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मप्र में धार-रतलाम-खरगोन में कांटे की टक्कर

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लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में चौथे चरण में 13 मई को आठ सीटों पर मतदान होगा। इसमें देवास (अजा), उज्जैन (अजा), मंदसौर, रतलाम (अजजा), धार (अजजा), इंदौर, खरगोन (अजजा) एवं खंडवा सीट शामिल है। इनमें तीन सीटें धार-रतलाम-खरगोन में भाजपा को कड़ी टक्कर मिल रही है। कांग्रेस अपना पूरा जोर लगा रही है। यह आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित सीटें हैं। मध्य प्रदेश में अब चौथे और अंतिम चरण में सोमवार को 8 सीटों पर मतदान होगा। यहां इंदौर को छोड़कर बाकी 7 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस की बीच टक्कर है। यहां पर 6 सांसद और एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के भाग्य का फैसला मतदाता करेंगे। 

रतलाम में कांटे की टक्कर
रतलाम सीट पर भाजपा ने प्रदेश सरकार के सांसद गुमान सिंह डामोर का टिकट काटकर वन मंत्री नागर सिंह की पत्नी अनीता सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है। भूरिया पिछला चुनाव एक लाख से कम वोट से हारे थे। इस सीट से भूरिया पांच बार सांसद रहे हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला बराबरी का रहा था। तीन सीट कांग्रेस और एक सीट भारत आदिवासी पार्टी ने जीती थी। जबकि चार सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। 2019 में डामोर ने भूरिया को करीब 90 हजार वोट से हराया था।विधानसभा सीट- रतलाम संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 4 भाजपा, 3 कांग्रेस और एक सीट भारत आदिवासी पार्टी के पास हैं।

धार सीट पर भी कड़ा मुकाबला
धार सीट पर भाजपा ने सांसद छतरसिंह दरबार का टिकट काट कर पूर्व सांसद सावित्री ठाकुर को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने राधेश्याम मुवैल को प्रत्याशी बनाया है। आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा को ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा है। भोजशाला मुद्दे को भी भाजपा भुना रही है। यहां पर प्रधानमंत्री की सभा से भी पार्टी मजबूत हुई है। दूसरी तरफ कांग्रेस भी पूरा जोर लगा रही है। नेता-प्रतिपक्ष उमंग सिंघार लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। यहां पर विधानसभा चुनाव में आठ में से पांच पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। 2019 के चुनाव में छतरसिंह दरबार ने 1.56 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। 

विधानसभा सीट- धार संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं। इनमें से पांच कांग्रेस और तीन भाजपा के पास है।

खरगोन में कांग्रेस दे रही टक्कर
खरगोन सीट पर भाजपा ने सांसद गजेंद्र पटेल को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने पोरलाल परते को टिकट दिया है। इस एसटी के लिए आरक्षित सीट पर पोरलाल परते की आदिवासी वर्ग में गहरी पैठ है। परते को जयस संगठन का भी समर्थन मिल रहा है। गजेंद्र पटेल मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की खरगोन में सभा भी हो चुकी है। वहीं, कांग्रेस ने भी राहुल गांधी की सभा कराई है। विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के अनुसार यहां पर कांग्रेस को बढ़त दिख रही है। कांग्रेस ने आठ में से पांच पर जीत दर्ज की है। 2019 के चुनाव में पटेल ने 2 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी।
विज्ञापनविधानसभा सीट- खरगौन में आठ विधानसभा सीटों में से पांच कांग्रेस और तीन भाजपा के पास है।

