इंदौर। केन्द्र सरकार ने शुरुआत में देश के 10 दिन शहरों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टमें शामिल किया था उसमें स्वच्छता में नम्बर वन आया इंदौर (Indore) भी शामिल रहा। हालांकि बाद में केन्द्र ने 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने का अवसर दे दिया और शहरी विकास तथा आवास मंत्रालय ने इन प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए पिछले दिनों समयावधि बढ़ा दी। पहले 30 जून 2024 को यह अवधि समाप्त हो गई थी, जिसे अब 31 मार्च 2035 तक के लिए बढ़ा दिया है। मगर इंदौर में स्मार्ट सिटी के अधिकांश प्रोजेक्ट आधे-अधूरे ही रहे और एमओजी लाइन का भीढंग से विकास नहीं हो पाया।
केन्द्र की मोदी सरकार ने अपने स्वच्छता मिशन की मॉनिटरिंग में भी ढील-पोल शुरू कर दी। जबकि यह सबसे अधिक जरूरी था, जिससे तमाम शहरों और गांवों तक स्वच्छता को लेकर जागरूकता आई और इंदौर ने तो सात मर्तबा नम्बर वन का खिताब हासिल भी किया। हालांकि इंदौर की भी साफ-सफाई अब पटरी से उतर चुकी है और अन्य शहरों में भी ऐसे ही हाल हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की भी यही स्थिति रही। 100 में से एक भी शहर पूरी तरह से स्मार्ट नहीं हो पाया। अधिकांश जगह प्रोजेक्ट आधे-अधूरे ही रहे। यही कारण है कि 8 से 9 माह का समय मंत्रालय को देना पड़ा। साथ ही यह भी हिदायत दी गई कि 31 मार्च 2025 तक स्मार्ट सिटी के सारे प्रोजेक्टों को पूरा कर लिया जाए। इंदौर के मध्य क्षेत्र को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों के लिए लिया गया, जिसमें गांधी हाल के पुनर्उद्धार, राजवाड़ा, गोपाल मंदिर से लेकर एमओजी लाइन तक तमाम प्रोजेक्ट बनाए, जिसमें ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण, धरोहर मार्ग के निर्माण के साथ-साथ एमओजी लाइन में अत्याधुनिक बहुमंजिला इमारतें भी बनना थी। मगर स्मार्ट सिटी के अधिकांश भूखंडों का विक्रय भी नहीं हो सका और 5 हजार करोड़ से अधिक के जो काम किए गए उसमें भी कई खामियां रह गई। यह बात अलग है कि इंदौर में भी गत वर्ष इंडिया स्मार्ट सिटी कॉन्क्लेव के आयोजन में शहर को सर्वश्रेष्ठ स्मार्ट सिटी का अवॉर्ड भी मिल गया। पुनर्विकास, रेट्रो सिटी, डिजीटल भुगतान, जीआईएस जैसे सिस्टम स्मार्ट सिटी में आना थे, जिसमें कई पुराने स्कूलों, सब्जी मंडी से लेकर प्रोजेक्टों को अमल में लाना था। रीवर फ्रंट, जीपीएस सिस्टम, कचरा ट्रांसफर स्टेशनों का निर्माण सहित कई काम हालांकि स्मार्ट सिटी के तहत सफलतापूर्वक हुए भी हैं।