भोपाल: लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मध्य प्रदेश की गुना शिवपुरी संसदीय सीट में चुनाव प्रचार के लिए आए थे। इस दौरान उन्होंने तत्कालीन सांसद केपी यादव को लेकर बड़ी घोषणा की थी। बीजेपी ने केपी यादव का टिकट काटकर इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीदवार बनाया था। सिंधिया चुनाव जीत गए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट में मंत्री हैं। लोकसभा सांसद बनने के बाद सिंधिया ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। सिंधिया की छोड़ी सीट पर अब राज्यसभा का उपचुनाव होना है। इसे लेकर दावेदारों की संख्या बढ़ गई है।
गुना शिवपुरी संसदीय सीट पर चुनाव प्रचार करते हुए अमित शाह ने कहा था कि केपी यादव की चिंता आप लोग मत करिए। संगठन चिंता करेगा। केपी यादव को हम दिल्ली ले जाएंगे। शाह के इस बयान के बाद से केपी यादव के राज्यसभा जाने की अटकलें लगाई जाती रही हैं। फिलहाल राज्यसभा जाने के लिए बीजेपी के कई कद्दावर नेता रेस में हैं। ऐसे में क्या अमित शाह अपना वादा पूरा करेंगे?
दावेदारों में किनका नाम?
केपी यादव के अलावा बीजेपी के कई नेताओं का नाम राज्यसभा जाने की रेस में है। हालांकि बीजेपी चौंकाने की राजनीति में माहिर है इसलिए जब तक नाम घोषित नहीं कर दिए जाते हैं तब तक अटकलों का बाजार गर्म है। बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक जयभान सिंह पवैया, न्यू जॉइनिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. नरोत्तम मिश्रा समेत पार्टी के कई सीनियर नेताओं के नाम भी शामिल हैं। ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि किसी दूसरे राज्य के नेता को भी एमपी से राज्यसभा भेजा जा सकता है।
क्या है जातिगत समीकरण?
एमपी में राज्यसभा सांसद में बीजेपी ने जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखा है। राज्यसभा में भाजपा के सांसदों में दलित समाज, आदिवासी वर्ग, पिछड़ा वर्ग और महिला वर्ग प्रतिनिधि हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब बीजेपी जातीय और राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए किसी ब्राह्मण अथवा ठाकुर समाज के नेता पर दांव खेल सकती है। अगर जातिगत समीकरण के हिसाब से उम्मीदवार फैसला होता है तो केपी यादव इस रेस में पिछड़ सकते हैं क्योंकि केपी यादव पिछड़ा वर्ग से आते हैं।
सिंधिया से क्यों है ‘दुश्मनी’
केपी यादव कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी थे। सिंधिया जब कांग्रेस में थे तो केपी यादव उनके संसदीय क्षेत्र में उनका काम देखते थे लेकिन बाद में टिकट की डिमांड को लेकर वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। उसके 2019 में वह गुना-शिवपुरी सीट से लोकसभा चुनाव लड़े और ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव हारा दिया। इसके बाद दोनों के बीच दूरियां और बढ़ गईं। 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए। बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेजा उसके बाद पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री बने। 2024 के चुनाव में सिंधिया को गुना शिवपुरी संसदीय सीट से बीजेपी ने टिकट दिया इसके लिए केपी यादव का टिकट काट दिया गया।
अब अगर बीजेपी केपी यादव को राज्यसभा भेजती है तो संसद में एक बार फिर से सिंधिया और केपी यादव की मुलाकात हो सकती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया कैबिनेट मंत्री हैं इस नाते से वह राज्यसभा में भी अपने विभाग के सवालों का जवाब देंगे।