-डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर
31 मई को भारतीय अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के सदस्य संजीव सान्याल ने ब्रिटेन से 100 टन सोना भारत वापस मंगा लिये जाने की जानकारी देकर सबको चौंका दिया। न किसी को राय-मसविरा देने का मौका दिया, न विपक्षी नेताओं को आलोचना करने का अवसर और न किसी को श्रेय लेने या आचार-संहिता के उल्लंघन की दलील देने का मौका मिल पाया। मध्यावधि चुनाव के अंतिम चरण के मतदान की पूर्वसंध्या पर देशवासियों को यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।
व्यवहार में कोई निर्धन व्यक्ति अपने मित्रों या संबंधियों से उधार मांगता है तो देने वाला कई बार सोचता है कि इसकी वापस करते की औकात है या नहीं, और कोई न कोई बहाना बनाकर उसे मना कर देता है। वहीं किसी समर्थ व्यक्ति द्वारा मांगे जाने पर तुरत देने के लिए कई लोग खड़े हो जाते हैं। ठीक यही स्थिति देशों की भी है। किसी भी देश की साख इस बात पर निर्भर करती है कि उसके पास कितना सोना-भण्डार है।
भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था। विदेशी आक्रान्ताओं ने भारत की संपत्ति को कई स्तरों में लूटा और समृद्धि को नष्ट किया। पिछले लगभग अर्द्धशतक तक भारत को सोना-भण्डार के रूप में समृद्ध बनाने के लिए किसी सरकार द्वारा सकारात्मक पहल नहीं की गई, न इस तरह की कोई योजना बनाई गई। बल्कि 1990 तक विदेशी मुद्राभण्डार के रूप में देश लगभग कंगाल हो चुका था।
1991 में चंद्रशेखर सरकार ने विदेशी मुद्रा सकंट के कारण 400 मिलियन डॉलर की राशि जुटाने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान में 46.91 टन सोना गिरवी रखा था। तब मनमोहन सिंह वित्तमंत्री थे। इस दौरान देश की बहुत आलोचना हुई थी। भारत ने 1991 के बाद पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में सोने की घर वापसी कराई है। पिछले 35 सालों के बाद आज भारत को यह गर्व की बात है।
तब के वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने यूपीए की सरकार में प्रधानमंत्री रहते अपनी पूर्व की गलती को सुधारते हुए 20 साल बाद सन् 2009 में देश की संपत्तियों को डाईवर्सिफाई करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 200 टन सोना खरीद लिया, इसके लिए आरबीआई को 6.7 अरब डॉलर खर्च करने पड़े थे। इसके बाद से रिजर्व बैंक लगातार सोने की खरीद कर रहा है।
हालिया आंकड़ों के अनुसार मार्च के अंत में आरबीआई के पास 822.1 टन सोना था, जिसमें से 413.8 टन सोना विदेशों में था। हाल के वर्षों में सोना खरीदने वाले केंद्रीय बैंकों में रिजर्व बैंक शामिल है, पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान इसमें 27.5 टन सोना जोड़ा गया था। आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च 2024 तक केंद्र सरकार के पास 822.10 टन सोना था। जबकि इसके पिछले साल 794.63 टन सोना था। यही प्रगति रही तो भारत को पुनः सोने की चिड़िया बनने से कोई नहीं रोक सकता। हर भारतवासी को अपने देश पर गर्व है।
-डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
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