गठबंधन धर्म की असली परीक्षा की घड़ी आ गई है। चुनाव का रथ प्रदेश में ज्यों-ज्यों पूरब की तरफ बढ़ेगा, गठबंधन धर्म की परीक्षा कड़ी होती जाएगी। गठबंधन चाहे एनडीए का हो या इंडी का…रिश्तों में ईमानदारी की कसौटी पर दोनों को ही कसे जाएंगे। यह बात अलग है कि भाजपा के सहयोगियों के लिए परीक्षा कुछ ज्यादा कड़ी है, जबकि इंडी के लिए कुछ कम। इसकी एक बड़ी वजह गठबंधन में शामिल सहयोगियों की पृष्ठभूमि है।
गठबंधन धर्म की असली परीक्षा की घड़ी आ गई है। चुनाव का रथ प्रदेश में ज्यों-ज्यों पूरब की तरफ बढ़ेगा, गठबंधन धर्म की परीक्षा कड़ी होती जाएगी। गठबंधन चाहे एनडीए का हो या इंडी का…रिश्तों में ईमानदारी की कसौटी पर दोनों को ही कसे जाएंगे। यह बात अलग है कि भाजपा के सहयोगियों के लिए परीक्षा कुछ ज्यादा कड़ी है, जबकि इंडी के लिए कुछ कम। इसकी एक बड़ी वजह गठबंधन में शामिल सहयोगियों की पृष्ठभूमि है।प्रदेश में भाजपा का सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) से गठबंधन है। सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर पूर्वांचल में बहराइच से बलिया और गोंडा से गाजीपुर तक फैली राजभर बिरादरी के प्रतिनिधित्व का दावा करते हैं। इसी तरह निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद कानपुर, कन्नौज से लेकर गोरखपुर और गाजीपुर तक निषाद बिरादरी और अनुप्रिया पटेल बरेली और बुंदेलखंड से लेकर मिर्जापुर तक फैली प्रदेश की लगभग 54 प्रतिशत पिछड़ी आबादी के प्रतिनिधित्व का दावा करती हैं। इनमें सचान, वर्मा, कटियार और कुर्मी नामों से चर्चित 9 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली बिरादरी हैं।भाजपा ने गठबंधन धर्म का निर्वाह करते हुए ओमप्रकाश राजभर को हाल में ही विधान परिषद की एक सीट देने के साथ ही, उनको घोसी लोकसभा सीट भी दी है। इसपर उन्होंने अपने बेटे अरविंद राजभर को उतारा है।