अग्नि आलोक
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आने वाले पांच सालों में इंदौर में चारों ओर होगी हरियाली

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न्दौर। इंदौर शहर में अभी हरियाली का प्रतिशत साढ़े 9 है। 51 लाख पौधे लगाने के बाद ये जब पनपने लगेंगे, तब यह प्रतिशत 18 हो जाएगा और इसी तरह हर साल बड़े स्तर पर पौधारोपण अभियान चलाकर इंदौर को हरियाली से ढंका जाएगा, ताकि आने वाले समय में यहां ऑक्सीजन तो मिले ही, वहीं जमीन में जलस्तर भी बढ़े। इंदौर में अगले महीने 51 लाख पौधे लगाने का रिकार्ड बनने जा रहा है। कल मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस अभियान की लांचिंग की और अभियान का लोगो, सोशल मीडिया अकाउंट तथा गीत को लांच किया। इस मौके पर शहर के सभी सामाािजक संगठन, राजनीतिक दल,धार्मिक संगठन के प्रतिनिधि और सोशल मीडिया वालेंटियर भी मौजूद रहे।

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अभियान को लेकर मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि इंदौर किस तरह से 51 लाख पौधे लगाने का रिकार्ड बनाएगा। उन्होंने बतायाािक यह अभियान अब 7 जुलाई से शुरू होगा और हर दिन अलग-अलग स्थानों पर पौधे रौंपे जाएंगे। सबसे बड़ा अभियान बीएसएफ कैम्पस में होगा और नगर निगम भी एक दिन में अपने सभी 85 वार्डों में पौधारोपण करेगा। कार्यक्रम में मंत्री तुलसी सिलावट, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, सांसद शंकर लालवानी, सभी विधायक, निगम सभापति मुन्नालाल यादव आदि मौजूद रहे। दावा किया जा रहा है कि आने वाले समय में शहर में ग्रीन कवर बढक़र 18 प्रतिशत हो जाएगा। जिस तरह से इंदौर ने स्वच्छता में नंबर वन का तमगा पाया है, उसी तरह इंदौर को ग्रीन सिटी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। मंत्री विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री का आभार माना और कहा कि जिस तरह से उन्होंने बावड़ी और कुओं को प्रदूषणमुक्त करने का अभियान शुरू किया है, वह काबिले तारीफ है। पौधों को पानी देने के ेलिए ड्रिप इरिगेशन की व्यवस्था भी की जा रही है। पौधों की व्यवस्था भी हो गई है। 40 लाख पौधे वन विभाग दे रहा है और 10 लाख जनभागीदारी के माध्यम से मिल रहे हैं। 10 लाख पौधे और खरीदे जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि इंदौर जो करता है, वो मिलकर करता है और उन्हें यकीं हैं कि 51 लाख पौधे पूरे लग जाएंगे। जाते-जाते मुख्यमंत्री 20 करोड़ रुपए की राशि भी पौधारोपण अभियान के लिए मंजूर कर गए।

19 के बाद रोज होंगे 2 लाख गड्ढे
विजयवर्गीय ने बताया कि जब हमने अभियान का बीड़ा उठाया था, तब कहा गया था कि इतने गड्ढे खोदना आसान नहीं है। फिर हमने मशीनें लगाईं। अभी 1 लाख गड्ढे रोज खुद रहे हैं और 19 जून के बाद कुछ और मशीनें आएंगी, फिर हर दिन 2 लाख गड्ढे रोज खोदे जाएंगे, जिससे हमारा लक्ष्य पूरा हो जाएगा।

डॉक्टरों को बुलाया जल्दबाजी में
वैसे तो नक्षत्र में केवल पौधारोपण अभियान का कार्यक्रम था, लेकिन मुख्यमंत्री हर कार्यक्रम में दो घंटे देरी से चल रहे थे। उन्हें अभय प्रशाल में आयोजित हेल्थ सर्वेक्षण के कार्यक्रम में भी जाना था। इसमें भी समय लगता। इसलिए डॉक्टरों के कार्यक्रम को नक्षत्र में ही पौधारोपण अभियान के कार्यक्रम के साथ रख लिया गया। इसके माध्यम से डॉ. विनीता कोठारी और डॉ. अरुण अग्रवाल ने 28 लाख लोगों पर किए गए हेल्थ सर्वेक्षण का डाटा साझा किया।

