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नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना की  नौकरियों पर पड़ी सबसे बड़ी मार

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नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना महामारी के कारण देश में इनफॉर्मल सेक्टर में सात साल में करीब 16.45 नौकरियां स्वाहा हो गईं। सरकारी आकड़ों में यह बात सामने आई है। इसके मुताबिक साल 2022-23 में देश में इनफॉर्मल सेक्टर में काम करने वालों की संख्या 16.45 लाख यानी करीब 1.5 फीसदी घटकर 10.96 करोड़ रह गई जो 2015-16 में 11.13 करोड़ थी। नोटबंदी की घोषणा नवंबर 2016 में की गई थी जबकि जीएसटी जुलाई 2017 में लागू किया गया था। इसी तरह कोरोना महामारी ने मार्च 2020 में देश में दस्तक दी थी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने 2015-16 के बाद पहली बार यह आंकड़ा जारी किया है। मंत्रालय ने अनइनकॉरपोरेटेड एंटरप्राइजेज के 2021-22 और 2022-23 के आंकड़े जारी किए हैं।

Annual Survey of Unincorporated Enterprises (ASUSE) के मुताबिक अनइनकॉरपोरेटेड एंटरप्राइजेज की संख्या 2015-16 में 6.33 करोड़ थी जो 2022-23 में बढ़कर 6.50 करोड़ पहुंच गई। यानी इस संख्या में 16.56 लाख की बढ़ोतरी हुई है। नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना की सबसे ज्यादा मार इनफॉर्मल सेक्टर को ही झेलनी पड़ी है। महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश और ओडीशा में 2015-16 और 2022-23 के बीच अनौपचारिक रोजगार में तेजी आई। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इनफॉर्मल सेक्टर वर्कर्स की संख्या में गिरावट आई। देश में इनफॉर्मल सेक्टर में काम करने वाले करीब दो-तिहाई कामगार इन्हीं 10 राज्यों में हैं।

सर्वे के मुताबिक देश के 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 16 में इनफॉर्मल सेक्टर वर्कर्स की संख्या में 2022-23 में पिछले सर्वे के मुकाबले गिरावट आई है। पिछला सर्वे 2019 में आया था जिसमें 2015-16 के आंकड़े दिए गए थे। लेकिन इनसे यह बात भी सामने आई है कि महामारी के तुरंत बाद अधिकांश राज्यों में इनफॉर्मल सेक्टर वर्कर्स की संख्या में तेजी आई थी। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इनफॉर्मल सेक्टर वर्कर्स की संख्या 2015-16 में 1.65 करोड़ थी लेकिन 2022-23 में यह 1.57 करोड़ रह गई। 2021-22 में राज्य में इनफॉर्मल सेक्टर वर्कर्स की संख्या 1.30 करोड़ थी। पश्चिम बंगाल में भी यह स्थिति रही।

इस बीच महाराष्ट्र में इनफॉर्मल सेक्टर वर्कर्स की संख्या में 2015-16 में 91.23 लाख थी जो 2022-23 में 1.15 करोड़ पहुंच गई। इस दौरान मध्य प्रदेश, गुजरात और ओडिशा में भी इनफॉर्मल सेक्टर वर्कर्स की संख्या में तेजी आई। देश में प्रवासी मजदूरों के सबसे बड़े स्रोत बिहार में साल 2015-16 और 2021-22 के बीच इनफॉर्मल सेक्टर वर्कर्स की संख्या में गिरावट आई लेकिन 2022-23 में इसमें भारी देखने को मिली और यह संख्या महामारी से पहले के दौर से भी ऊपर पहुंच गई। राज्य में 2015-16 में इनफॉर्मल सेक्टर वर्कर्स की संख्या 53.07 लाख थी जो 2021-22 में 43.22 लाख रह गई। लेकिन 2022-23 में यह बढ़कर 58.95 लाख पहुंच गई।

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