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मध्यप्रदेश के सिवनी में हिंसा फैलाने के लिए 60 से अधिक गौ हत्या!

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सतीश भारतीय

 सिवनी‌ जिले में बीते दिनों गौ हत्या का मामला सामने आया है। बताया गया कि 60 से अधिक गायों की हत्या की गयी है। गौ हत्या के जरिए हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़काने की आशंका जताई जा रही है। मामले की जांच करते हुए पुलिस ने अब तक 20 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

गौ हत्या के यह मामले थाना धूमा, केवलारी और धनौरा के बताए गये। इन क्षेत्रों में बेनगंगा नदी के आस-पास गायों के शव मिले हैं। गायों के गले के नीचे कट लगाया गया, जिससे गायों की मौत हो गयी।  

घटना पर क्या कहता है प्रेस नोट

सिवनी के एक पत्रकार ने‌ हमारे‌ साथ एक प्रेस नोट भी साझा‌ किया। इस प्रेस‌ नोट पर‌ किसी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं है। ना ही मुहर है। इसलिए हम प्रेस नोट की प्रमाणिकता का दावा‌ नहीं कर सकते। मगर, प्रेस नोट में लिखी जानकारी आपके साथ साझा कर रहे हैं।

प्रेस नोट का शीर्षक है:- जिला सिवनी के विभिन्न स्थानों पर गौवंश वध में दर्ज प्रकरणों में शामिल सभी आरोपी गिरफ्तार।

प्रेस नोट के कुछ महत्वपूर्ण अंश में लिखा गया है कि,

दिनांक 19/06/2024 को थाना धूमा के अंतर्गत 28 मृत गौवंश मिले। थाना धनौरा के तहत 22 मृत गौवंश मिले। धनौरा में दिनांक 21/06/24 को 08 गौ  वंश और मृत पाए गए। चौकी पलारी बैन गंगा नदी देवघाट में 07 की संख्या में मृत गौवंश सामने आए। गौ वंश की हत्या के मामले में 22 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। जिसमें अज्ञात आरोपी भी शामिल हैं। 

इन आरोपियों में 15 आरोपी थाना धूमा के हैं। जो अपराध क्रमांक 214/2024 में गिरफ्तार हुए हैं। चौकी पलारी थाना केवलारी के 03 आरोपियों को अपराध क्रमांक 271/2024 के तहत गिरफ्तार किया गया है। 

थाना धनौरा के अपराध क्रमांक 216/2024 में 04 आरोपियों को गिरफ्तार किये गये हैं। 

प्रेस नोट में आगे जिक्र किया गया कि, घटना के आरोपियों में से वाहिद द्वारा घटना में संलिप्त होना‌ स्वीकार किया गया। आरोपी इसरार ने गौवंशों के वध करने की योजना बनाना स्वीकार किया। इसरार ने बताया कि, गाय-बैलों की हत्या करने के‌ नाम पर पैसा कमाने की योजना थी। 

प्रेस नोट के मुताबिक इस घटना में आरोपी महाराष्ट्र (नागपुर) और मध्यप्रदेश (सिवनी) से हैं। आरोपियों में हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्म के लोग शामिल है। 

घटनाक्रम में लिखे गये पत्र और ज्ञापन

मुस्लिम समुदाय धनौरा द्वारा दिनांक 20/06/2024 को जिला दंडाधिकारी सिवनी के लिए एक ज्ञापन‌ दिया गया। इस ज्ञापन‌ में लिखा गया कि, घूमा थाना के अंतर्गत जंगल में गौवंश मृत पाए गये हैं, जिनका गला काटकर फेका गया है। यह बहुत ही शर्मनाक और निंदनीय कृत्य है। यह कृत्य किसी भी समाज में स्वीकार्य योग्य नहीं है। यह सिवनी जिले और पूरे प्रदेश की शांति को भंग करने की एक सोची समझी शाजिश हो सकती है।

अतः गौ हत्या में जो भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म या जाति के शामिल हों। उनकी निष्पक्ष जांच कर दोषी व्यक्ति या व्यक्तियों पर कानूनन कठोरतम सजा की कार्यवाही की जाए। जिससे पुनः इस कृत्य की पुनरावृत्ति ना हो पाये।

घटनाक्रम में सख्त कार्रवाई को लेकर‌ ऐसा ही एक पत्र हनफिया जामा मस्जिद कमेटी ने दिनांक 21/06/2024 को सिवनी कलेक्टर के नाम लिखा। 

घटनाक्रम को लेकर दिनांक 20/06/2024 को‌ ही युवा कांग्रेस जिला सिवनी ने एक ज्ञापन पुलिस अधीक्षक सिवनी को सौंपा। इस ज्ञापन में लिखा गया कि, आसामाजिक तत्वों ने साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने के उद्देश्य से उक्त कार्य को‌ अंजाम दिया है। युवा कांग्रेस आपसे अपेक्षा करती है कि, घटना का पर्दाफाश हो, दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो।‌  

विधायक ने लिखा सीएम को पत्र

लखनादौन क्षेत्र के विधायक योगेन्द्र सिंह (बाबा) ने गौ हत्या की घटना के संबंध में मुख्यमंत्री महोदय को एक पत्र लिखा। पत्र पर‌ दिनांक 18/06/2024 अंकित है। 

पत्र का विषय था:- गौमाता के हत्यारों के रूप में हत्या एवं रासुका का मामला दर्ज करवाने बाबत।

पत्र के महत्वपूर्ण अंश में लिखा गया कि, मेरी विधानसभा के धूमा थाना के ग्राम मरघटिया के पास 28 गौवंशों की गला काटकर हत्या कर दी गई है। जिसमें 18 गौमाता एवं केवलारी विधानसभा के ग्राम पिण्डरई बैनगंगा नदी के कुरकू घाट में 14 मृत गौवंश एवं चौकी पलारी में बैन गंगा नदी देवचार में गौवंश मिले हैं।

हम आपसे आग्रह करते हैं कि गौमाता के हत्यारों को पकड़कर उनके ऊपर हत्या एवं रासुका की कार्यवाही करवाने का कष्ट करें।

घटना‌‌ पर स्थानीय लोग क्या कहते हैं

गौ वंश की हत्या के घटनाक्रम को स्थानीय ल़ोग किस तरह देख रहे हैं? यह जानने के लिए के हमने कुछ स्थानीय लोगों से भी बातचीत की। 

हर्षवर्धन सिंह किसान हैं। वह घटना स्थल के पास रहते हैं। हर्षवर्धन कहते हैं कि, 

“यह मामला बकरीद के दिन का है। तब मुस्लिम धर्म के लोगों को इस मामले में टारगेट कर‌ दिया गया है।‌ लेकिन, इस वारदात को अंज़ाम देने में अन्य धर्म के‌ लोगों का भी हाथ है। अच्छे से‌ जांच होगी, तब अन्य धर्म के लोग भी इसमें निकलेगें। इस घटना में ऐसे धर्म के लोग‌ भी शामिल हैं, जो‌ जीव हत्या को बहुत बड़ा‌ पाप समझते हैं। मगर् वे‌ गाय के बाजारों के ठेके लेने का काम करते हैं।”

“यह घटना हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़काने के लिए नहीं है। ना ही हिंदू भावनाओं को आहत करने‌ के लिए की गयी। यह पूरा मामला गोकुशी का है। मेरी‌…समझ से गाय बीफ की सप्लाई-डिमांड का जो अनुपात बिगड़ गया होगा। उससे यह घटना हुयी।”

हर्षवर्धन आगे‌ बताते हैं कि, 

“बेनगंगा नदी के पास गायों के गले का हिस्सा लगभग छह इंच काटा गया है। जिससे गायों की मौत हुयी‌। गायों को घटना स्थल पर छोड़ दिया गया। जब बारिश आयी तब गायों का शरीर पानी के बहाव‌ में नदी में पहुंच गया। गायों को मारकर नदी में नहीं फेंका गया है।”

इसके बाद हर्षवर्धन बयां‌ करते हैं कि, “ज्यादातर गाय हिंदू धर्म के‌ लोग‌ पालते हैं। जब गाय दूध देना बंद कर‌ देती है, तब गायों को बेच दिया जाता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि, जिन गायों को बेचा जाता है वे गायें जाती कहां हैं? गाय पालने वालों और गौ‌ हत्या को बंद करने की आवाज उठाने वालों को मेरी नसीहत है कि, गाय को पालने के साथ गाय के संवर्धन पर ध्यान दें।,,

