भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट किस तरह का भारत बनाना चाहती है, उसका एक रुप बनाए गये इस विडियो में आपको दीख जायेगा. यह विडियो किसी गुप्त कैमरा की मदद से नहीं बनाया गया है, बल्कि सरेआम इन आतातायियों ने बनाया है, लोगों के बीच आतंक पैदा करने के लिए, पूरी तरह निर्भीक होकर.
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इन आततायियों को भली भांति पता है कि भारत की सरकार और उसकी पुलिस उसके साथ है. सुप्रीम कोर्ट भी आने वाले दिनों में उसे सम्मानित करने वाली है. आखिर हो भी क्यों न ? सुप्रीम कोर्ट ऐसे किसी भी विडियो को किसी मुकदमें में सबूत के तौर पर मान्यता नहीं देती है. इसी कारण सैकड़ों लोगों के बीच संघी गुंडों ने पहलु, अखलाक, तबरेज आदि की मॉबलिंचिंग कर हत्या कर दी. सैकडों विडियो बनाये गये, पर तत्कालिक तौर पर गिरफ्तार सभी न केवल बेगुनाह ही साबित हुए बल्कि हरेक को मोदी सरकार ने एनटीपीसी में शानदार नौकरी देकर पुरस्कृत भी किया.
गौरतलब है कि अखलाक की हत्या के बाद 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और इनमें से एक रवीन सिसोदिया की जेल में अंग फेल हो जाने के कारण मौत हो गई थी. बाकी आरोपियों को बेल मिल गई थी. सीएनएन न्यूज 18 के बातचीत में तेजपाल सिंह नागर ने कहा, जिस लड़के (रवीन सिसोदिया) की मौत हुई, उसकी पत्नी को एक महीने के भीतर प्राइमरी स्कूल में नौकरी और 8 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. इसमें से 5 लाख एक बार में दिए जाएंगे, जबकि बाकी स्थानीय स्तर पर किए गए कलेक्शन से आएंगे.
सरकार के इस त्वरित एक्शन प्लान ने देश के सामने एक मिशाल प्रस्तुत किया कि अगर सरकारी नौकरी चाहिए तो लोगों को मारो. दलितों और मुस्लिमों की हत्या करो.
इसके उलट जिन-जिन लोगों, बुद्धिजीवी और संस्थाओं ने इस दुर्दांत निकृष्ट हिन्दुत्ववादी मॉबलिंचिंग का विरोध किया या तो भारत सरकार की निगरानी में उनकी हत्या कर दी गई, अथवा उन पर झूठे मुकदमें डाल दिया गया अथवा उनको डराया धमकाया जाने लगा. फलतः देश भर में ऐसी घटनाओं की बाढ़ आ गई. मॉबलिंचिंग की इन घटनाओं पर एकहद तक राष्ट्रीय बहस तभी हो सकी जब पालघर में इसी दुर्दांंत लिंचरों के द्वारा दो साधुओं की हत्या नहीं कर दी गई.
अब जब यह तय हो गया कि मॉबलिंचिंग और बलात्कार का नुकसान सवर्ण हिन्दुओं को ही होने लगा है तब इस पर थोड़ा विचार किया गया और अब नये तरीके का हमला दलितों, मुसलमानों और कमजोरों के खिलाफ संगठित किया जाने का पूर्वाभ्यास किया है, मुजफ्फरपुर में कमजोर तीन महिलाओं को डायन के नाम पर मानव मल और मूत्र पिलाकर.
बिहार के जिला मुजफ्फरपुर स्थित डकरामा गांंव में बूटा सहनी की मांं, मौसी तथा घर की एक और महिला पर डायन होने का आरोप लगाकर उनके साथ की गई अमानवता तथा बर्बरता की अत्यंत शर्मनाक घटना है. तीन महिलाओं के बाल काटे गए तथा बुरी अवस्था में पूरे गांव में घुमाकर न केवल मूत्र और मानव मल पीने पर विवश किया बल्कि उसका सिर भी मुंड दिया.
हिन्दुत्ववादी ताकतों द्वारा यह अभी बेहद शुरुआती कदम है. यह अभी और आगे बढ़ेगा. ऐसी अंतहीन घटनाएं तब तक बढ़ेगी जब तक कि इस घटना का शिकार कोई सवर्ण तबका नहीं होता है, जो खांटी हिन्दुत्व का आधार स्तंभ है. आपको विदित होगा उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की रामराज्य की अवधारणा वाली सरकार के सत्ता में आते ही पुलिस द्वारा हत्याओं का अंतहीन सिलसिला शुरु हो गया. यह सिलसिला तब तक चला जब तक कि एक सवर्ण ब्राह्मण पुलिस गोली का शिकार होकर मर न गया.
इस घटनाओं (मुजफ्फरपुर की) ने साबित किया कि एक बार फिर हिन्दुत्ववादी ताकतों ने कमजोरों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. पुलिस उसे जेल भेजने का नाटक करेगी, न्यायालय उसे बेगुनाह बतायेगी और फिर भारत सरकार उसे सरकारी विभाग में उसे नियुक्त कर उपकृत करेगी. भारत सरकार ने सरकारी नौकरी पाने के लिए इसे एक विशेष योग्यता बना दिया है.
स्पष्ट तौर पर इस तरह के अमानवीय कृत्य को पुलिस, न्यायपालिका और भारत सरकार लगातार बढ़ा दे रही है. इसे केवल संगठित और हथियारबंद जनता ही रोक सकती है, केवल उसका सशस्त्र प्रतिरोध ही रोक सकता है. इसके सिवा इसे और किसी भी तरीके से रोका भी नहीं जा सकता है.