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हिंडनबर्ग: सच सामने आना चाहिए

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-मुस्ताअली बोहरा


  • एक पुरानी कहावत है कि धुंआ वहीं से निकलता है जहां चिंगारी होती है। ऐसा ही कुछ हिंडनबर्ग-अडानी-सेबी के मामले भी है। हिंडनबर्ग की अडानी को लेकर जो पहली रिपोर्ट आई थी उसके कोई कार्रवाई नहीं होने की बात का जिक्र करते हुए अब नई रिपोर्ट आ गई। ताजा रिपोर्ट में निशाना सेबी पर साधा गया है। हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी चीफ माधबी पुरी बुच की उन विदेशी फंडों में हिस्सेदारी है जिनका अडानी समूह इस्तेमाल करता है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी समूह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। अडानी समूह ने कहा है कि सेबी प्रमुख या उनके पति धवल बुच के साथ उनका कोई व्यावसायिक रिश्‍ता नहीं है। सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने भी संयुक्त बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों को बेबुनियाद और सच से परे बताया है। अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने नई रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया कि गौतम अडानी की कंपनियों में गड़बड़ी के खुलासे के बाद भी सेबी ने कार्रवाई नहीं की और इसके पीछे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड चीफ माधबी पुरी बुच का स्वार्थ है। इस आरोप के बाद माधबी ने अपने पति धवल बुच के साथ संयुक्त बयान जारी कर हिंडनबर्ग के इस दावे को सिरे से नकार दिया। इसके बाद हिंडनबर्ग ने फिर पलटवार करते हुए कहा कि बुच दंपती की सफाई अपने आप में सबूत है कि दाल में कुछ काला है। इधर, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बहाने विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। हिंडनबर्ग ने करीब डेढ़ साल पहले अडानी ग्रुप को निशाना बनाते हुए कई खुलासे किए थे। इसके बाद नई रिपोर्ट से सेबी चीफ पर हमला बोला है। सेबी ने पहली रिपोर्ट पर हिंडनबर्ग को नोटिस भेजा था। माना जा रहा है कि इसी वजह से हिंडनबर्ग ने इस बार सेबी पर ही निशाना साध दिया। नई रिसर्च रिपोर्ट में माधबी बुच और उनके पति धवल बुच पर आरोप लगाया है कि दोनों ने अडानी ग्रुप में गुप्त निवेश करके मनी लॉन्ड्रिंग में उसकी मदद की है। चूंकि माधबी और धवल दंपती के हित अडानी ग्रुप के साथ जुड़े हैं, इस कारण जब माधबी को सेबी का चेयरपर्सन बनाया गया तो उन्होंने घोटाले की रिपोर्ट के बावजूद अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
    रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने कथित तौर पर बिजली उपकरणों के ओवर-इनवॉइसिंग से अर्जित पैसे को निवेश करने के लिए विदेशी संस्थाओं का इस्तेमाल किया। अडानी के सहयोगियों से जुड़ी मॉरीशस और बरमूडा की संस्थाओं के जरिए निवेश किया गया है। रिपोर्ट कहती है कि विनोद अडानी ने जो निवेश किए, उनमें बुच दंपती की भी हिस्सेदारी थी।
    इधर, इन आरोपों का जवाब देते हुए बुच दंपती ने कहा है कि हिंडनबर्ग ने उनके जिस निवेश की बात की है वो तो 2015 का है जब दोनों भारत में रह भी नहीं रहे थे। उन्होंने संयुक्त बयान में कहा कि माधबी ने उसके दो साल बाद सेबी ज्वाॅइन की थी, वो भी संस्था की प्रमुख नहीं बल्कि एक पूर्णकालिक सदस्य के रूप में। जिस फंड में निवेश का जिक्र हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में किया है, उसका सुझाव धवल के दोस्त और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर अनिल आहूजा ने दिया था। 2018 में आहूजा ने फंड के सीआईओ पद से इस्तीफा दिया तो बुच दंपती ने निवेश के सारे पैसे निकाल लिए। आहूजा के मुताबिक, बुच दंपती के पैसे कभी भी अडानी ग्रुप की किसी कंपनी में किसी भी तरीके से नहीं लगाए गए थे। हालांकि, बुच दंपत्ति के जवाब पर हिंडनबर्ग ने कहा कि बुच दंपती ने अपनी सफाई में ये तो स्वीकार किया है कि उसकी रिपोर्ट में दिए गए तथ्य सही हैं।
    हिंडनबर्ग ने पूछा है कि बुच के बयान में पूर्ण पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता का वादा किया गया है। इसे देखते हुए क्या वह परामर्श ग्राहकों की पूरी सूची तथा सिंगापुरी परामर्श कंपनी, भारतीय परामर्श कंपनी और किसी अन्य संस्था के जरिये किए गए अनुबंधों का विवरण सार्वजनिक करेंगी, जिसमें उनका या उनके पति का हित हो सकता है? हिंडनबर्ग ने कहा, अंततः, क्या सेबी चेयरपर्सन इन मुद्दों की पूर्ण, पारदर्शी तथा सार्वजनिक जांच के लिए प्रतिबद्धता दिखाएंगी ?
    हिंडनबर्ग ने कहा है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच अडानी समूह के ऑफशोर फंड्स में शामिल थे। रिपोर्ट ने अडानी समूह की दस कंपनियों में म्यूचुअल फंडों अथवा बिग मनी के 41,814 करोड़ रुपये के निवेश पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि दस्तावेजों के मुताबिक सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति अडानी से जुड़ी गुप्त विदेशी कंपनियों में हिस्सेदार हैं। हिंडनबर्ग ने बताया है कि उस समय उस फंड में बुच की कुल हिस्सेदारी 872762.65 डॉलर की थी। रिपोर्ट में फर्म ने बुच और उनके पति पर आरोप लगाया कि वह अपने पति के नाम का इस्तेमाल करके दस मिलियन डॉलर का निवेश किया है। बुच ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का खंडन किया। हिंडनबर्ग ने बुच की प्रतिक्रिया पर रिएक्शन दिया है। हिंडनबर्ग ने कहा कि बुच के जवाब से बरमूडा-मॉरीशस में निवेश की पुष्टि भी हुई है। हिंडनबर्ग ने कहा कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदानी ने पैसों की हेराफेरी करने तथा समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था।
    दूसरी तरफ, बुच ने अपने स्टेटमेंट में कहा कि सेबी ने हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई की है। इसके लिए सेबी ने हिंडनबर्ग को 46 पेज का कारण बताओ नोटिस जारी किया था, अब फर्म ने उसके जवाब में सेबी और हमारे चरित्र हनन करने की कोशिश की है। सेबी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का खंडन किया और कहा है कि अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सेबी ने विधिवत जांच की। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नियामक ने करीब सभी मामलों की जांच पूरी कर ली। जिन केसों में जांच पूरी हो गई है, उनमें एक्शन शुरू हो गया। इस मामले की जांच के लिए सेबी ने सैकड़ा भर से ज्यादा समन, ग्यारह सौ पत्र और ईमेल जारी किए।
    हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट सामने आने के बाद सियासत में भी भूचाल आ गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘बड़े घोटाले’ की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन की जरूरत बताया है। खरगे ने ‘एक्स’ पर लिखा,‘जनवरी 2023 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खुलासे के बाद सेबी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोगी अडानी को सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि, सेबी प्रमुख से जुड़े एक लेन-देन के बारे में नए आरोप सामने आए हैं। आम आदमी पार्टी ने कहा कि इन आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए। आप नेता सिंह ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट विदेशी फंड में हिस्सेदारी थी। बीजेपी नेता राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि कहा कि यह दुनिया की सबसे मजबूत वित्तीय प्रणालियों में से एक को अस्थिर और बदनाम करने और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में अराजकता पैदा करने के लिए है। बहरहाल, तमाम आरोप-प्रत्यारोपों के बीच अब ये तो होना ही चाहिए कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीरता दिखाए। चाहे जो भी तस्वीर साफ होना चाहिए क्योंकि इस बार आरोपों की जद में अडानी ही नहीं सेबी भी है।
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