लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद नियमानुसार शपथग्रहण समारोह सम्पन्न हुआ। 1 जुलाई 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने करीब – करीब 90 मीनट बोले नि:संदेह उन्होंने अपने भाषण में जनमानस के मुद्दों को अपने चिर – परिचित विनयशील आक्रमकता के साथ उठाया। उनके तथ्यपरक सिलसिलेवार धाराप्रवाह बोलने का प्रभाव कितना हो रहा था, उसे सरकार की इस बेचैनी – व्याकुलता से समझा जा सकता कि उनके बोलने के दौरान गृहमंत्री अमितशाह, रक्षामंत्री राजनाथसिंह, विदेशमंत्री एस जयशंकर, कृषि कल्याण मंत्री शिवराजसिंह चौहान, योगेन्द्र यादव और खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी बीच में बोलना पड़ा। राहुल गांधी एक सिद्ध वक्ता की तरह भले नही बोल पाते हो लेकिन जनता के मुद्दे मंहगाई, बेरोजगारी, पेपर लीक, हिन्दू – मुस्लिम, जैसे जटिल समस्याओं को जनभावन के अनूरूप बेहद सरल भाषा शैली में बोलते हैं। लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला के द्वारा सदन के सदस्यों से भिन्न - भिन्न अभिवादन करने के तरीके पर उनकी क्लास लेते हुए न केवल ज्ञानवर्धक अपितु संविधान सम्मत नसीहत देते हुए ओम बिड़ला को यहां तक कह डाला कि सदन में लोकसभा अध्यक्ष से बड़ा कोई नही होता अतः आसंदी को अपने गरिमा के अनुरूप आचरण करना चाहिए।
*प्रभु चावला -* ( इंडिया टुडे के पूर्व सम्पादक ) संसद में राहुल गांधी के भाषण बाबत संदीप चौधरी के शो में जो कहा वह चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा अब तक हमने दस संसदीय कार्यवाही को कव्हर किया है और आठ प्रधानमंत्रियों को देखा है। लेकिन अब तक हमनें किसी प्रधानमंत्री को विपक्ष के नेता के बोलने के दौरान सदन में टोका हो ऐसा नही देखा है। इस बार नरेंद्र मोदी असहाय नजर आ रहे थे। पहली बार राहुल गांधी सदन में पावरफुल दिखे और मोदी कमजोर लगे, राहुल गांधी तय करके आये थे। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राहुल गांधी पहले ही राउण्ड में फूल मार्क्स लेकर पास हो गये।
*विनोद शर्मा –* ( हिन्दुस्तान टाइम्स के पोलिटिकल एडीटर ) राहुल गांधी का भाषण मोदी के लिए खतरे की घंटी है। राहुल गांधी नरेंद्र मोदी को पांच साल तक इसी तरह डराते – रूलाते रहेंगे। अटल बिहारी के बाद पहली बार राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी को डिफेंसिव मोड पर लाकर रख दिया है। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेई ने गुजरात दंगे के समय *राजधर्म* का पालन करने की नसीहत दिया था।
राहुल गांधी नरेंद्र मोदी सरकार के हर मुद्दे पर हमला बोला है, जो उन्हें बोलना भी चाहिए। अग्निवीर, हिन्दू – मुसलमान, भ्रष्टाचार, मंहगाई, बेरोजगारी कहा जा सकता है, कि पहले ही प्रयास में राहुल गांधी सदन में एक बड़ा अंक लेकर पास हो गये और सत्ता पक्ष आसंदी से संरक्षण की गुहार लगाते नज़र आए।
*देबांग -* देबांग हिंदी समाचार चैनल एबीपी न्यूज़ पर दैनिक प्राइम – टाइम शो ‘जन मन’ और साप्ताहिक शो ‘प्रेस कॉन्फ्रेंस’ के पूर्व होस्ट एवं वरिष्ठ पत्रकार हैं। देबांग कह रहे हैं, कि राहुल गांधी राष्ट्रपति के अभिभाषण के मौके पर अपनी बात कहने के लिए पूरी तैयारी से आये थे। जिस तरह से राहुल गांधी ने सरकार पर हमला किया सरकार बगले झांकते नज़र आए। 10 साल में पहली बार राहुल गांधी के सामने नरेन्द्र मोदी डरते नजर आये, अगर एक विपक्षी नेता के लिए पीएम मोदी, दो बार गृहमंत्री, रक्षामंत्री, शिवराज सिंह चौहान, भूपेन्द्र यादव नेता दर नेता जवाब दे रहे थे, लगता है, राहुल गांधी के भाषण से जैसे तिलमिला रहे थे, उससे राहुल गांधी के लोकप्रियता के कद में इजाफा हो रहा था।
*अभय दुबे –* अभय कुमार दुबे प्रख्यात राजनीतिक चिंतक और विश्लेषक, पत्रकार, सीएसडीएस में प्रोफ़ेसर और भारतीय भाषा प्रोग्राम में डायरेक्टर रहे हैं। अभय दुबे ने राहुल गांधी के भाषण को प्रभाषित करते हुए कहा है, कि सदन में राहुल गांधी का भाषण और सत्तापक्षा का बर्ताव देखकर ऐसा लग रहा था, कि राहुल गांधी की लोकप्रियता उछाल और नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता ढलान पर है। लोकसभा चुनाव के बाद जो सर्वे हुआ है उसके नतीजे तो यहीं दर्शित कर रहे हैं, कि राहुल गांधी लोगों के दिलों चढ़ते जा रहे हैं, इसके ठीक विपरीत नरेन्द्र मोदी उतरते जा रहें हैं।
*विनोद अग्निहोत्री –* विगत से चार दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी लेखनी से उजाला फैलाने वाले अमर उजाला के सलाहकार सम्पादक विनोद अग्निहोत्री ने राहुल गांधी के सदन में दिये भाषण को विपक्ष की समवेत आवाज़ बताया है। वह कहते हैं मेरी नज़र में राहुल गांधी ने अपने भाषण जिन मुद्दों को उठाया है, उससे सत्तापक्ष हील गया है। उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी का यह भाषण संसदीय इतिहास के नभ में सालों – साल गूंजता रहेगा।
*शंकराचार्य –* शिखरहीन अपूर्ण मंदिर का उद्घाटन कार्यक्रम को शास्त्रों की अवहेलना – अवमानना कहने वाले चारों शंकराचार्यों में से शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने संसद में दिये राहुल गांधी के भाषण की प्रशंसा की है।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद आगे कहते हैं, हमने राहुल गांधी का पूरा प्रवचन जो भाषण उन्होंने संसद में दिया है उसको निकालकर देखा – सूना और हमने पाया कि वो ऐसा कह ही नही रहे हैं, वो तो कह रहे हैं, कि हिन्दू धर्म में हिंसा का स्थान ही नही है। जब वो साफ – साफ कह रहे हैं, कि हिन्दू धर्म में हिंसा का कोई स्थान नही है, तो फिर उनके ऊपर आरोप लगाना कि उन्होंने हिन्दू धर्म के विपरीत कोई बात कही है, उनके आधा व्यक्तव्य के अंश को निकालकर और उसको फैला रहे हैं, ये हम समझते हैं, यह घबराहट है, दुष्प्रचार है, ऐसा करने वाले को दण्डित किया जाना चाहिए चाहे वह पत्रकार हो या चैनल ही क्यों न हो। उन्होंने ने साफ कहा है हिन्दू हिंसा कर ही नही सकता।
*सलाम – ए – सुबह …*
10 जुलाई 2024