खंडवा सीट भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने
खंडवा सीट पर भाजपा ने सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने नरेंद्र पटेल को मौका दिया है। यह पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव के प्रभाव वाली सीट है। यहां पर सांसद नंद कुमार सिंह चौहान के निधन के बाद उप चुनाव में भाजपा की लीड घटकर 80 हजार रह गई। हालांकि विधानसभा चुनाव में 8 में से सात सीट पर भाजपा जीती है। बुरहानपुर में बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता हैं। ऐसे में भाजपा हिंदुत्व को आगे रखकर चुनाव लड़ रही है। 2022 के उप चुनाव में ज्ञानेश्वर पाटिल 82 हजार वोटों से चुनाव जीते थे।
विधानसभा सीट- खंडवा में आठ विधानसभा सीटों में से 7 भाजपा और एक कांग्रेस के पास है।

मंदसौर में भाजपा मजबूत स्थिति में
मंदसौर सीट पर भाजपा ने सांसद सुधीर गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने दिलीप सिंह गुर्जर को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर भाजपा मोदी और राम मंदिर के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है। वहीं, कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को आगे कर रही है। कांग्रेस का फोकस तीन लाख गुर्जर वोटरों को साधने पर है। हालांकि पार्टी की गुटबाजी भारी पड़ रही है। इस सीट पर 2009 के चुनाव को छोड़ दें तो 1989 से भाजपा का कब्जा है। 2019 में सुधीर गुप्ता ने कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन को 3.76 लाख वोटों से चुनाव हराया था।
विधानसभा सीट- मंदसौर में आठ विधानसभा सीट में से सात भाजपा और एक कांग्रेस के पास है।

उज्जैन में भाजपा का संगठन भारी
उज्जैन संसदीय सीट पर भाजपा ने सांसद अनिल फिरोजिया को फिर प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने महेश परमार को प्रत्याशी बनाया है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का क्षेत्र है। यहां पर भाजपा का संगठन मजबूत है। हालांकि तराना से विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार क्षेत्र में भाजपा को टक्कर देते आए हैं। यहां पर सात में से 6 सीट पर भाजपा विधायक जीते हैं। यह उनका चौथा चुनाव है। 2019 के चुनाव फिरोजिया ने 3.65 लाख वोटों से जीता था।
विधानसभा सीट- उज्जैन में आठ विधानसभा सीट में छह पर भाजपा और एक पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।

देवास में कांग्रेस नहीं दिख रही
देवास सीट पर भाजपा ने सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी को दोबारा मौका दिया है। वहीं, कांग्रेस ने राजेंद्र मालवीय को टिकट दिया है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर भाजपा मोदी की गारंटी, राम मंदिर और हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है। वहीं, कांग्रेस बेरोजगारी, महंगाई और पांच न्याय की गारंटी को लेकर मैदान में है। भाजपा का संगठन लगातार नीचे तक काम कर रहा है, लेकिन कांग्रेस की सक्रियता कम दिखाई दे रही है। यहां पर भाजपा सभी आठ विधानसभा सीटें जीती है। 2019 के चुनाव में महेंद्र सिंह सोलंकी ने 3.72 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी।
विधानसभा सीट- देवास में आठ विधानसभा सीटों में से सभी सीटें भाजपा के पास है।

इंदौर में एकतरफा चुनाव
इंदौर सीट पर भाजपा ने सांसद शंकर लालवानी को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नामांकन वापस लेने से मुकाबला एकतरफा हो गया है। शंकर लालवानी के सामने पर अब कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं दिख रहा है। भाजपा यहां पर मार्जिन बढ़ाने के लिए अब चुनाव लड़ रही है। यह पीसीसी चीफ जीतू पटवारी के क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी के चुनाव नहीं लड़ने से उन पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस पहले ही मुश्किल में है। वहीं, जीत तय होने के बावजूद अक्षय बम को पार्टी में शामिल कराने पर भाजपा नेताओं की भी किरकिरी हो रही है। ऐसे में कांग्रेस ने भी यहां पर नोटा का बटन दबाने का अभियान शुरू किया है। 2019 में शंकर लालवानी ने 5.47 लाख वोट से जीत दर्ज की थी।
विधानसभा सीट- इंदौर सीट में आठ विधानसभा सीटों में से सभी सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है।

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