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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सांसद अफजाल अंसारी की चार साल की सजा रद्द कर दी

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विजय विनीत 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजीपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी की सजा रद्द कर दी है। कोर्ट ने हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया है। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद पुलिस ने अफजाल के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की थी। इस मामले में गाजीपुर की MP/MLA कोर्ट ने उन्हें चार साल की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले के बाद उनकी सांसदी चली गई थी। अफजाल ने सुप्रीम कोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी और सजा पर रोक लगाते हुए उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी।

समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए गाजीपुर की MP/MLA कोर्ट द्वारा सुनाई गई चार साल की सजा को रद्द करने की मांग की थी। दूसरी ओर, प्रदेश सरकार और कृष्णानंद के बेटे पीयूष राय ने सजा बढ़ाने के लिए याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह ने इस मामले की सुनवाई पिछले गुरुवार को ही पूरी कर ली थी। सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए सांसद अफजाल अंसारी को बाइज्जत दोषमुक्त कर दिया।

हाईकोर्ट से फैसला आते ही गाजीपुर में उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। मिठाइयां बांटी गईं और उनके बड़े भाई बड़े भाई शिवगतुल्लाह अंसारी ने कोर्ट के फैसलों को इंसाफ की जीत बताया गया। उन्होंने कहा, “कृष्णानंद हत्याकांड में अफजाल अंसारी  बेकसूर थे और निचली अदालत ने उन्हें गलत ढंग से सजा दी थी। आज हाईकोर्ट ने साफ कर दिया। हमें कोर्ट से ऐसे ही फैसले की उम्मीद थी। “

2007 में लगा था गैंगस्टर

गाजीपुर में साल 2005 में तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई थी। इस वारदात के दो साल बाद साल 2007 में अफजाल और उनके भाई मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर में निरुद्ध किया गया। कृष्णानंद राय की हत्या के बाद हुई आगजनी और कारोबारी नंद किशोर रुंगटा के अपहरण के  बाद हत्या के आधार पर पुलिस ने दोनों भाइयों को मुल्जिम बनाया। कृष्णानंद राय की हत्या मामले में कोर्ट पहले ही अंसारी भाइयों को बरी कर चुका था।

23 सितंबर 2022 को दोनों भाईयों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत आरोप तय हुए थे। इस मामले में 15 अप्रैल को फैसला आना था। जज के अचानक अवकाश पर चले जाने से इस मामले की सुनवाई टल गई थी। अफजाल अंसारी ने जनचौक से साफ-साफ कहा था कि उनके खिलाफ कोई केस बनता ही नहीं। उन्होंने कहा था कि हम पर हत्या का जो केस लगा था, उसमें कोर्ट बरी कर चुका है। ऐसे में गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे का कोई आधार नहीं बनता है।

MP-MLA कोर्ट में अफजाल अंसारी के खिलाफ सात पुलिस कर्मियों ने गवाही दी थी। वहीं डिफेंस में तीन ने बयान दर्ज कराया था। अफजाल पर गाजीपुर के भांवरकोल थाने में कई धाराओं में केस दर्ज किया गया था। इसी केस के आधार पर अफजाल पर गैंगस्टर लगाया गया। अफजाल के वकील ने पुलिसकर्मियों की गवाही पर अपनी दलीलें दीं और कहा कि अफजाल पर राजनीति दुश्मनी के चलते मुकदमे दर्ज कराए गए। ”पूर्व में उनके ऊपर लगे सभी आरोपों में अफजाल बरी हो चुके हैं। उनका कोई गिरोह या गैंग नहीं है। ”वहीं, अफजाल ने कोर्ट में खुद को दोष मुक्त करने की अपील की।

MP-MLA कोर्ट ने सुनाई थी सजा

गाजीपुर के MP-MLA कोर्ट में पुलिस की ओर से कहा गया कि विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद 2005 से 2007 तक मुहम्मदाबाद में शांति व्यवस्था और कानून व्यवस्था सामान्य नहीं थी। लोग थाने और न्यायालय में शिकायत करने से बच रहे थे। तत्कालीन थानाध्यक्ष को इसके चलते अफजाल पर मुकदमा दर्ज करना पड़ा।

कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि डिफेंस में आए गवाहों ने अफजाल के आचरण के संबंध में गवाही दी है। जिससे लगता है कि वह इनके समर्थक हैं। किसी राजनीतिक व्यक्ति के 10-20 समर्थक होना कोई बड़ी बात नहीं है। इन गवाहों ने उनका अपराध में शामिल न होने का कोई प्रमाण नहीं दिया है। ये आम लोग प्रतीत होते हैं, जिनके पास से अफजाल के व्यक्तिगत कृत्यों की जानकारी मिलना असंभव है।

