अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

संघ  संविधान  और हिन्दुस्तानी तहज़ीब

Share

*सुसंस्कृति परिहार

  पिछले दिनों से संघ द्बारा 2020 में निर्मित  भारत का नया संविधान फेसबुक और व्हाट्स ऐप पर वायरल है यह मात्र सोलह पेज का है।इसकी शुरुआत संविधान  की आत्मा प्रथम अध्याय से हुई है जिसमें यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि भारत का नया संविधान हिंदूधर्म पर आधारित है इस धर्म के मुताबिक इसे हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाएगा जिसे हिंदुस्तान कहा जाएगा। हिंदू धर्म की मान्यता है कि हर मनुष्य एक दूसरे से भिन्न है इसलिए सबको नागरिकता नहीं मिल सकती। नागरिकता का आधार धर्म ही होगा। वगैरह वगैरह।

यह वह मनुसंहिता है जिसमें ब्राह्मण और क्षत्रिय वर्ग के पास अधिकार केंद्रित होंगे शेष दो वर्ण के लोग अपने पूर्वजों के धंधे को ही अपनाएंगे। मनुवादी संस्कृति में स्त्री बच्चों के पालन पोषण तक ही सीमित रहेगी। विदित हो देश में मनुसंहिता के विरोध में ही समता , स्वतंत्रता और लोकतंत्र की प्रतिस्थापना संविधान समिति ने भारतीय संविधान में की थी।अब ये बिल्कुल तय माना जा रहा है यदि 2024में सत्ता मनुवादी सोच के लोगों के हाथ में पहुंच जाती है और चार सौ पार की सीमा पर पहुंच जाती है तो यह नया भारतीय संविधान संघ द्वारा निर्मित लागू होने में देर नहीं लगेगी।इस बार का आमचुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है और संविधान बचाओ की भावना को लेकर इंडिया गठबंधन लड़ रहा है ताकि भारतीय तहज़ीब सुरक्षित रहे।हाल ही में इसीलिए संघ से दूरी की खबरें सुनियोजित तरीके से फैलाई गईं जिससे लगे भाजपा साम्प्रदायिक पार्टी नहीं है लेकिन इसका अहसास हर हिंदुस्तानी को अब तक हो गया होगा बढ़ता संघवाद हिंदुत्व के नाम पर जिस तरह की कोशिशें अपने अनुशंषी संगठनों के ज़रिए संघ भाजपा का साथ लेकर कर रहा है और अपना दामन हिंदु मुस्लिम का डीएनए एक है कहकर सुरक्षित रखने की कोशिश में लगा है। जबकि अंदर की बात यह है वह भारतीय संस्कृति जिसे हिंदुस्तानी तहज़ीब कहा जाता को गहरी चोट पहुंचाने में लगा है हालांकि अल्लामा इक़बाल की कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी की सदाएं बराबर सारे जहां से अच्छे हिंदुस्तान में गूंजती हुई उसे सलामत रखे हुए हैं। वास्तव में हिंदु कोई धर्म नहीं हम सब सनातन धर्म को मानने वाले लोग हैं।हिंदु हमारी संस्कृति है।जिसे हम भारतीय संस्कृति के नाम से जानते हैं।

पिछले कई दशकों पूर्व आज़ादी के तुरंत बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या को जिस तरह वध कहा गया और संघ ने खुशी जाहिर की गई आज वही लोग सत्ता पर काबिज़ हैं।जब गांधी जी की हत्या की गई तभी संघ ने यह सोचा था कि अब बाजी उनके हाथ में रहेगी ,वधिक नाथूराम गोडसे हिंदु महासभा का था, संघ तो अपने को दोषमुक्त मानता है लेकिन इस हत्या ने गांधी के कद को और बढ़ा दिया यही वजह है हिंदुत्व का नशा तो बराबर तारी रहा पर गांधी-नेहरु के तिलस्म को,,, जनता के अपार प्यार को 2013 तक वे तोड़ नहीं पाए।इस पराजय के बावजूद संघ ने ग्रामीण स्तर तक अपने कदम सरस्वती शिशु मंदिर के ज़रिए पसार लिए हालांकि हिंदू समाज में आज भी संघ अल्पसंख्यक हैसियत रखता है। आम लोग इन्हें बापू का हत्यारा मानते हैं।इनसे घृणा करते हैं।

इसके बाद प्रायोजित तौर पर बाबरी मस्जिद का ढहाना और जय श्री राम के उत्तेजक नारे से दलित और पिछड़े वर्ग में भाजपा के प्रति अंधश्रद्धा जन्मी। कांग्रेस के लंबे शासनकाल से नाराज़ जनता का मोहभंग हुआ और भाजपा की ओर फिसलन शुरू हो गई। लेकिन पटापेक्ष हुआ गुजरात नरसंहार के बाद जब बहुसंख्यक वर्ग को हिंदुत्व का गरलपान करने का मंत्र संघ ने दिया साथ ही इस नरसंहार के जिम्मेदार मोदी और अमित शाह को लोकसभा चुनाव में हीरो बतौर पेश किया। मोदी जी के विध्वंसक कपोल कल्पित भाषण और जुझारू शैली ने लोगों को आकर्षित किया। अंबानी अडानी ने जमकर धन वर्षा की।इसका  भारतीय समाज के मात्र 31%लोगों पर असर हुआ लेकिन सरकार बनाने में भाजपा सफल रही। इससे पहले भी अटल जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार थी लेकिन अटल जी की सौजन्यता और नेहरू के सिद्धांतों ने उन्हें लोकतांत्रिक पटरी से उतरने नहीं दिया लेकिन मोदी के आते ही मानो संघ की अवधारणाओं के पर लगने शुरू हो गए ।

राम मंदिर का निर्माण ,कश्मीर से 370 धारा हटाना जैसे महत्वपूर्ण कार्य गलत सलत तरीके अपनाकर, संविधान का उल्लंघन कर किया गया। एनआरसी से अल्पसंख्यकों को कुचलने और वतन से बाहर भेजने का कानून बनाने में दुनिया के देशों का दबाव ना होता तो कुछ भी हो सकता था। इन सबके बाद चुनाव आयोग से मिलकर धांधली, दल-बदलने को प्रोत्साहन और पूर्ण बहुमत की सरकार गिराना एक शगल बन गया है। कांग्रेस मुक्त भारत की परिकल्पना के साथ आने वाले लोग विपक्ष का महत्व कैसे स्वीकार कर सकते हैं। दलितों को कुचलने के साथ समरसता भोज, आदिवासी समाज को वनवासी कहकर उनका अपमान। वनवासी कुंभ का आयोजन,राशन घर पहुंचाने और उनके पूर्वजों जो आज़ादी के संग्राम में अपनी जान खोए ,का अचानक स्मरण ,संग्रहालय और अन्य सुविधाओं की घोषणा चुनावी हथकंडे जारी है। सबसे बड़ा दारोमदार पिछड़े वर्ग का है जिसे साधने 27%की घोषणा हो चुकी है लेकिन वे जनसंख्या के आधार पर आरक्षण चाहते हैं। जातिवार जनगणना भी जिसमें इस बार कोरोना के कारण विलंब हो रहा है।अब तो संघ के महापुरुष भागवत जी हिंदू मुस्लिम डीएनए एक बता रहे हैं जबकि उनके आनुषंगिक संगठन गौहत्या, लव-जिहाद,  धर्मांतरण,जय श्री राम जैसे मामलों में मुसलमानों में दहशत फैला रहे हैं। अब तो सीधे कत्लेआम की सरे आम घोषणाएं हो रही हैं जबकि मुस्लिम, ईसाई ,दलित और आदिवासी उनके हिंदुत्व वाले ढांचे में बिल्कुल फिट नहीं है।सबको अपने पसंद का धर्म चुनने का अधिकार हमारा संविधान देता है। आदिवासियों को सुप्रीम कोर्ट भी मान चुका है वे हिंदू नहीं है।दलित आज भी स्वर्ण जातियों के बीच क्या हैसियत रखते हैं वे और हम सब बख़ूबी जानते हैं।

कहा जा रहा है जब तक भारत में चुनाव हो रहे हैं तभी तक संघ का ये लिपापुता चेहरा देखने मिल रहा है एक बार फिर यानि 2024 यदि उनके पाले में आ जाता है तो यकीन मानिए संविधान की जगह मनुसंहिता होगी और तिरंगे की जगह भगवा झंडा ले लेगा यानि भारत अपने सामंती स्वरुप में नज़र आएगा । लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं भाजपा और संघ के सभी संगठनों के चाल ,चरित और चेहरे 2014 के बाद से लोगों ने भली-भांति पहचान लिए हैं वह जाग गई हैं और फिर ऐसी गलती नहीं करेंगे। बंगाल से उठी लहर ने किसान आंदोलन को जो राष्ट्रीय पहचान दी है उसकी चुनावी दस्तक से तथाकथित राष्ट्र वादियों की नींदें उड़ी हुई  है, बेरोजगारी और मंहगाई के आलम में कोरोना के वैक्सीन ने भी जनता का हाल बेहाल कर रखा है। बहरुपिया सरकार की अब कहीं दाल नहीं गलने वाली। दूसरे संगठनों के ज़रिए राष्ट्र में अराजक माहौल बनाने वाले संघ का आवरण उतर चुका है वह एक बार फिर परास्त होगी । भारतीय संस्कृति अजर अमर है और रहेगी।जय संविधान।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें