–सनत जैन
आज के दौर में तकनीक जिस गति से आगे बढ़ रही है, वह अद्वितीय है। तकनीकि प्रमुख योगदान रोबोटिक्स ऑटोमेशन और एआई तकनीकी का है। वैश्विक उद्योगों में रोबोट उत्पादकता बढ़ा रहे हैं। परंपरागत कार्यक्षेत्रों को भी बदल रहे हैं। हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर की फैक्ट्रियों में रोबोट्स की संख्या 40 लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है। पहली बार है, जब दुनिया भर के देशों में इतने बड़े पैमाने पर रोबोट्स का उपयोग किया जा रहा है। इस तरह के बदलाव से उद्योग जगत की तस्वीर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी के साथ बदल रही है। उत्पादन की लागत कम हो रही है कंपनियों का मुनाफा बढ़ रहा है।
महत्वपूर्ण बिंदु यह है, जहां फैक्ट्रियों में रोबोट्स की संख्या बढ़ रही है, वहीं श्रमिकों के लिए उत्पादन की तुलना में रोजगार के अवसर घटते जा रहे हैं। दुनिया के देशों में बेरोजगारी बढ़ रही है। भारत जैसे देश मे जहां परंपरागत उद्योगों, कृषि एवं अन्य क्षेत्रों में श्रमिकों की हमेशा से बड़ी भूमिका रही है। वर्तमान बदलाव के प्रति भारत जैसे देश को विशेष रूप से सतर्क होना पड़ेगा। भारतीय कारखानों में रोबोटिक्स की बढ़ती जा रही है। एक वर्ष में 59% की वृद्धि हुई है। अगले 3 वर्षों में 139 फ़ीसदी की दर से रोबोट बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
इससे स्पष्ट है, भारत भी इस वैश्विक बदलाव का हिस्सा बन रहा है। तकनीक का यह विकास अनिवार्य रूप से भारत के श्रमिक संसाधन और आबादी के लिये बड़ी चुनौती खड़ी कर रहा है। तेजी से होते ऑटोमेशन से भारत में रोजगार के अवसरों में कमी आएगी। भारत में अभी भी बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है। भारत की सबसे बड़ी आबादी युवाओं की है। विशेषज्ञों का मानना है, कि ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और एआई के बढ़ते उपयोग से पारंपरिक रोजगार के अवसर तेजी से कम होंगे, नई नौकरियों के जो अवसर खुलेंगे, वह बहुत कम होंगे। विशेष रूप से तकनीकी, शिक्षा और डिजिटल तकनीकी दक्षता के क्षेत्र में जो नए रोजगार के अवसर होंगे। वह इतने कम होंगे, जो भारत की आबादी के हिसाब से ऊंट के मुंह में जीरे के समान होंगे। दूसरी तरफ चीन जैसे देश तकनीकी दौड़ में सबसे आगे है। भारत का मुकाबला भी चीन के साथ है। चीन की आबादी कम हो रही है।
भारत की आबादी बढ़ रही है। चीन को आबादी कम होने, उत्पादन लागत कम होने का लाभ सारी दुनिया में मिल रहा है। इस परिवर्तन को चीन ने आर्थिक संरचना का हिस्सा बना लिया है। चीन में 2.76 लाख से अधिक नए रोबोट्स लगाए गए हैं, जो वैश्विक संख्या का 51% है। जो देश तकनीकी क्रांति में आगे होंगे, वह अपने उद्योगों एवं आर्थिक विकास को उसी गति से आगे बढ़ा सकेंगे। भारत को समस्याओं के साथ समाधान भी निकलना होगा। भारत जैसे विकासशील देशों को इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा। इस तकनीकी युग में अपनी आर्थिक नीति और श्रम शक्ति को किस तरह से संतुलित बनाकर रखा जा सकता है।
ऑटोमेशन से उत्पन्न होने वाले नए अवसरों को मानव संसाधन के विकास और तकनीकी कौशल के बीच में समन्वय बनाते हुए आगे बढ़ सकें। रोबोटिक्स, एआई और ऑटोमेशन के बढ़ते प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। बदलते हुए परिवेश के अनुकूल हमें अपनी नीतियां बनानी होंगी। रोजगार के पारंपरिक तौर तरीकों पर नकारात्मक प्रभाव न हो। इसका ध्यान रखना होगा। भारत के मानव संसाधन को नई तकनीकी के साथ तालमेल करते हुए दुनिया के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में कदमताल करते हुए आगे बढ़ना होगा। जिस तेजी के साथ मानव सभ्यता में तकनीकी का प्रवेश बड़े पेमाने पर हो रहा है।
ऐसी अवस्था में समन्वय बनाने की जरूरत है। सरकार की जिम्मेदारी है, समय रहते भारत के मानव संसाधन को तकनीकि विकास से जोड़ते हुए आर्थिक एवं सामाजिक विकास की इस दौड़ में शामिल भारत की सबसे बड़ी युवा आबादी है। उसका उपयोग वैश्विक स्तर पर किया जाए। इसकी तैयारी करना होगी। दुनिया के कई देशों के पास मानव ससाधन की भारी कमी है। हमें इसका ध्यान रखना होगा।