सर्वोच्च न्यायालय के किसी भी आदेश का उल्लंघन न करने का आश्वासन,मेधा पाटकर ने कहा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में हजारों डूब प्रभावितों का पुनर्वास शेष
बडवानी। नर्मदा बांध डूब प्रभावितों का नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर के अगुवाई में पिछले तीन दिनों से चल रहा नर्मदा जल सत्याग्रह 15 सितंबर की रात 9 बजे करीब 36 घंटों के बाद प्रशासनिक आश्वासन मिलने पर समाप्त हुआ, इसमें विधायक राजन मंडलोई, तहसीलदार श्री परमार की विशेष भूमिका रही। विधायक राजन मण्डलोई ने नर्मदा बांध डूब प्रभावितों के प्रति प्रशासनिक असंवेदनशीलता पर नाराजगी और गहरा असंतोष व्यक्त किया।
जल सत्याग्रह समाप्ति पर मेधा पाटकर ने कहा कि नर्मदा बांध की डूब से पहले विस्थापितों का पुनर्वास जरूरी था। नर्मदा घाटी के सरदार सरोवर क्षेत्र के 170 से अधिक गांवों में 2023 के मानसून में, जलस्तर, बैकवॉटर बढ़ने से हजारों मकान, बिना भूअर्जन हजारों एकड़ खेत भी डूबग्रस्त और बर्बाद हुए थे | इस साल फिर से घाटी के किसान- मजदूर, मछुआरे, कुम्हार, पशुपालक, दुकानदार समुदायों के हजारों परिवारों के डूबने की कगार पर खड़े है। सरदार सरोवर का जलस्तर 136 मीटर्स से उपर जा रहा है और उपरी बड़े बांधों के जलाशयों में भी पानी लबालब भरा हुआ है| ऐसे में निमाड़ के गांवों का डूबने का खतरा अभी टला नहीं है।
मेधा पाटकर ने कहा कि 39 सालों से संघर्ष-निर्माण में शामिल सरदार सरोवर प्रभावितों में से करीबन 50,000 परिवारों के पुनर्वास के बाद भी मध्यप्रदेश में हजारों तथा महाराष्ट्र और गुजरात में सैकड़ों डूब प्रभावितों का पुनर्वास शेष है। 1990 के दशक से, विशेषकर 2023 में डूबग्रस्त और ध्वस्त (मकान, दुकान, पशु, इंसानों की मृत्यु) करने से कानून से लेकर सर्वोच्च तथा उच्च अदालत के अनेक फैसलों को कुचला गया है|
जल सत्याग्रह के समर्थन में देशभर के जनसंगठनों, क्षेत्र के विधायक राजन मंडलोई और सुरेन्द्रसिंह बघेल तथा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी इस मुद्दे को उठाया तथा संबंधित अधिकारियों, प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री आदि को पत्र भेजकर बांध पीडितों की दिक्कतों को उठाया| सत्याग्रह को वाजिब बताकर मांगों का समर्थन दिया|
नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में देवीसिंह तोमर, गौरीशंकर कुमावत, श्यामा मछुआरा, लतिका राजपूत, धनराज भिलाला ने कहा कि नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के प्रमुख कार्यकारी सदस्य तथा जलाशय नियमन समिति (RRCC) के अध्यक्ष अशोक ठाकुर से हुई बातचीत में मेधा पाटकर ने 6 जुलाई 2024 को घाटी के सौ प्रतिनिधियों ने प्रस्तुत किये मुद्दे और मांगों की याद दिलायी| उन्होंने आश्वासन दिया था कि पूरे जल नियमन के द्वारा इस वर्षाकाल में उपरी क्षेत्र से 24 लाख क्यूसिक जलप्रवाह सरदार सरोवर जलाशय में आने नहीं देंगे और मध्यप्रदेश के सभी गांवों को पिछले साल आई डूब से बचाएंगे| मेधा पाटकर ने नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसला, नर्मदा वॉटर स्कीम और सर्वोच्च अदालत के फैसलों के अनुसार नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण की जिम्मेदारी बंधनकारी है|
केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय की प्रमुख सचिव श्रीमती देवश्री मुखर्जी से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख की हुई बातचीत के दौरान उन्होंने उर्वरित पुनर्वास, डूब आदि मुद्दों को माना है और सर्वोच्च न्यायालय के किसी भी आदेश का उल्लंघन न करने देने का स्पष्ट आश्वासन दिया है|