भोपाल। आम आदमी का कााम अगर सर्वाधिक कही पड़ता है तो, वह है , राजस्व विभाग से। इसके बाद भी इस विभाग के अफसरान अपनी कार्यशैली बदलने को तैयार नहीं हैं। इनमें भी वे अफसर खासतौर पर जो बड़े शहरों में लंबे समय से पदस्थ हैं।
इनमें भोपाल का मामला तो अलग ही है। यहां पर सरकार से लेकर शासन व प्रशासन तक के सभी छोटे से लेकर बड़े अफसर तक बैठते हैं। इसके बाद भी राजस्व प्रकरणों की निराकरण की गति रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। यही वजह है कि भोपाल को इस मामले में अंतिम दस में स्थान मिल पाया है। यह स्थान हाल ही में इस मामले में जारी की गई रैंगिग में मिला है।
जारी की गई रैंकिंग में भोपाल को नीचे से छठवें नंबर पर रखा गया है। इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर जैसे बड़े जिलों के अलावा अनूपपुर, उमरिया जैसे छोटे जिले भी भोपाल से अच्छा काम कर रहे हैं। यही वजह है कि यह जिले भोपाल से बहुत आगे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा राजस्व महाभियान के दूसरे फेज को लेकर की गई वीसी के दौरान भी यह बात सामने आ चुकी है। इसके बाद भी हालत नहीं सुधर रहे हैं। बीते एक साल में भोपाल जिले में नामांतरण, बंटवारे आदि के 85,901 आवेदन आए, जिनमें से 72,623 यानी 84.54 प्रतिशत आवेदनों को निराकृत किया है। 13,278 यानी 15.54 फीसदी मामले अब भी लंबित बने हुए हैं। इससे पूर्व सरकार इसी साल लंबित राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिए तीन माह के लिए महा अभियान का प्रथम चरण चला चुकी है। इस मामले में जिले के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि पहले चरण में ही अधिकांश लंबित मामलों का निराकरण कर दियाग या था। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव की वजह से फिलहाल लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
कोलार में सर्वाधिक खराब स्थिति
अगर भोपाल जिले की बात की जाए तो जिले के तहत आने वाली हुजूर तहसील में सबसे खराब स्थिति बनी हुई है। यहां पर महज 77 फीसदी मामलों का ही निराकरण हुआ है। यहां पर 19,423 आवेदन आए थे, जिनमें से 14,991 प्रकरणों का निराकरर हुआ है, जबकि 4,432 शेष हैं। इसी तरह से शहर तहसील में 607 आवेदनों में से 509 का निराकरण हुआ , जबकि 98 मामले अब भी लंबित हैं।