अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

9 अगस्त को पूरे देश में  एकजुटता मार्च का आव्हान 

Share

“अंग्रेजों भारत छोड़ो” आंदोलन को कुचलने के लिए 9 अगस्त 1942 के पहले ही अंग्रेजों की पुलिस द्वारा महात्मा गांधी और बाकी कांग्रेस नेतृत्व को गिरफ्तार कर लिया गया था। स्वतंत्रता सेनानी *यूसुफ मेहेर अली* द्वारा गढ़ा गया नारा ” *भारत छोड़ो”* स्वतंत्रता सेनानी अरुणा आसफ अली ने 9 अगस्त की सुबह अगस्त क्रांति मैदान में झंडा फहराकर लगाया और देशवासियों से गांधीजी के आह्वान पर *अंग्रेजों भारत छोड़ो* आंदोलन में शामिल होने की अपील की। यह नारा पूरे देश में गूंजा और हजारों राष्ट्रभक्त सड़कों पर उतर आए, लाखों स्वतंत्रता सेनानियों को ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता द्वारा कैद कर लिया गया, हजारों देशभक्त शहीद हुए।

“भारत छोड़ो आंदोलन” ने भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के अंत की इबादत लिख दी और अंततः 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हुआ। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में लाखों लोगों के बलिदान से देश और दुनिया प्रेरणा लेती है।

आइए,  हम सच्चे देशभक्तों को अगस्त क्रांति दिवस पर  याद करें और हमारे सभी इतिहास में दर्ज और भुला दिए गए स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दें!

इस राष्ट्रीय पहल का उद्देश्य स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत की रक्षा करना, हमारी विविधता और सांप्रदायिक सद्भाव का जश्न मनाना, नफरत और हिंसा फैलाने वाली विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ देश को एकजुट करना है। हमें अपने संविधान, लोकतंत्र और  समन्वयवादी परंपरा की रक्षा के लिए एकजुट होना जरूरी है। हमारा  नारा होगा *’नफरतों भारत छोड़ो!’*

हमें अफसोस है कि जिन प्रतिक्रियावादी ताकतों ने अंग्रेजों का सहयोग किया था, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को विफल करने की पूरी कोशिश की थी, आज वही केंद्र और कई राज्यों में सत्ता में हैं। उनका विभाजनकारी अभियान लगातार जारी है। अंग्रेजों  की तरह वे भी ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपनाकर  फलते-फूलते जा रहे है। ये ताकतें अब स्वतंत्रता संग्राम का मजाक उड़ाना और उसकी समृद्ध विरासत को नष्ट करना चाहती हैं। ये सांप्रदायिक और जातिवादी- फासीवादी ताकतें देश को धार्मिक आधार पर बांट रही हैं। वे अपने फायदे के लिए नफरत, भय, हिंसा और विभाजन की नीति को बढ़ावा दे रही है। हमारी आबादी का हर वर्ग  किसान, मजदूर, महिलाएं, युवा, छात्र, उत्पीड़ित जातियां, जनजातियां और अल्पसंख्यक, सभी इस हमले का शिकार है।बेलगाम भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई जनता पर कहर ढा रही है। हम अपने लोकतंत्र के सभी प्रमुख स्तंभों पर अधिनायकवादी अधीनता और नियंत्रण के भी गवाह है, जिससे हमारी सभी संवैधानिक संस्थाओं में तोड़फोड़ और विनाश हो रहा है। हमारे देश पर फासीवादी कब्ज़ा लगभग पूरा हो चुका है। *देश “अघोषित आपातकाल” का सामना कर रहा है!*

अब समय आ गया है कि हम विभाजित होने से इनकार करें और अपने स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं और शहीदों की विरासत और बलिदान से फासीवादी ताकतों का विरोध करने की प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ें।

 *आइए! इस 9 अगस्त 2024 को, भारत छोड़ो आंदोलन की 82वीं वर्षगांठ* पर हम सांप्रदायिक फासीवादी ताकतों के खिलाफ एकजुट हों! सभी प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, समाजवादी ताकतें  लोकतंत्र की रक्षा करने और लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूती देने के लिए एक साथ आगे बढ़ें।

*आइए हम पूरे देश में अपने शहरों, कस्बों और गांवों में एकजुटता मार्च आयोजित कर  इस ऐतिहासिक तारीख को मनाएं*। *हम सुबह 8 बजे पूरे देश में इकट्ठा हों और अपने संविधान और हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत की रक्षा के लिए आह्वान करते हुए शांति, प्रेम और एकता का संदेश आमजन को देने के लिए मार्च आयोजित करें l*

 *एकजुटता में ..* 

डॉ.जी.जी.परीख, मेधा पाटकर, तुषार गांधी, प्रो आनंद कुमार, कुमार प्रशांत, प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव, श्यामदादा गायकवाड़, तीस्ता सीतलवाड़, डॉ सुनीलम, प्रो. राम पुनियानी, बी.आर.पाटील, फ़िरोज़ मीठीबोरवाला, डॉल्फी डिसूज़ा, शबनम हाशमी, संदीप पांडेय, आनंद पटवर्धन, प्रफुल्ल सामंतरा, रामशरण, उल्का महाजन, अंजलि भारद्वाज, इरफान इंजीनियर, कविता श्रीवास्तव, प्रो.राकेश रफीक, अरुण श्रीवास्तव, प्रो. राजीव, आनंद मझगांवकर, प्रो. रूपरेखा वर्मा, संजय एम. जी., जतिन देसाई, शरद कदम, जयंत दीवान, सुशीला ताई मोराळे, फैजल खान, पुतुल, गुड्डी एस.एल

 *संपर्क :*

7738082170 / 90292 77751

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें