~ परख अरोड़ा
दिन भर काम में व्यस्त रहने के कारण तनाव का स्तर जीवन में दिनों दिन बढ़ने लगता है। इसका असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर ही दिखने लगता है। दरअसल, व्यक्ति अपनी नाकामियों और कमियों के लिए खुद को बेवजह कोसने लगता है, जिससे शरीर में दर्द, ऐंठन और एकाग्रता की कमी बढ़ जाती है।
इन समस्याओं से बचने के लिए हर व्यक्ति को इस बात पर फोकस करना चाहिए कि अपने फैलियर्स के समय खुद के प्रति आपका रवैया कैसा रहता है। क्या आप खुद से ही नाराज़ हो जाते है और हर गलती के लिए खुद को जिम्मेदार समझते हैं, तो ऐसे में सेल्फ कंपैशन का होना बेहद मददगार साबित हो सकता है।
*सेल्फ कंपैशन क्या है?*
जब व्यक्ति दिन भर में खुद को लेकर नकारात्मक होने लगे, तो उस वक्त इमोशनली स्टेबल होने के लिए सेल्फ लव शो करना ज़रूरी है।
दरअसल, स्वयं से प्यार करना सेल्फ कंपैशन कहलाता है। दिन भर के कार्यों के दौरान मूड स्विंग से बचना, एकाग्रता बढ़ाना और कार्यक्षमता बनाए रखना ज़रूरी है।
इसके लिए सेल्फ कंपैशनेट होना ज़रूरी है। यानि अपने बारे में सोचना समझना और खुद को जानना आवश्यक है।
दूसरी ओर काउंसलर और ग्राफोलॉजिस्ट सोनल ओसवाल बताती हैं कि सोशल मीडिया लोगों की एंग्ज़ाइटी का कारण बन रहा है। सोशल मीडिया से लोगों की इच्छाएं दिनों दिन बढ़ रही हैं। इसमें व्यक्ति खुद की तुलना अन्य लोगों से करने लगता है। इसके चलते उसे खुद में कमियां नज़र आने लगती हैं.
*1. कमियों को स्वीकारें :*
अपनी कमियों को एक्सेप्ट करके, फिर उन्हें दूर करने की दिशा में काम करना सेल्फ कंपैशन कहलाता है। दरअसल, अन्य लोगों के अंदर कमियां खोजने से पहले खुद पर रिवर्क करना आवश्यक है। इससे जीवन में आगे बढ़ने के मार्ग खुलने लगते हैं और व्यक्तिअपनी गलतियों से सीखकर सेल्फ लव कऱने लगता है।
इमोशनल बैगेज से उबरने के लिए अकेले बैठकर मिस्टेक्स को इवेल्यूएट करना ज़रूरी है।
*2. निगेटिविटी से बचें :*
अगर आपके आसपास कुछ लोग ऐसे हैं, जो हर पल अन्य लोगों में कमियां खोजते हैं, तो उनसे दूरी बनाकर रखें। इसके अलावा खुद पर भरोसा बनाए रखें और निगेटिव थॉटस को अपने दिमाग में आने से रोकें।
चीजों के न्रति सकारात्मकता बरतें और हर समस्या के समाधान के लिए पॉजिटीविटी के साथ आगे बढ़ें।
*3. माफ करना सीखे :*
पुरानी बातें मन में लंबे वक्त तक कैद रह जाती है। खुद को बार बार उन गलतियो के लिए मन ही मन प्रताड़ित करना न केवल उस समस्या को बढ़ाता है बल्कि मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है।
ऐसे में अपनी गलतियों को सुधारें और लोगों को माफ करना भी सीखें। इससे सेल्फ कंपैशन को बूस्ट करने में मदद मिलती है।
*4. म्यूज़िक थेरेपी और योग की रूटीन :*
अपने मूड को अपलिफ्ट करने और खुद को तनाव से बचाए रखने के लिए म्यूज़िक थेरेपी की मदद लें। इससे शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन याहनि हैप्पी हार्मोन रिलीज होने लगते हैं। इससे व्यक्ति खुशहाल बना रहता है।
इसके अलावा योग करें और मानसिक तनाव से दूर रहें। अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी सेल्फ कंपैंशन कहलाता है।
*5. स्वंय का प्रोत्साहन :*
कई परिस्थितियों में व्यक्ति अपने मार्ग से भटकन लगता है और लक्ष्य प्रापित से पीछे हटने लगता है।
ऐसे में सेल्फ मोटिवेशन सेल्फ कंपैशन का ही एक रूप है। इसमें व्यक्ति खुद पर भरोसा जताकर आगे बढ़ने लगता है और कामयाबी को हासिल करता है।
*6. बॉडी रिलैक्सेशन :*
दिनभर की थकान को दूर करने के लिए कुछ वक्त नैप के लिए निकालें। इसके अलावा बॉडी मसाज और कुछ देर की वॉक से शरीर में बढ़ने वाले तनाव को दूर करने में मदद करता है। साथ ही मांसपेशियों की ऐंठन दूर होने लगती है।