अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

निगम इंजीनियर के ठिकानों पर छापे, दो और फर्जी फर्मों के जरिए 8 करोड़ की नई लूट उजागर

Share

इंदौर। नगर निगमने 188 फाइलों की विभागीय जांच भी लगभग पूरी कर ली है, जो आज-कल में सामने आ जाएगी। मुख्य रूप से ऑडिट विभाग के जरिए इस महाघोटाले (Big scams) को अंजाम दिया गया और निगम इंजीनियर व कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जीफाइलें तैयार की गई। पहले असल काम की छोटी फाइलों को मंजूर करवाया गया, ताकि ऑडिट के साथ लेखा विभाग का भरोसा जीता जा सके। उसके बाद बड़े कामों की बोगस फाइलों को चलाकर निगम को करोड़ों रुपए की टोपी पहनाई गई। दूसरी तरफ पुलिस ने भगोड़े निगम इंजीनियर अभय राठौर की तलाश तेज कर दी और घर सहित उसके अन्य ठिकानों पर भी छापे मारे, वहीं उसके बैंक खाते भी सील कर दिए हैं। अभी जो गिरफ्त में फर्जी फर्मों के ठेकेदार आए हैं, उनमें से राहुल वडेरा ने यह तो स्वीकार कर लिया कि फर्जी फाइलें बनाई गईं, जिनमें हस्ताक्षर भी फर्जी किए गए, वहीं दो और नई फर्मों का भी खुलासा किया गया। इन फर्मों के नाम क्रिस्टल और ईश्वर बताए गए हैं और निगम रिकॉर्ड के मुताबिक लगभग 8 करोड़ का पेमेंट इन दोनों फर्मों को भी किया गया।

अभी तक 188 फाइलों में कुल 107 करोड़ रुपए की राशि शामिल बताई गई है, जिसमें से 178 फाइलें सिर्फ ड्रेनेज विभाग से ही संबंधित हैं, जिनमें 102 करोड़ रुपए की बड़ी राशि शामिल है। नगर निगम अभी तक इनमें से लगभग 80 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुका है। हालांकि पुलिस 48 करोड़ रुपए के भुगतान की जांच कर रही है, क्योंकि निगम ने 28 करोड़ रुपए की 20 बोगस फाइलों की एफआईआर दर्ज करवाई और उसके बाद लगभग 20 करोड़ रुपए की अन्य फाइलें निगम ने अपनी जांच के दौरान जब्त की है। झोन-3 के डीसीपी पंकज पांडे ने राहुल वडेरा की फॉच्र्यूनर गाड़ी की जब्ती भी करा ली, जिसका खुलासा अग्निबाण ने किया था। दूसरी तरफ पांडे के मुताबिक दो और फर्जी फर्मों की जानकारी राहुल वडेरा से मिली है। अब इनके बारे में नगर निगम से जानकारी ली जाएगी। दूसरी तरफ ठेकेदारों के साथ लेखा शाखा में पदस्थ रहे राजकुमार सालवी से भी पूछताछ की जा रही है कि किस तरह बोगस फाइल बनाकर भुगतान हासिल किया जाता था। पांडे के मुताबिक 70 से 80 फीसदी राशि निगम इंजीनियरों, कर्मचारियों व अन्य को इन ठेकेदारों द्वारा बांटना भी कबूल किया है, वहीं दो नई फर्मों क्रिस्टल और ईश्वर की जानकारी भी सामने आई है। पुलिस ने इस पूरे महाघोटाले के मास्टरमाइंड निगम के इंजीनियर अभय राठौर को भी आरोपी बनाया है। मगर घोटाला उजागर होते ही वह फरार हो गया। पुलिस ने उससे संबंधित ठिकानों पर छापे डाले। मगर वह हाथ नहीं आया। लिहाजा उसकी चल-अचल सम्पत्तियों की जानकारी निकालने के साथ-साथ खाते भी सील किए गए हैं। इधर, सूत्रों का कहना है कि लेखा शाखा के जिस बाबू राजकुमार सालवी को पुलिस ने आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया। उससे भी पूछताछ की जा रही है, वहीं निगम सूत्रों का कहना है कि सालवी ने भी दो फर्में कुछ साल पहले बनाई थी और उनके जरिए भी संभव है कि फर्जीवाड़ा कर करोड़ों का भुगतान लिया गया हो। इसकी भी जानकारी लेखा विभाग द्वारा तैयार की जा रही है। दूसरी तरफ निगमायुक्त शिवम वर्मा ने इस घोटाले के उजागर होने के साथ ही विभागीय जांच शुरू करवा दी। इस जांच दल के प्रमुख अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन का कहना है कि जांच रिपोर्ट लगभग तैयार है। आज-कल में इसे अंतिम रूप देकर आयुक्त कोसौंप दिया जाएगा। जैन के मुताबिक बोगस बिलों की फाइलें निगम से बाहर ही तैयार की गई और इन्हें सीधे ऑडिट में लगा दिया, जहां से घनघोर लापरवाही हुई और पास फॉर पेमेंट करते हुए लेखा शाखा में भिजवा दिया, जहां से समय-समय पर इन बोगस बिलों की फाइलों का भुगतान भी होता रहा। यही कारण है कि ऑडिट शाखा में पदस्थ जिम्मेदारों के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए शासन को पत्र आयुक्त की ओर से भिजवाया गया है। साथ ही अभी जो नई और फर्मों की जानकारी सामने आई है उसकी भी पड़ताल की जा रही है।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें