-सुसंस्कृति परिहार
पिछले एक दशक से देश का अवाम मन की बात सुनता रहा है और मनमानी सहता रहा है लेकिन अब वह दिन लद गए। वजह साफ़ थी सदन में प्रतिपक्ष कमज़ोर था उसके पास नेता चयन करने की भी हैसियत नहीं थी। इस बार सारे अरमान बिखर गए चार सौ पार का नशा काफ़ूर हो गया।एक सबल प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी बनाए गए जिनका संसदीय अनुभव पीएम से ज़्यादा है।साथ ही साथ जनता के बीच की गई भारत जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा ने उन्हें अवाम के बीच जननायक बना दिया है।उनका मणिपुर पहुंचकर तथा कामगारों, काश्तकारों, महिलाओं, छात्रों,नीट परीक्षार्थियों अग्निवीर शहीद के बीच जाने ने, उन्हें देश की समस्याओं से अवगत तो कराया ही ,जोड़ भी दिया है।
इसीलिए प्रतिपक्ष के नेता बनने के बाद सदन में जो सवालात राहुल गांधी ने उठाए उनसे सरकार पसीने पसीने हो गई।यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूती का प्रतीक है। उन्होंने साफतौर पर खास लोगों को हिंदू धर्म को हिंसक बनाने का आरोप लगाया जिसका समर्थन शंकराचार्य जी ने भी किया जिसे अवाम ने दस साल में अपनी खुली आंखों से देखा है। साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने और नफ़रत फैलाने के जुर्म से सरकार बच नहीं सकती। उन्होंने जन जन से जुड़ी उन सभी समस्याओं को उठाया जो लोगों से मिलकर जाने समझे थे।जनता को और क्या चाहिए कोई हमदर्द मिला जिसने उनकी परेशानियों को जाना और उनकी आवाज़ सदन में बुलंद की।उनके पहले भाषण ने जो तेवर देखने मिले उसने देश को भरोसा दिया है। इंडिया गठबंधन की एकजुटता और जनमानस के अभूतपूर्व प्यार ने ना केवल प्रतिपक्ष का नेता बनाया बल्कि बड़ी ताकत भी दी है।उनकी ताकत देखिए प्रधानमंत्री मोदी,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषिमंत्री शिवराज सिंह जैसे दिग्गज नेताओं को प्रतिपक्ष के नेता के भाषण में टोका टाकी करनी पड़ी।
यह पहला अवसर था कि जब पीएम ने खुद यह ख़ता की।आज़ तक किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा दख़लंदाज़ी नहीं की।
ये तमाम बातें यह सिद्ध करती हैं कि दस साला संघर्ष और जन जन में अपनी पहचान बनाकर उन्होंने ना केवल कांग्रेस को जीवन दान दिया है बल्कि समान विचारधारा वाले दलों की एकजुटता का बड़ा काम कर देश की अवाम की मुसीबतों को सरकार के सामने रखने का बीड़ा उठाया है और फाज़िज़्म की ओर बढ़ते देश को बर्बाद होने से बचाने में अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।
अब तो ये हाल है कि एनडीए में शामिल दल भी कमज़ोर सरकार को आंख दिखाने लगे हैं। भाजपा की हालत बदतर है उनके हिंदू राष्ट्र का सपना चकनाचूर हुआ है और हमारा संविधान बच गया है।अब सरकार के पास मन की बातें हीं रहेंगी तथाअब तक होती रही मनमानियों पर ब्रेक लगेगा।