मिनी सिटी फारेस्ट बनेगा

 मरीजों का इलाज करने वाले डाक्टर्स अब पर्यावरण का भी इलाज करेंगे। इसकी शुरुआत महात्मा गांधी स्मृति मेडिकल कॉलेज सालों से खाली पड़ी अपनी जमीन पर मिनी सिटी फॉरेस्ट से शुरू करने जा रहा है। इस मिनी सिटी फॉरेस्ट में छायादार और फलदार पेड़, मियावाकी तकनीक से पौधे लगाकर तैयार किए जाएंगे। बारिश शुरू होते ही मिनी सिटी फारेस्ट पर काम शुरू कर दिया जाएगा

इस योजना पर मेडिकल कॉलेज शुरुआत में ही 10 लाख रुपए खर्च कर रहा है। यह राशि उन सभी डाक्टर्स से इकट्ठी की जा रही है, जो पिछले 75 सालों में इस मेडिकल कॉलेज से पढ़ कर देश-विदेश में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना वर्मा ने बताया कि मिनी सिटी फॉरेस्ट बनाने का आइडिया तब आया, जब हम सब डाक्टर्स और मेडिकल स्टाफ ने महसूस किया कि इस साल की प्रचण्ड गर्मी के चलते कूलर और एयर कंडीशनर भी दम तोड़ते नजर आ रहे थे। घर या कॉलेज, हॉस्पिटल से बाहर सडक़ों पर रात को दस बजे तक गर्म हवाओं की लू चल रही थी। हम सबने इस विषय पर मीटिंग की व सिर्फ इस मुद्दे पर चर्चा की।

इस योजना पर मेडिकल कॉलेज शुरुआत में ही 10 लाख रुपए खर्च कर रहा है। यह राशि उन सभी डाक्टर्स से इकट्ठी की जा रही है, जो पिछले 75 सालों में इस मेडिकल कॉलेज से पढ़ कर देश-विदेश में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना वर्मा ने बताया कि मिनी सिटी फॉरेस्ट बनाने का आइडिया तब आया, जब हम सब डाक्टर्स और मेडिकल स्टाफ ने महसूस किया कि इस साल की प्रचण्ड गर्मी के चलते कूलर और एयर कंडीशनर भी दम तोड़ते नजर आ रहे थे। घर या कॉलेज, हॉस्पिटल से बाहर सडक़ों पर रात को दस बजे तक गर्म हवाओं की लू चल रही थी। हम सबने इस विषय पर मीटिंग की व सिर्फ इस मुद्दे पर चर्चा की।

बीमारी का तो कर सकते हैं मगर गर्मी का इलाज कैसे करेंगे
सबने डाक्टर्स ने यही कहा कि हम आने वाली पीढ़ी को क्या देकर जा रहे हैं। जब इस साल यानी 2024 में तापमान इंदौर में 44 डिग्री को पार कर गया है तो आने वाले 5 या दस सालों में 50 डिग्री तक पारा उछलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। ऐसे हालातों में हम सब डाक्टर्स या हॉस्पिटल तब क्या करेंगे। हम बीमारी से पीडि़त मरीजों का इलाज कर सकते हैं, मगर प्रचण्ड गर्मी का इलाज कैसे करेंगे। इसके बाद सबने निर्णय लिया कि हम सालों से खाली पड़ी अपनी जमीन पर बिना किसी सरकारी मदद के मिनी सिटी फारेस्ट तैयार करेंगे। इसके लिए हम सब डॉक्टर ने आपस मे 10 लाख रुपए का फंड जुटाने की मुहिम शुरू की है और हम इसमें कामयाब हो रहे हैं।

काम शुरू कर दिया है, बस बारिश का इंतजार
एमवाय हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज के बीच किंग एडवर्ड स्कूल के पास खाली पड़ी जमीन पर जापान की मियावाकी तकनीक से 1500 पेड़ों का मिनी सिटी फारेस्ट तैयार करवा रहे हैं। इसका काम शुरू भी कर दिया गया है, बस बारिश का इंतजार है।
-डॉ. संजय दीक्षित -डीन, महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज

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