अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

नेताजी ने ब्रिटिश सीक्रेट एजेंटों को ऐसा चकमा दिया कि वो हाथ मलते रह गए,बनाई आजाद हिंद सरकार

Share

सिंगापुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद की सरकार बनाई थी, जिसे तब जर्मनी और जापान जैसे 11 देशों की सरकारों ने मान्यता दी थी। यहीं से उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ी थी, जो भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुई। जानते हैं यह कहानी।

ये तब की बात है, जब दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो चुका था। उस वक्त भारत पर राज करने वाली ब्रिटिश हुकूमत भी जंग में फंसी थी। तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इस मौके को भारत की आजादी के एक अवसर के रूप में देखा। बोस ने अंग्रेजी सरकार की दुश्मन जापान और जर्मनी की सरकारों से देश की आजादी के लिए मदद मांगनी शुरू कर दी। उनके इस कदम से अंग्रेजी सरकार इतना डर गई कि उसने ब्रिटिश खुफिया एजेंटों को सुभाष की हत्या का आदेश दे दिया। यह आदेश 1941 में दिया गया था। पर नेताजी को पकड़ना या उनकी हत्या करना इतना आसान नहीं था। नेताजी के ब्रिटिश एजेंटों और सरकार की आंखों में धूल झोंककर बच निकलने की कहानी जानते हैं। नेताजी ने सिंगापुर में ही आजाद भारत की अस्थायी सरकार बनाई, जहां आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे हैं। जानते हैं सिंगापुर के सुभाष चंद्र बोस से कनेक्शन की कहानी।

जर्मनी जाते वक्त ही नेताजी को मार डालने की कोशिश

एक आयरिश इतिहासकार यूनन ओ हैल्पिन के अनुसार, जब नेताजी ने जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की तो ब्रिटिश सरकार ने उन्हें खत्म करने का आदेश दिया। ब्रिटिश खुफिया एजेंटों को यह आदेश दिया गया था कि मध्य पूर्व से होकर जर्मनी जाने की कोशिश कर रहे नेताजी को बीच रास्ते में ही ख़त्म कर दिया जाए। हालांकि, ये एजेंट अपने नापाक मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाए।

नेताजी जब अचानक लापता हो गए और हाथ मलते रह गए एजेंट

ओ हैल्पिन ने गुप्त दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया कि ब्रिटिश एजेंट इस बात को लेकर परेशान थे कि नेताजी कहां गायब हो गए। दरअसल, नेताजी अंग्रेजी सरकार की मंशा भांप गए थे। वह जनवरी 1941 में अचानक लापता हो गए। ओ हैल्पिन का कहना है कि जब ब्रितानी सरकार को पता चल गया कि नेताजी दुश्मन देशों की मदद लेकर ब्रितानी हुकूमत को उखाड़ फेंकना चाहते हैं तो ख़ुफिया अधिकारियों को आदेश दिए गए कि उन्हें मार डाला जाए।

जब नेताजी एजेंटों को चकमा देकर काबुल पहुंचे

हैल्पिन के अनुसार, ब्रिटिश सीक्रेट एजेंटों ने पहले यह सोचा कि नेताजी सुदूर पूर्व की ओर गए हैं। मगर, कुछ समय बाद ही उन्हें इटली के एक मैसेज से यह पता चला कि नेताजी उन्हें चकमा देकर काबुल पहुंच गए हैं और मध्य पूर्व के रास्ते जर्मनी जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके बाद तुर्की में मौजूद दो ब्रिटिश एजेंटों को लंदन स्थित मुख्यालय से निर्देश दिया गया कि वे सुभाष को जर्मनी पहुंचने से पहले ही मार डालें।

सुभाष ने अचानक बदला प्लान, रूस के रास्ते जर्मनी पहुंचे

मगर, यहां भी सुभाष एजेंटों से आगे निकल गए थे। ब्रिटिश जासूसों का प्लान फेल हो गया था। वो नेताजी तक नहीं पहुंच पाए क्योंकि नेताजी मध्य एशिया होते हुए रूस पहुंचे और वहां से फिर वह जर्मनी गए। उसके बाद वह सिंगापुर पहुंच गए, जहां से उन्होंने ब्रिटिश सरकार को चुनौती देनी शुरू की।

Add comment

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

चर्चित खबरें