मुनेश त्यागी
मुझे नही हरगिज़ ये लगता
सीना है ये गारंटी वाला,
मुझको कोई वहम नही है
सीना नही ये गारंटी वाला।
मां रोये या रोये पत्नी
इनको कोई फरक नही है,
कोई कितने भी दावे ठोके
सीना नही ये गारंटी वाला।
गला कटे या गोली लगी हो
इनको कोई गम ही नही है,
कोई कितनी भी कस्में खाये,
सीना नही ये गारंटी वाला।
जोर जोर से बोलो कुछ भी
तम तो बुगले भगत लगे हो,
वादेे और नारे हैं सब झूठे
सीना नही ये गारंटी वाला।
कहां गयीं विकास की बातें
कस्मों, वादों का क्या हुआ?
देश छला है भाषण से भाई
सीना नही ये गारंटी वाला।
रोजी रोटी का क्या हुआ
रोजगार कहां चला गया?
क्या कहते थे क्या तुम निकले
सीना नही ये गारंटी वाला।
राष्ट्रवाद की बातें छोडो
बात करो अब जन गण की,
अमन सुकून सब हैं खतरे में
सीना नही ये गारंटी वाला।