अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

भाजपा के दबदबे के पीछे संगठन की मजबूती, पैसे का बल, निगरानी और भय 

Share

भाजपा की जमीनी कार्यप्रणाली की वजह से उन्हें चुनावों में सफलता मिलती है. इसका कैडर और बूथ स्तर पर संगठन, पार्टी की कार्यशैली का जीता-जागता सबूत है जो इसे अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से कहीं आगे रखता हैं. 

जनादेश 2024 दावे बनाम सचाई में श्रीनिवासन जैन भाजपा और कांग्रेस के सांगठनिक मजबूती की तुलना कर रहे हैं कि कैसे पिछले दो चुनावों में कांग्रेस लगभग 90 फीसदी मुकाबलों में भाजपा से हार गई. 

जैन ने मुंबई उत्तरी केन्द्रीय लोकसभा क्षेत्र में दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं से बातचीत की. यहां से कांग्रेस ने चार बार की विधायक वर्षा गायकवाड़ को तो वहीं भाजपा ने पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब को सजा दिलवाने वाले सरकारी अभियोजक उज्ज्वल निकम को मैदान में उतारा है. 

गायकवाड़ के चुनाव अभियान में साफ तौर पर उनके सहयोगी दलों की वजह से ऊर्जा देखने को मिल रही है. वहीं शिवसेना (उद्धव) के कार्यकर्ता, कांग्रेस की जमीन पर कमजोर पकड़ की तरफ इशारा करते हैं. 

इसके विपरीत, भाजपा की खुद की उपस्थिति काफी बड़ी मात्रा में है. निकम के नया चेहरा होने के बावजूद, बूथ, वार्ड और मंडल कार्यकर्ताओं की वजह से पार्टी की लोगों में अच्छी पकड़ है. 

भाजपा का दावा है कि उन्होंने भारत की 543 लोकसभा सीटों के सभी 10.5 लाख बूथों पर मौजूद मतदाता सूची के हर पन्ने का एक प्रमुख बनाया है. इन्हें पन्ना प्रमुख कहते हैं. 

रीता बहुगुणा जोशी ने 2016 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का हाथ थाम लिया था. उनका कहना है कि कांग्रेस में बहुत से कार्यकर्ता हैं लेकिन सब के सब गुमराह हैं. “हम (कांग्रेस) एक आयोजन से दूसरे आयोजन तक काम करते रहे. हमारा लोगों तक पहुंचने का तरीका बेहद बंटा हुआ था… अब भाजपा में बेहद अनुशासन है. हर महीने, कार्यकर्ताओं के लिए वे 2 या 3 आउटरीच प्रोग्राम कराते हैं. इसलिए हर कोई जमीन पर काम करता है.” 

पार्टी का तंत्र जवाबदेही तय करने के लिए निगरानी और भय का सहारा लेता है. बहुगुणा कहती हैं, “भाजपा में कुछ अदृश्य लोग हैं जो आप पर नजर रखते हैं. जैसे आप तमिलनाडु में काम कर रहे हैं लेकिन आपके पास गुजरात के लोग हैं. आपको पता भी नहीं चलेगा. इस निगरानी से बहुत ही ज्यादा अनुशासन आता है और थोड़ा बहुत भय भी होता है.”

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें