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बुद्धदेव भट्टाचार्य को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ी भीड़

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संदीप चक्रवर्ती

कोलकाता: शुक्रवार को लाखों लोग न सिर्फ बंगाल से बल्कि दूसरे राज्यों से कोलकाता के अलीमुद्दीन स्ट्रीट स्थित सीपीआई (एम) के राज्य मुख्यालय में आकर पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य (80) को अश्रुपूर्ण विदाई देने पहुंचे। उनका गुरुवार की सुबह निधन हो गया था।

भट्टाचार्य को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए लंबी कतारें लगी हुई थीं, उनके पार्थिव शरीर को पार्टी के लाल झंडे में लपेटकर पहले राज्य विधानसभा ले जाया गया और बाद में सीपीआई(एम) मुख्यालय में रखा गया। दोपहर करीब 3.30 बजे उनके पार्थिव शरीर को भारत की जनवादी नौजवान सभा (डीवाईएफआई) मुख्यालय ले जाया गया, क्योंकि वे इसके संस्थापक सचिव थे। इसके बाद डीवाईएफआई दफ़्तर से अंतिम यात्रा की शुरूआत हुई और करीब 1.5 किलोमीटर दूर स्थित एनआरएस मेडिकल कॉलेज तक गई। भट्टाचार्य की अंतिम वसीयत के अनुसार उनका पार्थिव शरीर चिकित्सा अनुसंधान के लिए अस्पताल को दान कर दिया गया है।

पूरे 1.5 किलोमीटर के रास्ते पर जैसे जनसैलाब उमड़ पड़ा हो, जिसमें लाखों आम लोग शामिल थे, जिनमें शिक्षक, छात्र, कर्मचारी और दूसरे राज्यों के लोग भी शामिल थे। कई लोग कम्युनिस्ट ‘इंटरनेशनेल’ गाते हुए रोते हुए देखे जा सकते थे। यह जुलूस एक घंटे से ज़्यादा समय तक चला, जिसमें लोग दिवंगत नेता की एक झलक पाने के लिए उत्सुक नज़र आए, और ‘कॉमरेड को लाल सलाम’ का नारा हवा में गूंजता रहा। अंतिम संस्कार के दौरान, वामपंथी कार्यकर्ताओं ने सम्मान देते हुए 80 लाल झंडे आधे झुकाए हुए थे।

अंतिम संस्कार में शामिल होने वालों में माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात, प्रकाश करात, वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमन बसु, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार तथा रामचंद्र डोम, तपन सेन, मोहम्मद सलीम जैसे अन्य नेता शामिल थे।

इससे पहले दिन, अन्य राजनीतिक दलों के कई नेताओं, कलाकारों, फिल्म और रंगमंच अभिनेताओं और निर्देशकों ने भट्टाचार्य को श्रद्धांजलि अर्पित की।

न्यूज़क्लिक ने 29 वर्षीय अहाना चौधरी से बात की, जिनकी आंखें आंसू से भरी थीं। उन्होंने कहा कि वह “अपने नेता” को अंतिम विदाई देने आई थीं। हावड़ा के सालकिया की निवासी, ने कहा कि वह सेक्टर 5 में काम करती थीं है और “अपने मुख्यमंत्री” की अंतिम यात्रा देखने के लिए एक दिन की छुट्टी ली थी। उन्होंने कहा कि, “वे हमारा गौरव हैं, हमारा प्यार हैं, उनकी सफेद कुर्ता-धोती वाली छवि भ्रष्टाचार-मुक्त है और सभी के प्रति उनके सौम्य व्यवहार का सभी को अनुकरण करना चाहिए, चाहे वे राजनेता हों या कोई अन्य पेशेवर लोग हों।”

राज्य सहकारी बैंक के कर्मचारी बिप्लब नाग ने कहा कि देश में कोई अन्य मुख्यमंत्री नहीं है, जिसने उनकी संवेदनाओं को इतनी गहराई से छुआ हो।

इस तरह की कई प्रतिक्रियाएं विशाल अंतिम यात्रा के दौरान सुनी जा सकती थीं, जिसे देखने के लिए पूरे रास्ते दर्शक उमड़ पड़े थे। शाम करीब 5.30 बजे भट्टाचार्य का शव एनआरएस अस्पताल के डॉक्टरों को सौंप दिया गया। गुरुवार को उनकी कॉर्निया पहले ही दो लोगों को दान कर दी गई थी।

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