अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

आप किस चरित्र को चुनते हैं….हर बुरे में अच्छा है कुछ, हर अच्छे में कुछ बुरा

Share

मनीष सिंह

तो एक दिन लैपटॉप खोला…ब्लैंक वर्ड फाइल दी और बेटे को कहा – बेटा, हेल्प मि टू इंप्रूव. लिस्ट बनाकर दो, मेरी वह 10 आदतें जो तुम्हें सख्त नापसंद है. ऐसी आदतें जो तुम्हारे बाप में देखकर शर्म आती हो, जिन्हें मुझे तुरन्त बदल लेनी चाहिए.

तब वो शायद 8th में था. मैं अब तक खुशकिस्मत रहा हूं कि बढ़ते बच्चे के फर्स्ट रेबेलियन का पहला शिकार नहीं बना हूं. यह ज्यादातर बापों का शाप है, पर वह काफी हद तक मुझे आइडोलाइज करता है. बातें सुनता है, मानता है, सम्मान करता है.

तो सवाल सुनकर स्तम्भित बैठा रहा. सोचता रहा. लगभग जबरजस्ती करने पर कुछ लिखा. पहला था – स्मोकिंग, फिर स्वेयर वर्ड्स का इस्तेमाल, एक दो और…थम गया.

अब तक मैं वॉच कर रहा था तो फ्रीडम देने के लिए उठ गया. बीस मिनट बाद लौटा. एक दो हल्के फुल्के पॉइंट्स उसने और लिखे थे. पर अब उससे हो नहीं रहा था. लिख क्यों नहीं रहे ? – मैनें पूछा.

जवाब में आंसू डबडबाने लगे. बड़ा इमोशनल था. और हो नहीं रहा था उससे. बुराइयां तो मुझमें और भी हैं मुझमें लेकिन एक्सरसाइज का पर्पज पूरा हो चुका था. ठीक, इतना काफी है. अब अगला काम करो. इसमें वो बुराइयां रेड मार्क करो, जो तुम कॉपी करते हो.

स्वयेयर वर्ड्स मार्क हुआ. कुछेक और…पर्पज तो वही था. गालियां देने की शिकायत आयी थी. खुद गालियां देता हूं, बेटे को क्या ही डांटता. गांधी तो हूं नहीं की गुड़ छोडने की सलाह देने के पहले, खुद गुड़ खाना छोड़ दूं. और गालियां, यूजफुल टूल है, ऐसा मानता हूं. सो यह तरीका निकाला था.

मैंने कहा-मेरे कई गुरु हैं. कुछ जीवित है, कुछ नही हैं. कुछ से कभी मिला नहीं बस सुना, और पढा है. कोई भी परिपूर्ण नहीं. अपनी अपनी बुराइयां है. किसी को शत प्रतिशत आइडोलाइज नहीं करो. मुझे भी नहीं. अच्छा, बेहतरीन ग्रहण करो. बुरा छोड़ दो. और तुम पाओगे की हरेक आदमी से कुछ सीखा जा सकता है.

बस बैड सेल्फ को इग्नोर करो, भला सीख लो. अपना विवेक, अपना विश्लेषण…सदा जागृत रखो.

थरूर पर पोस्ट लिखी. लोग आ गए – ठरकी है !!! ठीक है भई, होगा. मत सीखो ठरक…बाकी सीख लो.

गांधी, नेहरू, बुद्ध, राम, कृष्ण.. कौन सा चरित्र हैं, जिसमें कुछ बुराई खोज न निकालोगे. अगर यह नकार, किसी एक बिंदु पर, क्या सम्पूर्ण दैवत्व को प्रदूषित कर देती, तो मानवता उन्हें याद क्यों करती ? यह आपका नजरिया है, जूते के छेद से दुनिया देखोगे, तो छेद बड़ा, दुनिया छोटी लगेगी. श्वेत व्यक्तित्व में श्याम धब्बे मिलेंगे. श्याम चरित्र में धवल धब्बे.

हर बुरे में अच्छा है कुछ, हर अच्छे में कुछ बुरा. हंस की तरह श्वेत मोती चुग लीजिए, हलाहल को छोड़ दीजिए. सम्भव है, जो हलाहल समझ रहे हों, अमृत हो. तो जब मैच्योर जो जाओ, आकर बटोर लेना.

सीखने के लिए आप किस चरित्र को चुनते हैं, आपका चयन है. और यह चयन आपके व्यक्तित्व का मिरर है, जिनके क्रेडेंशियल प्रूवन हों, उन पर पढ़ना, लिखना, बोलना, सोसायटी के लिए जरूरी है ताकि विवेक पैदा हो. बुरे-भले की समझ बने. यह मुक्त कंठ प्रशंसा है, चापलूसी नहीं.

चापलूसी उसकी होती है, जो आपका कुछ बिगाड़ सकता है. जो पॉवर में हो, जिसका भय हो, जो मर चुका, जिसका करियर खात्मे पर है, जिसके पास पॉवर नहीं, जो किसी कुछ बिगाड़ सकता नहीं, तो गांधी, नेहरू, कृष्ण, राम के गुणों का बखान चापलूसी की श्रेणी में नहीं आता. थरूर या विपक्ष में बैठे राहुल की बात भी इसमें शामिल नहीं.

हां, जो सत्ता में बैठा है, जिसके हाथ कोड़ा है, जेल है, बांटने को राशन और प्रति कमेंट 2 रुपये है, उसका गुणगान अवश्य चापलूसी है. क्योंकि इसका कारक भय है. सत्ता से एसोसिएट होकर पॉवरफुल फील करने की ललक है.

नीच कर्म की पराकाष्ठा यह है कि आप मृत व्यक्तियों पर बुराई का आरोप करते हैं, जो खुद को डिफेंड करने नहीं आ सकता. जो आपकी कुशिक्षा से उत्पन्न भ्रांतियों का जवाब नहीं दे सकता. जो जिन्हें सत्य मालूम है, वे लिखें, बोलें, और जवाब दें.

नेशनल हीरोज, ऊंचे गुण और किरदार वालों पर जमी कीचड़ की सतह साफ करें. यह दौर की जरूरत है. सबसे बड़ी समाजसेवा है. राष्ट्र धर्म है. वरना आने वाले दौर में इस देश में गांधी, बुद्ध, नेहरू, अंबेडकर, सरदार, मनमोहन और थरूर पैदा नहीं होंगे. क्योंकि सड़कों पर सावरकर, श्यामू, दीनू, मोदी और गोडसे की मूरतें को देखकर आपके बच्चे वही बनना चाहेंगे. वह इस महान देश के गर्त में गिरने का दिन होगा.

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें