~डॉ. विकास मानव
अभी एक न्यूज पढ़ा, जिसमें बताया गया की तरबूज खाते ही एक महिला को तेज उलटी दस्त हुई और वह मर गई.
इन दिनों ऐसे बहुत सारे मामले सामने आ रहे हैं, जब लोग पेट की खराबी की समस्या को लेकर डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। इनमें ज्यादातर मामलों में कारण तरबूज या खरबूजा खाना होता है।
असल में गर्मी के मौसम में तरबूज और खरबूजा जैसे हाइड्रेटिंग फलों की मांग काफी ज्यादा बढ़ जाती है। इस डिमांड को पूरा करने और अधिक से अधिक प्रॉफिट बनाने के लिए इनमें मिलावट शुरू हो जाती है। ताकि ज्यादा से ज्यादा मात्रा में इस प्रकार के फलों का उत्पादन हो सके।
खाद्य पदार्थों के प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए खाद्य पदार्थों में मिलावट की जाती है। जिसका खामियाजा आम जन को भुगतना पडता है.
*पाचन तंत्र के लिए संवदेशनशील होता है गर्मी का मौसम :*
गर्मी के मौसम में पाचन क्रिया अधिक संवेदनशील होती है। वहीं इस दौरान पेट खराब होने के गंभीर मामले भी सामने आ रहे हैं और ज्यादातर मामलों में तरबूज और खरबूजा खाने के बाद ही लोगों के पेट खराब हुए हैं।
यदि देखा जाए तो इन फलों की गुणवत्ता कमाल की है और यह सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। परंतु इनको ज़हर में तब्दील किया जा रहा है.
*ज़हरीले तरबूज और खरबूजे कर रहे हैं नास :*
यह भोजन में समान बनावट और दिखावट के साथ हानिकारक तत्वों को मिलाने की प्रक्रिया है। इसमें इनका कंपोजिशन सामान्य नहीं होता। दूसरे शब्दों में, यह भोजन के पोषण तत्व को कम कर देता है। भारत में मिलावटी उत्पादों में से कुछ हैं गेहूं, दूध, पेय पदार्थ, शहद, मक्खन, आइसक्रीम, मसाले आदि सभी कुछ शामिल हैं। संबंधित सरकारी विभाग अपनी रिश्वत की फिक्स किस्त लेकर चैन की वंशी बजाता रहता है.
कई बार मिलावटखोर ऐसे खाद्य पदार्थों की क्वांटिटी को सामान्य दाम से कम दाम पर भी बेच देता है. मार्केट में ज्यादा प्रॉफिट कमाने के लिए इस प्रतिक्रिया को अपनाया जाता है। यह आम आदमी की सेहत के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है।
*तरबूज- खरबूज में ऐसे की जा रही है मिलावट :*
तरबूज और खरबूजा खाने से पेट खराब होने का एक महत्वपूर्ण कारण खाद्य मिलावट हो सकता है। खाद्य मिलावट, विशेष रूप से आर्थिक लाभ के लिए की जाती है, जिसमें फल की गुणवत्ता को जान बूझकर घटाया जाता है।
1. केमिकल एडल्टरेशन :
फल को जल्दी पकाने या उसका रंग बढ़ाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड और एरिथ्रोसिन जैसे केमिकल्स का उपयोग किया जा सकता है।
इनसे फलों की उत्पादकता तो बढ़ जाती है परंतु ये केमिकल्स स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं, और पेट में दर्द, उल्टी, और दस्त जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। बढ़ते डिमांड की वजह से ऐसा किया जाता है, जो लोगों को बीमार बना सकता है।
2. नॉन अप्रूव्ड एडिटिव्स का इस्तेमाल :
फलों के वजन और आकार को बढ़ाने के लिए नॉन अप्रूव्ड एडिटिव्स का इस्तेमाल किया जाता है। एडिटिव्स एक प्रकार के केमिकल्स होते हैं, जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हालांकि, कई ऐसे अप्रूव्ड एडिटिव्स भी हैं, जिसे खाद्य पदार्थों की लाइफ को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
मुनाफाखोर लोग डुप्लीकेट केमिकल्स को गैर कानूनी रूप से खाद्य पदार्थों में मिलाते हैं, ताकि उन्हें अधिक से अधिक प्रॉफिट प्राप्त हो सके।
इस प्रकार के एडिटिव्स पाचन क्रिया पर बेहद नकारात्मक असर डालते हैं और पेट संबंधित तमाम तरह की समस्याएं व्यक्ति को अपना शिकार बनाती है।
मिलावट किए गए फल जल्दी खराब हो सकते हैं, जिससे उनमें बैक्टीरिया और फंगस का ग्रोथ बढ़ जाता है। आम तौर पर लोग यह नहीं समझ पाते हैं, कि उनके फल इतनी जल्दी खराब हो जाएंगे और वे इसे सामान्य रूप से खाते हैं, जिसकी वजह से इससे फूड पॉइजनिंग के मामले बढ़ सकते हैं, जो पेट में गड़बड़ी का एक प्रमुख कारण है।
ऐसे में फूड प्वाइजनिंग पेट दर्द, लूज मोशन, वोमिटिंग आदि जैसी समस्याओं का कारण बनती है। जिससे नियमित दिनचर्या पर बेहद नकारात्मक फसल पड़ता है।
*फल खरीदते समय याद रखें ये बातें :*
~फलों की खरीद के समय उनकी प्राकृतिक रंगत और सुगंध पर ध्यान दें।
~संभव हो तो स्थानीय और भरोसेमंद विक्रेताओं से ही फल खरीदें।
~गर्मी के मौसम में फलों को लंबे समय तक रेफ्रिजरेटर या अन्य जगहों पर स्टोर करके न रखें।
~ तरबूज खरबूज खाने के तुरंत बाद कुछ नहीं पियें, चावल नहीं खाएं.
~ फल दुकान से लेकर तुरंत नहीं खाने लगें. उनकी साफ सफाई कर लें.