अफजाल की सदस्यता खत्म करने वाला फरमान

अफजाल के वकील ने कोर्ट से अपील करते हुए कहा, ”उनके मुअक्किल दो बार सांसद और कई बार विधायक रहे हैं। उसकी आयु 70 वर्ष के करीब है। उन्हें न्यूनतम से न्यूनतम दंड दिया जाए।” इस पर कोर्ट ने कहा कि दंड देने का उद्देश्य समाज में यह संदेश देना भी होता है कि अपराध करने पर गंभीर सजा मिल सकती है।

गैंगस्टर एक्ट का यह मामला इसी से जुड़ा हुआ था, जिसमें हाईकोर्ट ने MP-MLA कोर्ट ने 29 अप्रैल, 2023 के फैसले को पलट दिया। MP-MLA कोर्ट ने सांसद अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के मामले में दोषी मानते हुए उन्हें चार साल की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। क्योंकि पीपल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट के तहत 2 साल से ज्यादा की सजा पाया हुआ कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता। इसके चलते उनकी लोकसभा की सदस्यता चली गई। साथ ही उन्हें जेल भेज दिया गया। इसी मामले में इनके छोटे भाई मुख्तार अंसारी को दस साल की सजा हुई थी।

हाईकोर्ट से मिली थी जमानत

सांसद अफजाल अंसारी ने गाजीपुर के MP-MLA कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। शीर्ष अदालत ने 14 दिसंबर, 2023 को उनकी सजा पर रोक लगा दी, जिसकी वजह से उनकी सदस्यता बहाल हो गई और वह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भी योग्य हो गए। कोर्ट ने अफजाल की सजा पर स्थगनादेश देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने का सुझाव दिया। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी थी कि जब तक फैसला नहीं हो जाता, वह संसद में वोट नहीं कर सकते न ही सांसदी भत्ता ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को सुनवाई में तेजी लाने और 30 जून तक मामले का फैसला करने का निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुक्रम में अफजाल ने हाईकोर्ट में आपराधिक याचिका दायर की, जिसमें कहा था, “जब हत्या के केस में मुझे बरी किया जा चुका है तो फिर गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे का कोई आधार नहीं बनता है। 24 जुलाई, 2023 को हाईकोर्ट ने अफजाल को जमानत दे दी, लेकिन मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। करीब तीन महीने बाद अफजाल को जेल से रिहा कर दिया गया, लेकिन उनकी संसद सदस्यता बहाल नहीं हुई। वह भविष्य में चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो गए, क्योंकि उन्हें दी गई सजा दो साल से अधिक थी। इसी साल चार मई से हाईकोर्ट ने नियमित सुनवाई शुरू की थी। चौथे महीने हाईकोर्ट से फैसला आया है।”

कद्दावर नेता हैं अफजाल

सांसद अफजाल अंसारी पूर्वांचल के कद्दावर नेता माने जाते हैं। वह तीन बार सांसद और पांच मर्तबा विधायक रह चुके हैं। 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर लड़े थे, जबकि 2019 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट जीत हासिल की थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी ने बीजेपी के पारस नाथ राय को 1,24,861 वोटों के अंतर से मात दी है।

साल 2019 में अफजाल अंसारी गाजीपुर से बसपा की सीट पर चुनावी मैदान में उतरे थे। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी मनोज सिन्हा को 119392 वोटों से हराया था। इससे पहले 2014 में अफजाल ने सपा की सीट से चुनाव लड़ा था। पहली बार साल 2004 में वह सपा के टिकट पर गाजीपुर से सांसद बने थे। इस बार वह लगातार दूसरी बार गाजीपुर से सांसद बने हैं। अबकी उनके छोटे भाई मुख्तार की संदिग्ध मौत के बाद गाजीपुर के सियासी माहौल गरमा गया था। लोकसभा चुनाव में उन्हें सहानुभूति का लाभ मिला। चुनाव के समय अफजाल ने कई सभाओं में ऐलानिया तौर पर कहा था कि, “माफिया बृजेश सिंह को बचाने के लिए मुख्तार की हत्या कराई गई। बृजेश सिंह और और धनंजय सिंह भाजपा वालों के शंकराचार्य हैं।”

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