हर्षवर्धन यहीं नहीं रुकते आगे वह दावा करते हैं कि,

“आज मध्यप्रदेश की गौशालाओं का निरीक्षण कर लिया जाये, तब वहां‌ हजारों कंकाल मिलेगें। हमारे पास एक गौशाला में पिछले वर्ष 60 कंकाल मिले‌ थे।,,

“गौ एक जागरूकता का विषय भी है। जब गाय दूध देना बंद कर देती है। तब हम गाय के लिए क्या उपाय कर सकते हैं। यह विचारणीय है। आज गाय पालना गरीब आदमी का विषय नहीं है। दो गाय पालने के लिए सालाना एक लाख रुपए की आवश्यकता होती है। यह राशि गाय के खान-पान स्वास्थ्य अन्य सुविधाओं के लिए जरूरी है।”

आगे शांतनु बघेल घटनाक्रम पर अपना विचार रखते हुए कहते  हैं कि, “इस तरह का मामला हमारी नजर में पहली बार आया है। हम सालों से मुस्लिम समुदाय के साथ रह रहे पर ऐसा मामला कभी सुनने नहीं मिला। वो (मुस्लिम) इस तरह के हैं भी नहीं। सोचने…वाली बात है कि आरोपियों की संख्या कम है घटना में मृत गायों की संख्या अधिक है।”

शांतनु आगे बोलते हैं कि,“इस घटना में राजनीतिक षड्यंत्र का हाथ है। हिंदू-मुस्लिम सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश इस घटना में कुछ लोगों द्वारा की जा रही थी। मगर, जनता जागरूक है। जनता ऐसे लोगों के झांसे में नहीं आयी। चूंकि ज्यादातर आरोपी मुस्लिम हैं। मगर, फिर भी मुस्लिम समुदाय ने आरोपियों का सपोर्ट नहीं किया। ना ही किसी तरह का विरोध प्रकट किया। बल्कि कहा आरोपियों को सजा दी जाये।”   

आगे हमने मुस्लिम समुदाय के एक शख्स राजिक खान से‌ घटना के संबंध में चर्चा की। जो कि धनौरा के हैं। राजिक कहते हैं कि, 

“हमारे यहां गौ हत्या की छिट-पुट घटनाएं होती थी। इस बार की यह बड़ी घटना हमारी समझ‌ से परे है। यह घटना‌ भले ही बकरीद के दिन‌ की है। लेकिन, मुस्लिम समुदाय में गाय काटना हराम है। यह जायज नहीं है।”

“गौ हत्या की इस घटना के बाद हमारे समुदाय की ब्लाक स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में ऐलान किया गया कि, जो भी व्यक्ति गोकशी में हमारे समाज का पाया जाता या व्यापार करता है तब उसे समाज से बहिष्कृत किया जायेगा। इसको‌ लेकर प्रस्ताव भी पास किया गया है।”

राजिक आगे बताते हैं कि, “धनौरा‌ शांतिप्रिय क्षेत्र है यहां सभी समुदाय बहुत अच्छे से रहते हैं। यहां सही को सही और ग़लत को‌ गलत कहा जाता। चाहे मामला किसी भी समुदाय का हो। शासन-प्रशासन यदि गौ हत्या के मामले में कड़ी‌ हो‌ जाये तब यह मामले पैदा ही ना हो।”

“हमारा हिन्दू मित्र गाय को माता मानता है। पूजता है। इसलिए मेरी नजर में गाय का मांस खाना गलत है।‌ मगर् शासन-प्रशासन की यह नीति मेरी समझ से परे है कि, वह एक ओर कारखानों से गाय विदेश भेज रही है। दूसरी तरफ गाय कोई पकड़कर ले जाता तब प्रतिबंध लगाती है। वहीं इस मामले में एंगल यह भी है कि, हिंदू गाय ले जाते पकड़ा गया। तब मामला शांत रहता है। मगर, मुस्लिम गाय ले जाते पकड़ा गया तब बवाल मच जाता है।,,

