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महिला डॉक्टर का रेप और मर्डर : कैसे बंद हो स्त्री भक्षण?

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(सरकार सदाचारी नहीं इसलिए बलशाली बलात्कारी)

        – पुष्पा गुप्ता 

उत्तरी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से 9 अगस्त को एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आयी है। यहाॅं अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक महिला डॉक्टर के साथ पहले बलात्कार किया गया और उसके बाद उसकी बर्बरता से हत्या कर दी गई। 

     31 साल की ट्रेनी डॉक्टर चेस्ट मेडिसिन डिपार्टमेंट में पी.जी. सेकेंड ईयर की स्टूडेंट थी। घटना के सामने आने के बाद पश्चिम बंगाल के अलग-अलग अस्पतालों के डॉक्टर इस घटना के विरोध में सड़कों पर है। शनिवार को जूनियर डॉक्टरों, रेजिडेंट्स और पैरामेडिक स्टाफ ने राज्य के कई मेडिकल कॉलेजों में विरोध प्रदर्शन किया,और वह इस घटना के मुख्य आरोपी पर कार्रवाई की माॅंग कर रहे हैं। 

       इस घटना में अब तक संजय राॅय नाम के एक व्यक्ति की  गिरफ़्तारी हुई है। घटना के सामने आने के बाद से ही बीजेपी और टीएमसी के बीच बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। राज्य के मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी द्वारा मामले की जाॅंच के लिए एक एसआईटी गठित की गयी है, जो कोई नयी बात नहीं है। जब भी इस तरीके की घटनाऍं होती हैं तो मामले को शान्त करने के लिए या तो एसआईटी गठित की जाती है या मामले को सीबीआई को सौंप उसे ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता है।

     इस तरह से कुछ दिनों बाद स्थिति फिर वही ‘ढाक के तीन पात’ वाली हो जाती है। 

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के कार्यकाल के दौरान यह कोई पहली स्त्री विरोधी घटना नहीं है  अभी कुछ दिन पहले 28 जून को उत्तर दिनाजपुर में टीएमसी के नेताओं द्वारा एक महिला को बेरहमी से पीटने उसके साथ बद्सलूकी  करने की घटना सामने आई थी।

     आज देश भर में फ़ासीवाद का जो अन्धेरा का दौर चल रहा है उसमें महिला विरोधी अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सड़क,क्लासरूम, लैब और घर तक में भी महिलाऍं सुरक्षित नहीं है। 

     राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का डाटा बताता है कि भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों में भयानक वृद्धि हुई है। अकेले 2022 में 4,45,256 मामले दर्ज़ किये गए, जो हर घण्टे लगभग 51 एफआईआर के बराबर है। 

       आज जिस तरीके से महिला विरोधी अपराधों में वृद्धि हो रही है उसके पीछे के असली कारण को हमें समझना होगा।फ़ासीवादी मोदी सरकार के शासनकाल में घृणित मानसिकता वाले लोगों को फलने-फूलने का बख़ूबी मौका मिल रहा है। स्वयं मोदी सरकार बलात्कारियों को पनाह दे रही है।

      बृजभूषण शरण सिंह, कुलदीप सिंह सेंगर, चिन्मयानन्द और कठुआ के बलात्कारियों के पक्ष में तिरंगा यात्रा निकालने के उदाहरण हम सबके सामने हैं।

     संसद तक में बलात्कारियों और महिला अपराध में संलग्न नेताओं की भरमार है। अभी हाल ही में आई एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 543 जीतने वाले प्रत्याशियों में से 46 प्रतिशत (251) प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.

      इसके अलावा सभी जीतने वाले प्रत्याशियों में 31 प्रतिशत (170) ऐसे हैं जिनके ख़िलाफ़ बलात्कार, हत्या, अपहरण आदि जैसे गम्भीर आपराधिक मामले दर्ज़ हैं.

बीजेपी के 240 विजयी प्रत्याशियों में से 39 प्रतिशत (94), कांग्रेस के 99 विजयी प्रत्याशियों में से 49 प्रतिशत (49), सपा के 37 में से 57 प्रतिशत (21), तृणमूल कांग्रेस के 29 में से 45 प्रतिशत (13), डीएमके के 22 में से 59 प्रतिशत (13), टीडीपी के 16 में से 50 प्रतिशत (आठ) और शिवसेना (शिंदे) के सात में से 71 प्रतिशत (पांच) प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. 

      आरजेडी के 100 प्रतिशत (चारों) प्रत्याशियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज़ हैं।

     आज फ़ासीवाद के दौर में हमारा प्रतिरोध का तरीका भी महज़ जेण्डर सेंसटाइजेशन या गुहार लगाने तक सीमित नहीं रह सकता। वक्त की नज़ाकत यही है कि हम जेण्डर सेंसटाइजेशन और गुहार लगाने से आगे बढ़कर सड़कों पर उतरे और व्यापक मेहनतकश आबादी को साथ लेकर स्त्री मुक्ति के लिए एक क्रान्तिकारी आन्दोलन खड़ा करें। 

    दुर्गा भाभी स्क्वायड जैसे दस्ते बनाकर  बलात्कारियों और अपराधियों को मुॅंहतोड़ ज़वाब दे।

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