए गए थे।
कंपनी ने बीआरएस को 195 करोड़ रुपये, डीएमके को 85 करोड़ रुपये और वाईएसआरसीपी को 37 करोड़ रुपये का दान दिया है। कंपनी से टीडीपी को करीब 25 करोड़ रुपये मिले, जबकि कांग्रेस को 17 करोड़ रुपये मिले। जेडी-एस, जन सेना पार्टी और जेडी-यू को 5 करोड़ रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक की राशि कंपनी की ओर से दी गई थी।
जिस मामले में केस दर्ज किया गया वह क्या है यहां समझें
शनिवार को सार्वजनिक की गई प्राथमिकी के अनुसार, सीबीआई ने 10 अगस्त, 2023 को एकीकृत इस्पात संयंत्र जगदलपुर में इनटेक वेल और पंप हाउस और क्रॉस-कंट्री पाइपलाइन के कार्यों से संबंधित 315 करोड़ रुपये की परियोजना में कथित रिश्वत देने मामले में प्रारंभिक जांच शुरू की थी। यह परियोजना मेघा इंजीनियरिंग को सौंपी गई थी। प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों के आधार पर, 18 मार्च को कथित रिश्वत मामले में एक नियमित मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई थी जो 31 मार्च को दायर की गई।
सीबीआई ने एनआईएसपी और एनएमडीसी लिमिटेड के आठ अधिकारियों- सेवानिवृत्त कार्यकारी निदेशक प्रशांत दास, निदेशक (उत्पादन) डीके मोहंती, डीजीएम पीके भुइयां, डीएम नरेश बाबू, वरिष्ठ प्रबंधक सुब्रो बनर्जी, सेवानिवृत्त सीजीएम (वित्त) एल कृष्ण मोहन, महाप्रबंधक (वित्त) के राजशेखर, प्रबंधक (वित्त) सोमनाथ घोष को नामजद किया है। इन पर कथित तौर पर 73.85 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप है।
सीबीआई ने प्राथमिकी में मेकॉन लिमिटेड के दो अधिकारियों -एजीएम (अनुबंध) संजीव सहाय और डीजीएम (अनुबंध) के इलावरसू का भी नाम लिया है। इन पर कथित तौर पर 174.41 करोड़ रुपये के भुगतान के बदले 5.01 लाख रुपये लेने का आरोप है। ये भुगतान सुभाष चंद्र संगरा, महाप्रबंधक, एमईआईएल, मेघा इंजीनियरिंग और अन्य अज्ञात लागों को 73 चालान के जरिए किया गया था। चंद्रा और मेघा इंजीनियरिंग को भी मामले में आरोपी बनाया गया है।