स्थानीय निवासी मुहम्मद यासीन से भी हमने बात की। उनका कहना हैं कि, 

“जो हुआ गलत हुआ है। अपराधियों को सजा होनी चाहिए। ऐसे मामलों (गौ हत्या) में सोच बन‌ गयी है कि, मुस्लिम ही ऐसा करते हैं। सोच बदल नहीं सकते। जबकि, आसामाजिक तत्व हर‌ समाज में होते हैं। जो पूरे माहौल को खराब करते हैं। सुझाव के तौर पर वह‌ कहते हैं कि, गाय-बैल को‌ आवारा ना‌ छोड़ा जाए। उनकी देखभाल करना जरूरी है।,,

सिवनी‌ के पत्रकार का विचार 

सिवनी‌ जिले के जिले के पत्रकार नीलेश स्थापक घटनाक्रम को लेकर बताते हैं कि, “तीन‌ थाना‌ अंतर्गत गौ वंश के 65 शव‌ मिले थे। इसे एक सीरियल किलिंग कहा जा सकता है। गायों को कत्ल करके पानी में बहाया गया था। इस मामले में स्थानीय लोगों के‌ साथ महाराष्ट्र (नागपुर) महाराष्ट्र के लोग भी शामिल थे। इसके लिए एक फंडिग और प्लानिंग की गयी थी। इस मामले को पुलिस ने अच्छी तरह से हैंडिल किया। सिवनी, जबलपुर से नागपुर कत्लखानों के लिए गायों का परिवहन लगातार किया जाता रहा है। गौ वंश के हत्या की यह घटना तनाव फैलाने के लिए की गयी थी।”

अधिवक्ता नवेन्दु का बयान 

सिवनी‌ के अधिवक्ता नवेन्दु इस घटना पर अपने विचार रखते हुए कहते हैं कि, “गौ हत्या की यह घटना‌ संदिग्ध है। क्योंकि इसमें बहुत संख्या में गौ हत्या की गयी है। यह घटना‌ बकरीद की है। अगर, मुस्लिम समुदाय समान्य तौर पर यदि कोई कुर्बानी देता तब उसका सेवन करता है। मगर इस घटनाक्रम में गायों को मार कर‌ बहाया गया है।” 

“घटना से सवाल‌‌ पैदा होता है कि यह क्यों किया गया? क्या यह साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया? अभी…तक पुलिस का जो बयान आया है उससे यह पता नहीं चला कि, किस उद्देश्य से इस वारदात को‌ अंजाम दिया गया। पहले आस-पास कटंगी, जबलपुर जैसे एरिया में गौ वंश‌ के कंकाल पाये गये हैं। ऐसे में यह समझ नहीं आ रहा कि यह हो क्या रहा है? कहीं यह भविष्य में होने वाली बड़ी‌ घटनाओं का एक छोटा क्रम ना हो। गौ तस्करी के मामले सिवनी में आते रहते हैं।” 

घटनाक्रम को लेकर अब तक क्या कार्रवाई हुई है? यह जानने के‌ लिए हमने सिवनी पुलिस प्रशासन से फोन संपर्क किया। मगर हमारा फोन संपर्क हो नहीं पाया। 

घटना पर बात करने के लिए हमने संभागीय अधिकारियों को भी फोन किया।‌ लेकिन, हमें कोई रिस्पांस नहीं मिल पाया। ऐसे में घटना पर अधिकारियों से संवाद नहीं हो पाया। 

लेकिन, ईटीवी भारत की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना को लेकर पुलिस महानिरीक्षक (जबलपुर जोन) अनिल सिंह कुशवाह ने कहा कि सिवनी में कुल 62 गौवंशीय पशुओं 19 गायों और 43 बैलों की हत्या की गई। उन्होंने बताया कि जांच से पता चला है कि इन पशुओं की हत्या सांप्रदायिक उन्माद भड़काने के उद्देश्य से की गई थी। पुलिस जांच में पता चला है कि नागपुर के मोमिनपुरा इलाके के निवासी इसरार ने मुख्य आरोपी वाहिद खान (28) को 30,000 रुपये की अग्रिम राशि दी थी। जिसके खिलाफ सिवनी में गोवंशीय पशुओं को इकट्ठा करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगाया गया है। वहीं, पशुओं के शव बरामद होने के बाद सिवनी कलेक्टर क्षितिज सिंघल और एसपी राकेश कुमार सिंह को हटा दिया गया।

वहीं, जब हम गौ मांस के उत्पादन का डेटा खंगालते हैं तब हमें कुछ वर्ष पहले की दैनिक भास्कर की रिपोर्ट याद दिलाती है कि, दुनियां में गो-मांस निर्यात में भारत का योगदान साढ़े तेईस प्रतिशत है। 24 लाख टन गोमांस भारत से हर वर्ष निर्यात हो रहा है। हैरतअंगेज है कि केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली पहली सरकार बनने वाले वर्ष 2014-15 में भारत गोमांस निर्यात में दुनियां में पहले स्थान पर गया था।‌ 

वैश्विक स्तर पर गौ मांस के  उत्पादन का रिकॉर्ड जब हम देखते हैं,‌ तब केवा की 2022 की रिपोर्ट हमें बताती है कि, विश्व में गोमांस उत्पादन में यूएसए प्रथम स्थान पर है। जहां 12.89 लाख टन गोमांस का उत्पादन किया जाता है। यूएसए में 92.08 लाख मवेशी हैं। 

गोमांस उत्पादन में दूसरे स्थान पर ब्राजील है। जहां पर 10.35 लाख टन गोमांस उत्पादित होता है। वहीं, यहां 193.78 लाख मवेशियों की तादाद है। 

चीन गोमांस उत्पादन में तीसरे स्थान पर चीन है। चीन में 7.18 लाख टन गोमांस का उत्पादन किया जाता है। यहां 98.17 लाख मवेशियों की संख्या है। 

इसके बाद‌ गौ मांस उत्पादन में चौथे नंबर‌ पर भारत आता है। भारत में गोमांस उत्पादन 4.35 लाख टन किया जाता है। वहीं, मवेशियों की संख्या भारत में 306.7 लाख है। 

सोचनीय है कि, देश में सदियों से गाय को लोग माता के रूप में मानते और पूजते आ रहे है। मगर आज देश‌‌ में हालत यह है कि गौ माता कचरा, पॉलिथीन, मानव‌ मल खाने को मजबूर है। ग्रामीण स्तर पर अक्सर देखा जाता है कि, मृत गौ वंश के‌ शरीर‌ में जो‌ कंकाल‌ पाया जाता है उसमें से कचरा और पॉलिथीन निकलता है। कचरा और पॉलिथीन खाने से कई गौ वंश मर‌ रहे हैं। 

आज बहुत सी गायों की मौत रोड ऐक्सिडेंट में भी हो रही है। इन ऐक्सिडेंट में गायों को बचाने के चक्कर में अक्सर लोगों की भी मौत हो जाती है। 

अक्सर देखा-सुना जाता है कि दूध देने वाली गाय रखने वाले लोग अपने आपको गौ सेवक, पालक और रक्षक कहते हैं। मगर, जब गाय दूध देना बंद कर देती है तब वे गाय को छोड़कर असुरक्षित कर देते हैं।

ऐसे में आज गौ वंश‌ के दर्दनाक हालात को नजर‌ अंदाज करके ‘गौ हत्या बंद करो’, ‘गौ हमारी माता’ है के नारे लगाने वाले लोग चाहे गौ के दूध, दही, छाछ का खाने-पीने में प्रमुखता से उपयोग कर रहे हैं। लेकिन, वे  लोग कभी इसलिए एकजुट नहीं हुए कि गौ के संवर्धन के लिए कोई कानून बनाया जाये। 

ना ही गौ के नाम का ढिंढोरा पीटने वाले लोगों और संगठनों ने गौ वंश के संवर्धन के लिए कोई ऐसी विशेष योजना बनवाने के लिए प्रयास किया, जिसके तहत गौ पालने के लिए लोगों को आर्थिक सहायता दी जा सके। ताकि, असमय मरती गायों और गौ हत्या को रोका जा सके। 

वहीं, जब सिवनी‌ जैसे गौ हत्या के मामले हमारे सामने आते हैं तब ज्ञात होता है कि, गौ संरक्षण और गौ हत्या की मुख़ालफ़त करने वाले‌ लोग और संगठन एक राजनीतिक तमाशा बन‌ कर‌ रह गये हैं। वास्तविक रूप से वे गौ वंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए खुद को समर्पित नहीं कर‌ रहे। ताकि, गौ वंश के अच्छे जीवन पर गंभीरता से ध्यान दिया जा सके। 

(सतीश भारतीय

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