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आतिशी को सीएम बना केजरीवाल ने साध ली आधी आबादी

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सियासत में अरविंद केजरीवाल को नए प्रयोगों के लिए जाना जाता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। मीडिया में कई चेहरों का नाम सामने आया। राजनीतिक जानकार भी नए सीएम के नाम को लेकर उलझन में थे। कोई कह रहा था कि नया सीएम, हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव को ध्यान में रखकर तय होगा। महाराष्ट्र में तो अभी चुनाव की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन हरियाणा, जो केजरीवाल का होम स्टेट है, वहां पर पांच अक्तूबर को वोटिंग होगी। ऐसे में माना जा रहा था कि केजरीवाल, अनुसूचित जाति के उम्मीदवार पर दांव लगा सकते हैं। अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को सीएम बनाकर देशभर की महिलाओं को साधने का प्रयास किया है। 

इसका फायदा उन्हें न केवल हरियाणा, बल्कि महाराष्ट्र और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में भी मिल सकता था। केजरीवाल ने ऐसा कुछ नहीं किया, बल्कि उन्होंने सीधे ही 47.1 करोड़ वोटरों का दांव खेल दिया। देश में महिला वोटरों की संख्या 47 करोड़ से ज्यादा है। केजरीवाल ने अचूक रणनीति का परिचय देते हुए आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर देशभर की महिला वोटरों को साधने का काम किया है। 

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, दिल्ली के नए सीएम के लिए कई नाम चल रहे थे। इनमें आतिशी, राखी बिडलान, कुलदीप सिंह, कैलाश गहलौत, गोपाल राय व सौरभ भारद्वाज आदि नेता शामिल थे। ऐसा कहा जा रहा था कि मौजूदा सियासत में विधायक कुलदीप कुमार की लॉटरी लग सकती है। वजह, वे अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं। अगर केजरीवाल उन्हें मुख्यमंत्री बनाते तो वे हरियाणा के अलावा दूसरे चुनावी राज्यों को भी साध सकते थे। कुलदीप सिंह ने पूर्वी दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी की टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। उन्हें टिकट देने के बाद केजरीवाल ने कहा था कि कोई भी पार्टी जनरल सीट पर एससी उम्मीदवार को टिकट नहीं देती। विधायकों की बैठक से पहले केजरीवाल ने पीएसी की बैठक बुलाई थी। उसमें विस्तार से दिल्ली के नए सीएम को लेकर चर्चा की गई। 

सूत्रों का कहना है कि खुद केजरीवाल ने आतिशी का नाम पीएसी में रखा था। यह एक ऐसा नाम था, जिस पर पीएसी के सभी सदस्य सहमत थे। खास बात है कि आतिशी की कार्यशैली से केजरीवाल की पत्नी सुनीता भी खासी प्रभावित रही हैं। अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद उन्होंने बड़ी जिम्मेदारी के साथ अपनी भूमिका का निर्वहन किया। सीएम पद के लिए आतिशी का नाम आगे करने के पीछे केजरीवाल की मंशा, दूर का लक्ष्य साधना था। उन्होंने एक ऐसी महिला का नाम आगे किया, जिन पर कोई आरोप नहीं था। शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा शुरु की गई पहल को विदेशों में भी सराहना मिली थी। आतिशी ने उस वक्त अपनी जिम्मेदारी का प्रभावी तरीके से निर्वहन किया, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री, दोनों ही जेल में बंद थे। 

आतिशी ने एक बेहतरीन प्रशासक के तौर पर अपनी छाप छोड़ी है। दूसरा, सबसे बड़ा फैक्टर, वे महिला हैं। ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को सीएम बनाकर देशभर की महिलाओं को साधने का प्रयास किया है। उन्होंने संदेश दिया है कि दो राज्यों में ‘आप’ की सरकार है। पंजाब में भगवंत मान सीएम हैं तो अब दिल्ली की कमान आतिशी को सौंपी जा रही है। यानी ‘आप’ के मुख्यमंत्री पद में महिला को पचास प्रतिशत की हिस्सेदारी मिल गई है। अब केजरीवाल हरियाणा या दूसरे जिस भी चुनावी राज्य में प्रचार के लिए जाएंगे, वहां पर वे कह सकते हैं कि उन्होंने एक महिला को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया है। 

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