अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

श्रीलंका में दिसानायके की बड़ी जीत के बाद भारत के लिए चुनौती बड़ी

Share

कोलंबो । श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनावमें वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने बड़ी जीतदर्ज की है। दिसानायके मार्क्सवाद और लेनिनवाद के समर्थक हैं और ऐसे में माना जाता है कि उनका झुकाव चीन की तरफ रहेगा। ऐसे में भारत को एक और पड़ोसी से चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन भारत की सुरक्षा को लेकर वह पहले भी गंभीर नजर आए हैं और उन्होंने कहा था कि भारत की सुरक्षा के साथ कोई भी खिलवाड़ नहीं होने देंगे। हाल ही में बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भी भारत विरोधी लहर देखने को मिली है। सेना समर्थित नई अंतरिम सरकार पहले की तरह भारत के साथ संबंध स्थापित करने में कामयाब नजर नहीं आ रही है। वहीं चुनाव प्रचार के दौरान ही श्रीलंका के दिसानायके अडानी के प्रोजेक्ट रद्द करने की बात कह रहे थे। हालांकि श्रीलंका का सत्तापरिवर्तन भारत के लिए उतनी बड़ी चुनौती नहीं है जितनी बांग्लादेश की राजनीतिक उथल-पुथल है।

भारत के उच्चायुक्त संतोष झा नवनिर्वाचित राषट्रपति को बधाई दी

भारत के उच्चायुक्त संतोष झा ने सबसे पहले नवनिर्वाचित राषट्रपति दिसानायके को बधाई दी। उन्होंने कहा कि समान संस्कृति वाले देश आपस में सहयोग और दोनों देशों की समृद्धि बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सोमवार को 55 साल के दिसानायके राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे और श्रीलंका के पहले वामपंथी राष्ट्रपति बन जाएंगे। पिछली बार 2019 के चुनाव में उनकी पार्टी को सिर्फ 3 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि इस बार उन्होंने 42.31 फीसदी वोटों से बड़ी जीत हासिल की है।

भारत का मानना था कि अगर रानिल विक्रमसिंघे या फिर प्रेमदासा की जीत होती है तो संबंध ज्यादा बेहतर रहेंगे। उनकी जीत से हिंद महासागर में भारत को सुरक्षा के मोर्चे पर आसानी होती। दिसानायके जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी के भारत विरोधी रुख के बावजूद भारत ने फरवरी में उन्हें आमंत्रिण दिया था। श्रीलंका में आर्थिक संकट के बाद युवाओं में दिसानायके की लोकप्रियता काफी बढ़ गई थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोभाल ने नई दिल्ली में उनसे मुलाकात की थी।

श्रीलंका की कई डेयरी कंपनियों के अधिग्रहण करेगा अमूल

भारत दौरे के दौरान दिसानायके गुजरात के अमूल प्लांट को देखने गए थे। बताया जा रहा था कि अमूल श्रीलंका की कई डेयरी कंपनियों के अधिग्रहण की योजना बना रहा है। भारत की प्राथमिकता यह है कि श्रीलंका में रहने वाले भारतीय मूल के तमिल समुदाय का ध्यान रखा जाए और 1987 के संविधान के 13वें संशोधन को पूरी तरह से लागू किया जाए। इसके अलावा भारतीय मछुआरों के साथ ज्यादा मानवीय व्यवहार किया जाए। इसके अलावा यह भी अहम है कि श्रीलंका भारत के साथ द्विपक्षीय समझौतों को तहत भारत के हित से जुड़े पोर्ट्स को चीन के इस्तेमाल के लिए प्रतिबंधित रखे।

जानकारों का यह भी कहना है कि दिसानायके के संबंध चीन के साथ ज्यादा अच्छे हो सकते हैं। हालांकि हाल ही में दिसानायके ने कहा था कि वह अपने समंदर, भूमि एयरस्पेस और पोर्ट्स का इस्तेमाल किसी भी देश द्वारा नहीं होने देंगे जो कि भारत की सुरक्षा को चुनौती दे। उन्होंने यह भी कह दिया था कि वह अडानी ग्रुप के विंड पावर प्रोजेक्ट को रद्द कर देंगे क्योंकि यह श्रीलंका की ऊर्जा संप्रभुता का उल्लंघन करता है।

चीन के भी प्रोजेक्ट्स को लेकर बड़ी बात कही

दिसानायके ने भारतीय अधिकारियों के सामने चीन के भी प्रोजेक्ट्स को लेकर बड़ी बात कही थी। उन्होंने कहा था कि कई चीनी प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता की कमी है। जैसे कि हंबनटोटा और कोलंबो पोर्ट प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार व्याप्त है। एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा लगता है कि दिसानायके का फोकस पारदर्शिता और भ्रष्टाचार को खत्म करने पर है। वह किसी भी प्रोजेक्ट को रद्द करने के मूड में नहीं हैं। हालांकि उसमें सुधार करना उनकी प्राथमिकता है।

1987 के भारत-श्रीलंका समझौते का विरोध दिसानायके की पार्टी करती रही है। हालांकि सच यह भी है कि प्रेमदासा के अलावा विक्रमसिंघे भी इसे पूरी तरह से लागू करने के पक्ष में नहीं थे। दिसानायके ने इतना जरूर कहा है कि वह संविधान में ऐसे बदलाव करेंगे जो कि भविष्य में शांति स्थापित करने में सहयोगी हों।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें