अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

अरुंधति के खिलाफ मुकदमा चलाने की कई दलों और संगठनों ने की निंदा

Share

नई दिल्ली। प्रख्यात लेखिका अरुंधति राय के खिलाफ 14 साल पुराने मामले में मुकदमा चलाने की दिल्ली के एलजी की अनुमति का विरोध शुरू हो गया है। कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। इसके साथ ही तमाम शख्सियतें भी सरकार की इस पहल का विरोध कर रही हैं।

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है। पार्टी ने इस मसले पर जारी अपने एक ट्वीट में कहा है कि दिल्ली के एलजी ने अरुंधति राय के खिलाफ काले यूएपीए कानून के तहत 14 साल पहले दिए गए एक भाषण के मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। जो फासीवाद के सिवा किसी भी तर्क पर खरा नहीं उतरता है। पार्टी ने कहा कि समय को लेकर भी सरकार की मंशा पर सवाल है। ऐसे समय में जबकि कोर्ट की छुट्टी चल रही है और वकील भी छुट्टी पर हैं तब ऐसा किया जाना बेहद शर्मनाक और निंदनीय है।

नागरिक अधिकार संगठन पीयूसीएल ने अरुंधति के खिलाफ चलाए जाने वाले मुकदमे को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित, निहायत ही अनुचित और प्रतिशोधी करार दिया है। संगठन ने कहा कि सक्सेना द्वारा आईपीसी की धाराओं के तहत दिए गए मुकदमे को चलाने की अनुमति के रास्ते में सीआरपीसी की धारा 468 दीवार बनकर खड़ी हो गयी है। क्योंकि कानूनी प्रावधान के तहत तीन साल से कम की किसी सजा के मामले में कानूनी कार्रवाई तीन साल के भीतर शुरू हो जानी चाहिए वरना मुकदमा कोर्ट में नहीं टिक पाएगा। और यहां यह समय 14 साल हो गया है। पीयूसीएल ने कहा कि सक्सेना इस बाधा को ही पार करने के लिए 14 साल बाद यूएपीए की धारा 13 को लगाए हैं जिससे अरुंधति के खिलाफ मुकदमे को कोर्ट में कानूनी तौर पर टिकाया जा सके।

एआईपीएफ ने भी इसकी निंदा की है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसआर दारापुरी ने कहा है कि प्रसिद्ध लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति राय पर दिल्ली के उप राज्यपाल द्वारा यूएपीए लगाने की अनुमति देना निंदनीय है और उन पर लगे मुकदमे तत्काल वापस लिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि चौदह साल पुराने और प्राइवेट व्यक्ति सुशील पंडित द्वारा कोर्ट के माध्यम से कायम करवाये मुकदमे में यूएपीए कायम करना बदले की भावना से की गई कार्रवाई है। 

इतने लंबे समय के बाद अरुंधति राय पर यूएपीए लगाया जाना मोदी सरकार की सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों एवं लेखकों के उत्पीड़न की पूर्व से चली आ रही नीति का ही हिस्सा प्रतीत होती है। लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने मोदी सरकार की दमन की अलोकतांत्रिक कार्रवाई को खारिज किया है पर इससे सबक लेने की जगह आज भी सरकार असहमति की आवाजों को कुचलने में लगी हुई है।

आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर समाज के सभी हिस्सों, राजनीतिक पार्टियों, नागरिक समाज से अरुंधति राय के मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न के विरोध में खड़े होने का आवाहन करता है।

इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर के लेखकों की भी प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। लेखक अमितव घोष ने कहा है कि अरुंधति राय की घेरेबंदी किसी भी रूप में बर्दाश्त करने योग्य नहीं है। वह एक महान लेखिका हैं। और उन्हें अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। मुकदमे के मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिरोध होना चाहिए। जो उनके खिलाफ एक ऐसी बात के लिए चलाया जा रहा है जिसे उन्होंने एक दशक पहले कही थी।

पिछले साल अक्तूबर में जब पहली बार यह मामला सामने आया था तब डॉ. मीना कंडासामी ने गार्जियन में एक लेख लिखा था। जिसको शेयर करते हुए उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि अक्तूबर में लिखे गए इस पीस को मैं शेयर कर रहा हूं। मुझे सचमुच में आशा है कि अरुंधति राय जैसी मशहूर लेखिका की घेरेबंदी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी प्रतिक्रिया होगी जो मोदी रेजीम को पीछे जाने के लिए मजबूर कर देगी।सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगड़े ने कहा है कि अदालत में यह मुकदमा नहीं टिक पाएगा।

आपको बता दें कि 2010 में दिल्ली के कापरनिकस मार्ग पर स्थित एक हॉल में आयोजित एक सभा में अरुंधति रॉय ने एक भाषण दिया था। जिसमें उन्होंने कश्मीर के बारे में अपने विचार व्यक्त किए थे। उसी के खिलाफ सुशील पंडित नाम के एक शख्स ने एफआईआर दर्ज करायी थी। जिसका संज्ञान लेते हुए दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने अब आईपीसी की विभिन्न धाराओं और यूएपीए के तहत उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें