गर्मी से परेशान दिल्ली-एनसीआर के लोगों को आज थोड़ी राहत मिली। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद समेत पूरे एनसीआर में तेज हवाओं के साथ बारिश ने दस्तक दी। गृहमंत्री अमित शाह आज नोएडा में करेंगे रैली, कई रास्तों पर डायवर्जन,राहुल गांधी आज महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया में चुनाव प्रचार करेंगे,दिल्ली-नोएडा में आज आंधी-बारिश का योलो अलर्ट, गर्मी से मिलेगी राहत,अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की ईरान को चेतावनी, इजरायल पर हमला न करेंउधर दिल्ली शराब नीति मामले में ईडी द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल यानी सोमवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
पीएम मोदी के उद्घोष के बाद बीजेपी ने ‘400 पार’ को जो लक्ष्य रखा है, उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए बीजेपी रविवार को अपना मेनिफेस्टो ‘संकल्प पत्र’ के नाम से ला सकती है। कांग्रेस के 2024 के ‘न्याय पत्र’ के जवाब में बीजेपी का यह संकल्प पत्र देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के ‘न्याय पत्र’ का जवाब बीजेपी का ‘ज्ञान’ (गरीबों, युवाओं, किसान यानी अन्नदाता और नारी के शुरुआती अक्षरों को मिलाकर बना शब्द) होगा। सूत्रों के मुताबिक, मेनिफेस्टो लॉन्च के मौके पर पार्टी के तमाम सीनियर नेताओं की मौजूदगी रहने की बात कही जा रही है। रविवार को पार्टी द्वारा अपना घोषणापत्र जारी करने के पीछे एक वजह बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती भी बताई जा रही है। बताया जाता है कि बीजेपी का यह मेनिफेस्टो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, समग्र विकास, विकसित भारत पर केंद्रित होगा।
जनता से मिले 5 लाख सुझाव
पार्टी की संकल्प पत्र 27 सदस्यी एक टीम से तैयार किया है, जिसके अध्यक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संयोजक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सह-संयोजक केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल हैं। इसमें असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा से लेकर छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय और मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव तक शामिल थे। पार्टी का दावा है कि उसे जनता से करीब पांच लाख सुझाव मिले हैं। बताया जा रहा है कि इसमें पीएम नरेंद्र मोदी गारंटी, मोदी द्वारा बनाई गई चार जातियां, 2047 तक विकसित भारत जैसे अहम बिंदुओं पर फोकस रहेगा। कहा जा रहा है कि बीजेपी का यह घोषणापत्र मोदी सरकार की नीतियों, उद्देश्यों और भावी कार्यक्रमों का एक व्यापक दस्तावेज होगा।
अपनी उपलब्धियों को गिनाएगी बीजेपी
यह घोषणापत्र वोटर्स के लिए केंद्र में सत्ता में वापस आने की स्थिति में विभिन्न मुद्दों पर पार्टी की स्थिति को समझने में मददगार साबित होगा। बीजेपी का दावा रहा है कि मोदी सरकार के दौरान बीजेपी ने जो कहा, वो कर दिखाया। इसके लिए बीजेपी धारा 370, अयोध्या में राम मंदिर, तीन तलाक पर रोक जैसे कामों को गिना रही है। यह मेनिफेस्टो बीजेपी के इन दावों को भी रेखांकित करेगा कि हम जो वादे करते हैं उन्हें पूरा करते हैं।
तीन करोड़ के सोने के रथ पर आज विराजमान होंगे देव काला कामेश्वर
सिराजघाटी के आराध्य देव काला कामेश्वर रविवार को तीन करोड़ की लागत से बने सोने के रथ में सवार होंगे। देवता के सोने के रथ की प्राण प्रतिष्ठा का रविवार को खेल गांव में होगी। देवता पहली बार सोने के रथ के साथ अपने हजारों भक्तों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान दर्शन देंगे। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर की गई है।सिराजघाटी के आराध्य देव काला कामेश्वर रविवार को तीन करोड़ की लागत से बने सोने के रथ में सवार होंगे। देवता के सोने के रथ की प्राण प्रतिष्ठा का रविवार को खेल गांव में होगी।
मंदिर कमेटी के प्रधान नोक सिंह ने बताया कि देवता का पहली बार सोने का रथ बनाया गया है। देव काला कामेश्वर का मंदिर थुनाग की ऊपर चोटी पर कमीशर धार में स्थित है और देवता का भंडार खेल में है। देवता के रथ की प्राण-प्रतिष्ठा खेल भंडार (कोठी) में हो रही है। उन्होंने कहा कि देवता की कान्ही हार, देंता हार, जेठी हार, भुजा रिखी हार, मुझानी हार, तोगड़ा हार, ब्लेंढा हार, रोहाडा हार और कुठेहड़ हार हैं। देवता के गूर खेम सिंह ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। उन्होंने देव काला कामेश्वर नेता प्रतिपक्ष ठाकुर जयराम के भी आराध्य देवता हैं ऐसे में समारोह में पहुंचने की उम्मीद है।मंदिर कमेटी के प्रधान नोक सिंह ने बताया कि देवता का पहली बार सोने का रथ बनाया गया है। देव काला कामेश्वर का मंदिर थुनाग की ऊपर चोटी पर कमीशर धार में स्थित है और देवता का भंडार खेल में है। देवता के रथ की प्राण-प्रतिष्ठा खेल भंडार (कोठी) में हो रही है। उन्होंने कहा कि देवता की कान्ही हार, देंता हार, जेठी हार, भुजा रिखी हार, मुझानी हार, तोगड़ा हार, ब्लेंढा हार, रोहाडा हार और कुठेहड़ हार हैं। देवता के गूर खेम सिंह ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। उन्होंने देव काला कामेश्वर नेता प्रतिपक्ष ठाकुर जयराम के भी आराध्य देवता हैं ऐसे में समारोह में पहुंचने की उम्मीद है।
रोसोल का प्रयोग: वे सूरज को हराने की तैयारी में हैं
प्रचंड गर्मी जिस तरह से हर साल नए रिकॉर्ड तोड़ रही है, कैलिफोर्निया प्रयोग उम्मीद की आखिरी किरण बन गया है।
राजनीति के धुरंधरों को भी राजधानी ने लिया कसौटी पर, हर सीट पर रहती है देश की नजर
कई दिग्गज एक बार फिर सियासी संग्राम में उतरे हैं। कौन सांसद बनते हैं और कौन मंत्री, यह परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन अभी तक हुए लोकसभा चुनावों में दिल्ली की जनता कई राष्ट्रीय नेताओं को कसौटी पर परख चुकी है। लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ गई है। कई दिग्गज एक बार फिर सियासी संग्राम में उतरे हैं। कौन सांसद बनते हैं और कौन मंत्री, यह परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन अभी तक हुए लोकसभा चुनावों में दिल्ली की जनता कई राष्ट्रीय नेताओं को कसौटी पर परख चुकी है। डॉ. मनमोहन सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली से चुनाव लड़ चुके हैं।
दिल्ली की जनता एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीय छवि वाले नेताओं को कसौटी पर ले चुकी है। इसमें दोनों मुख्य राजनीतिक पार्टियों के नेता शामिल हैं। इनमें अटल बिहारी वाजपेयी, मदन लाल खुराना, सिकंदर बख्त, सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित, मोहिणी गिरी, सुचेता कृपलानी समेत कई नेता शामिल हैं। 12वीं लोकसभा चुनाव की बात करें तो दक्षिणी दिल्ली की जनता ने डॉ. मनमोहन सिंह को नकार दिया था।
इस सीट से विजय कुमार मल्होत्रा ने जीत हासिल की थी। मल्होत्रा के पक्ष में 52.25 फीसदी व मनमोहन सिंह के पक्ष में 46.25 फीसदी मत पड़े थे। इसके अलावा 9वीं लोकसभा चुनाव की बात करें तो लालकृष्ण आडवाणी ने कांग्रेस की प्रत्याशी मोहिणी गिरी को शिकस्त दी थी। आडवाणी को 55.54 फीसदी व मोहिणी गिरी को 41.85 फीसदी मिले थे। खास बात यह भी है कि 10वीं लोकसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी फिल्म अभिनेता राजेश खन्ना को मुश्किल से पराजित कर सके थे।
आडवाणी को 43.4 फीसदी तो राजेश खन्ना को 42.66 प्रतिशत मत मिले थे। इस चुनाव के बाद आडवाणी व मनमोहन जैसे दोनों दिग्गज नेता संसद तो पहुंचे, लेकिन दिल्ली की जगह दूसरे क्षेत्र को चुना। मनमोहन सिंह असम राज्यसभा से सांसद चुने गए थे, जबकि लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर से लड़ने लगे। अटल बिहारी बाजपेयी 1977 व 1980 में नई दिल्ली से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे और बाद में एनडीए का नेतृत्व किया और देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी भी हासिल की।
कई हस्तियों को भी दिया मौका
दिल्ली ने न केवल नेताओं को मौका दिया है, बल्कि विभिन्न क्षेत्र की हस्तियों को भी आत्मसात किया है। पिछले चुनाव में भी स्टार क्रिकेटर गौतम गंभीर और सूफी गायक हंस राज हंस को जिताकर संसद पहुंचाया। इसी तरह उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र के लोगों ने लगातार दो बार भोजपुरी गायक मनोज तिवारी को जिताकर संसद पहुंचाया। अब तिवारी तीसरी बार भी चुनावी मैदान में उतरे हैं। इसी तरह कांग्रेस की टिकट पर बॉक्सर विजेंदर सिंह भी दक्षिणी दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव लड़ चुके है। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
संस्कृति के पन्नों से कैसे मिला ‘पृथ्वी’ को अपना नाम
ऋषियों ने पृथु को बताया कि प्रकृति का यही नियम है कि राजा न हो तो भूमि में कुछ नहीं उगता। इसीलिए संसार की यह दशा हो रही है। यह सुनकर पृथु ने अस्त्र-शस्त्र उठाया और भूलोक खोदने को तत्पर हो गया।
ऋषियों ने पृथु को बताया कि प्रकृति का यही नियम है कि राजा न हो तो भूमि में कुछ नहीं उगता। इसीलिए संसार की यह दशा हो रही है। यह सुनकर पृथु ने अस्त्र-शस्त्र उठाया और भूलोक खोदने को तत्पर हो गया।
ध्रुव के वंशज राजा अंग का पूरी धरती पर शासन था। वह बहुत धार्मिक और वेदों के ज्ञाता थे। परंतु उनका पुत्र वेन अत्यंत उद्दंड था। उसका धर्म, नैतिकता और वैदिक संस्कारों पर तनिक भी विश्वास नहीं था। वह बड़ा हुआ, तो अत्याचारी हो गया। ऋषि-मुनियों ने उसे बहुत समझाया, लेकिन वेन के व्यवहार में सुधार नहीं हुआ, बल्कि उसकी उद्दंडता बढ़ती गई। आखिरकार, ऋषियों ने निर्णय लिया कि वेन का जीवित रहना समाज के लिए घातक होगा, इसलिए उन्होंने अपने तपोबल से वेन को मार डाला।
वेन की मृत्यु से धरती अनाचार से मुक्त तो हो गई, किंतु उसका कोई शासक नहीं रहा। वेन निस्संतान था, इसलिए ऋषियों ने वेन के शव को मथकर संतान उत्पन्न करने का निश्चय किया। ऋषियों ने वेन की दाहिनी जांघ को मथा, तो एक अत्यंत कुरूप प्राणी प्रकट हुआ। उससे निषाद वंश की उत्पत्ति हुई। फिर ऋषियों ने वेन की दाहिनी भुजा को मथा, तो एक तेजस्वी बालक उत्पन्न हुआ। उसका नाम पृथु रखा गया।
पृथु बड़ा हुआ, तो अत्यंत बलशाली और ओजवान बन गया। उसने अश्वमेध यज्ञ भी पूर्ण कर लिया। परंतु उसका राज्याभिषेक नहीं हो पाया था। एक दिन पृथु को पता लगा कि पृथ्वी ने भोजन देना बंद कर दिया, जिससे समस्त प्राणी-जगत पर संकट के बादल मंडराने लगे।
ऋषियों ने पृथु को बताया कि प्रकृति का यही नियम है कि राजा न हो, तो भूमि में कुछ नहीं उगता। इसीलिए संसार की यह दशा हो रही है। भूलोक ने सबकुछ भीतर छिपा रखा है। यह सुनकर पृथु ने अपना अस्त्र-शस्त्र उठाया और भूलोक को खोदकर उसके भीतर से भोजन निकालने को तत्पर हो गया। भूलोक ने पृथु का क्रोध देखा, तो भयभीत होकर गाय का रूप धारण करके भागना शुरू कर दिया। परंतु पृथु ने गाय रूपी भूलोक का पीछा नहीं छोड़ा। वह निरंतर गाय को मारने की धमकी देता रहा।
आखिर में गाय ने पृथु से कहा, ‘मैं तुम्हारी मां के समान हूं। मुझे मार दोगे, तो मानव जाति का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। इसलिए सबकी रक्षा करना तुम्हारा कर्तव्य है।’
पृथु ने कहा, ‘आपका कर्तव्य संसार का पोषण करना है। आपकी तरह सब कर्तव्य त्याग देंगे तो ब्रह्मांड का क्या होगा? यदि आप संसार की रक्षा नही करेंगी, तो मैं भी आपकी रक्षा नहीं करूंगा।’
इस पर गाय बोली, ‘प्रकृति का नियम है कि राजा न हो, तो मैं भोजन नहीं दे सकती। वेन की मृत्यु के बाद कोई राजा नहीं बना, इसलिए मैंने भोजन देना छोड़ दिया। यदि आप राजा बन जाएंगे, तो मैं फिर से भोजन देने लगूंगी।’
यह सुनकर पृथु ने कहा, ‘भोजन के लिए प्रजा का राजा पर निर्भर होना सही बात नहीं है। इसलिए इसका विकल्प खोजना होगा।’
पृथु ने इस समस्या पर गहन सोच-विचार किया और वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि ऐसी परिस्थिति भविष्य में दोबारा भी उत्पन्न हो सकती है, इसलिए लोगों को आत्मनिर्भर बनाना होगा। अभी तक धरती स्वत: भोजन देती थी, परंतु पृथु को महसूस हुआ कि मनुष्य को धरती के गर्भ से स्वयं भोजन प्राप्त करना सीखना होगा। इसका लाभ यह था कि भूलोक द्वारा प्रदान किए जाने वाले अन्नादि के अतिरिक्त मनुष्य अपने पुरुषार्थ से भी पृथ्वी से भोजन पैदा कर सकेगा, ताकि भोजन का कभी अभाव न हो।
इस विचार से पृथु को बड़ा संतोष हुआ और उसने तुरंत इस दिशा में कार्य आरंभ कर दिया। कहते हैं, पृथु ने अपने धनुष की नोंक से समस्त धरती को समतल कर दिया और भूमि के समतल होने से सर्वत्र मैदान तैयार होने लगे। इसके बाद पृथु ने खेत-खलिहान बना दिए और यहां से कृषि का आरंभ हुआ। मनुष्य जाति, जो अब तक पशु-पालन और आखेट से काम चलाती थी, अब कृषक की भूमिका में आ गई थी। कृषि का आरंभ हुआ, तो सर्वत्र अन्न और धान की फसलें लहलहाने लगीं।
इस तरह, महाराज पृथु ने अपने श्रम और संकल्प से धरती का स्वरूप बदल दिया। पृथु के इसी योगदान के चलते उनके नाम पर धरती को नाम मिला-पृथ्वी।
दिल्ली के मंत्री और AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने ट्वीट किया, “दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद जी ने दिल्ली की जनता से वादा किया था कि वो जेल के बाहर हों या अंदर, दिल्ली के लोगों के काम नहीं रुकने देंगे। आज दिल्ली के बेटे और भाई अरविंद केजरीवाल की बड़ी जीत हुई है। दिल्ली की जनता की बड़ी जीत हुई है ।”
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “वंशवाद क्या है? हम वंशवाद से नहीं, चुनाव से आते हैं…क्या उनकी पार्टी (भाजपा) के लोग वंशवाद से नहीं हैं?…एक उद्योगपति अपने बच्चों को उद्योगपति बनाता है, तो क्या उसे वोट लेने पड़ते हैं? एक अभिनेता अपने बच्चों को अभिनेता बनाता है तो क्या उसे वोट लेने पड़ते हैं? हमें वोट लेने पड़ते हैं, लोगों से मिलना पड़ता है और उनके लिए काम करना पड़ता है, तो यह वंशवाद कैसे हो सकता है?”
श्रीनगर: अनंतनाग से NC उम्मीदवार मियां अल्ताफ पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और NC नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, “जब तक मैं मियां साहब के मुंह से ये खबर नहीं सुनता हूं की वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं, या उनकी सेहत उन्हें इसकी इजाजत नहीं देती तब तक के लिए वे हमारे उम्मीदवार हैं।”
आज माफिया या अपराधी या तो जेल में हैं यो जहन्नुम में हैं: योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “…4 करोड़ गरीबों के मकान बन गए, 2.5 करोड़ लोगों के घरों में बिजली का कनेक्शन आ गया। ये काम पहले भी हो सकता था लेकिन कांग्रेस हो, सपा हो , बसपा हो, इनके एजेंडे में विकास नहीं था, गरीब कल्याण नहीं था। आस्था के साथ खिलवाड़ करना ये अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते थे। माफियाओं और अपराधियों को गले का हार बनाकर ये लोग प्रदेश की जनता, बेटी, व्यापारी की सुरक्षा पर सेंध लगाने का काम करते थे… ये भाजपा की सरकार जो बोलती है वो करके दिखाती है। आज माफिया या अपराधी या तो जेल में हैं यो जहन्नुम में हैं…”