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अपने कार्यक्षेत्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं लेंवे : अलावा

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प. बंगाल की घटना पर आयोजित समूह चर्चा में आए कई सुझाव

इन्दौर। पश्चिम बंगाल में मेडिकल स्टूडेंट की  जघन्य हत्या पर केन्द्रित समूह चर्चा में अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त सीमा अलावा ने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने क्षेत्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं लेना होगी। घरेलू हिंसा, छेड़छाड़ या महिला अपराध से जुड़े मामलों में प्राथमिक स्तर पर ही रोक लगाना होगी।

सुश्री अलावा स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. एवं वुमंस प्रेस क्लब, म.प्र. द्वारा आयोजित समूह चर्चा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की घटना पास्विक कृत्य से भी गयीबीती घटना है। नशे की कैद में होकर भी अपराधी ऐसे दरिंदी भरे कृत्य कर गुजरते हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में महिला अपराधों को लेकर कानूनों में संशोधन हुए हैं। अब महिला अपराधों की एफआईआर और जांच महिला सब इंस्पेक्टर द्वारा ही की जाती है। कोर्ट में भी महिला मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 164 में बयान और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग होने लगी है। महिला अपराधों की सुनवाई भी महिला मजिस्ट्रेट ही कर रही है। गवाहों को लेकर भी कानूनों में आवश्यक सुधार हुए हैं। अब उम्मीद है कि अपराधियों को जल्द और सख्त सजा मिला करेगी।

सुश्री अलावा ने कहा कि हमें अपने-अपने कार्य और रहवासी क्षेत्र में सुरक्षा के लिए स्वयं को जागृत होना पड़ेगा। हर सार्वजनिक और निजी दफ्तरों में इंटरनल कम्पलेंट कमेटी का गठन करना होगा ताकि घटनाओं पर प्राथमिक स्तर पर ही रोक लग सके। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि बीते तीन सालों में पुलिस विभाग के पास उदासीनता की वजह से इंटरनल कम्पलेन कमेटी की कोई शिकायत नहीं आई। इंटरनल कम्पलेन कमेटी नहीं बनाए जाने पर 50 हजार रुपए तक के दण्ड का प्रावधान भी है।

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विनिता कोठारी ने कहा कि जिस तरह से अनेक राज्यों में चिकित्सा समुदाय से जुड़े लोगों को निशाना बनाया जा रहा है वह चिंताजनक है। अन्य कोर्स की तुलना में एक डॉक्टर को तैयार होने में तीन गुना वक्त और पैसा लगता है। ऐसे में डॉक्टर को साफ्ट टारगेट बनाकर उस पर हमले किए जाएंगे तो यह हालात समाज के लिए भविष्य में नुकसानदायक साबित होंगे। डॉ. कोठारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मृतका ने अस्पताल में चल रहे गौरखधंधे  का पर्दाफाश करने का प्रयास किया था, जिसकी वजह से उसके साथ बर्बर कांड हुआ। हत्या के बाद भी गौरखधंधे के सबूत मिटाने के लिए हजारों की भीड़ ने अस्पताल पर हमला बोला। उन्होंने आमजनों से आग्रह किया कि कार्पोरेट अस्पतालों की कथित गलतियों की सजा वहां इलाज करने वाले डॉक्टरों को ना दे।

सामाजिक कार्यकर्ता माला ठाकुर ने कहा कि परिवार में संस्कार रोपण की बेहत आवश्यकता है। बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ की बजाय बेटा पढ़ाओ, बेटी बचाओ को सार्थक करना जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि 1500 वर्गफीट से अधिक के कार्यालय आदि में सीसीटीवी कैमरे पर्याप्त मात्रा में लगाए जाना चाहिए। युवतियों को भी स्वयं की सुरक्षा के लिए एनसीसी, एनएसएस और आत्मरक्षा शिविर का लाभ लेना चाहिए। नगर सुरक्षा समिति जैसे नवाचार भी प्रभावी तरीके से लागू किए जाना चाहिए।

चिकित्सक डॉ. एस.सी. झा ने कहा कि घर से संस्कार सिखाया जाना बेहत जरूरी है। अच्छे संस्कार की वजह से अच्छा समाज और अच्छी सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि देश में अपराधियों के विरुद्ध सख्य कानून है और हाल ही में नए कानून भी बने हैं, लेकिन कानून तोडऩे वाले भी उसी गति से सामने आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि जघन्य अपराधों के खिलाफ अरब देशों जैसी कड़ी सजा के प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान दौर में गोविन्द रक्षा के लिए नहीं आएंगे। हमें अपनी रक्षा स्वयं करना होगी।

अभिभाषक स्वाति मेहता ने कहा कि शिक्षा की कमी और नशे की लत की वजह से अपराधी जघन्य अपराध कर गुजरते हैं। ओटीटी प्लेटफार्म और स्वच्छंद इंटरनेट सर्विस की वजह से भी अपराधियों के दिमाग में घृणित कार्य करने की प्रवृत्ति पनपती है। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में जजों की कमी की वजह से न्याय मिलने में वक्त लगता है। प्रभावी लोगों और नेताओं की वजह से गवाह भी सही बात कहने से मुकर जाते हैं। यह वजह है मुकदमों में सजा का पैमाना कम है। उन्होंने पुलिस प्रशासन से नशाखोरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का आव्हान किया।

अभिभाषक पंकज वाधवानी ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन पर्व के बीच में देश जबरदस्त अवसाद से गुजर रहा है, जो आम भारतीय के लिए शर्मसार करने वाला घटनाक्रम है। उन्होंने बताया कि अधिकृत आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021 में 31600 और वर्ष 2022 में 32000 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली राज्य अव्वल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बलात्कार के मामलों में सजा का अनुपात हत्या के मामलों से कम है। उन्होंने कहा कि प्रतिरोधक क्षमता के अभाव में महिलाओं को आसान टारगेट बनाया जाता है। निर्भया कांड के 12 साल बाद कानून में संशोधन हुए हैं। उम्मीद है इससे अपराधियों को सजा दिलाने में मदद मिलेगी।

चिकित्सक डॉ. शैफाली ओझा ने कहा कि पश्चिम बंगाल की घटना से सम्पूर्ण समाज उद्वेलित प्रत्येक पालक अपनी बच्चियों को लेकर चिंतित नजर आ रहा है। उन्होंने हास्पिटल, शिक्षण संस्थान और कार्यालयों में लायसेंसी हथियार वाले सुरक्षाकर्मी तैनात करने का सुझाव दिया है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि छोटे-मोटे अपराध करके बेखौफ घुमने वाले अपराधियों के खिलाफ पुलिस सख्ती से कार्रवाई नहीं करती है। यही आगे चलकर दुर्दांत अपराधी बनते हैं।

मनोचिकित्सक डॉ. रोहिता सतीश ने कहा कि देश में हर 16 मिनिट में बलात्कार हो रहा है। बलात्कार करना एक मानसिक बीमारी है, जो कमजोर होता है वही बलात्कार करता है। हमारे समाज में प्रारंभिक दौर में ही मनोचिकित्सक से सलाह मशवरा करने का प्रचलन नहीं है। मानसिक विकृत रोगी को प्राथमिक स्तर पर ही रोका जाना चाहिए। यह देखना भी जरूर है कि अपराध करने वाले व्यक्ति ने आखिर ऐसा क्यों किया। उन्होंने भी लड़कों को परिवार में ही सुशिक्षा देने की पैरवी की।

समूह चर्चा को समाजसेवी डॉ. राम आर.के., डॉ. भरत शर्मा, डॉ. श्वेता खासगीवाला, डॉ. दीपा वंजानी, अरविंद जैन रंजन सर, मेघना बढ़कस ने भी संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए केन्द्र सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि सीता के साथ रावण और द्रोपदी के साथ दुशासन-दुर्योधन ने भी ऐसा ही कृत्य किया था और उस वक्त भी प्रभावी लोग रावण और दुर्योधन के साथ खड़े नजर आए थे। आज भी राज्य सरकारें अपराधियों को बचाने में जुटी हुई है। सभी वक्ताओं ने मोमबत्ती जलाकर और माला चढ़ाकर दिवंगत आत्मा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रारंभ में स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल ने समूह चर्चा का विषय प्रवर्तन किया। वुमंस प्रेस क्लब, म.प्र. की अध्यक्ष शीतल राय ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में रचना जौहरी, सोनाली यादव, जितेन्द्र चौधरी, सुदेश गुप्ता, बंसी लालवानी, पुष्कर सोनी, गोविन्द लाहोटी, अर्जुन नायक, विजय अडीचवाल, अभिषेक सिसोदिया, जितेन्द्र गुप्ता, प्रवीण धनोतिया, संजय मेहता आदि मौजूद थे।

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