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समाजवाद का अर्थ सर्वोदय : महात्मा गांधी

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     अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस 2 अक्टूबर

कैलाश रावत

              राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी अपने आप को समाजवादी मानते थे उनकी विचारधारा में व्यक्तिगत स्वतंत्रता समानता सामाजिक न्याय आदि को अत्यंत ऊंचा स्थान प्रदान किया गया है अपरिग्रह एवं न्यास वादी सिद्धांत के द्वारा आर्थिक विषमता का उन्मूलन करके आर्थिक समानता लाना चाहते थे मानना था कि समाजवाद हमें पूर्वजों से प्राप्त हुआ है

रूई फिसर से जुलाई 1940 में वार्तालाप करते हुए गांधी ने कहा था मैं सच्चा समाजवादी को मेरे समाजवाद का अर्थ सर्वोदय किसान मजदूर गरीबों यादी का सभी प्रकार से कल्याण चाहते थे उनके साथ होने वाले अन्याय अत्याचार और आर्थिक शोषण को दूर करना चाहते थे 

गांधीजी के आर्थिक विचारों का आधार रोटी रोजी सिद्धांत है टालस्टाय से गांधी जी ने प्रेरणा प्राप्त की जीवित रहने के लिए मनुष्य को कार्य करना चाहिए गीता के तृतीय अध्याय में भी यही विचार व्यक्त किया गया है कि बिना कष्ट के प्राप्त भोजन चुराये हुए भोजन के समान हैंरोजी के सिद्धांत का आधार है श्रम के बिना व्यक्ति को भोजन करने का अधिकार नहीं है पूजी तथा श्रम के मध्य विश्वव्यापी संघर्ष छिड़ा हुआ है

न्यास पद्धति के अनुसार पूजी पतियों को अपनी संपत्ति के समान की धरोहर समझने के लिए समझाए जाना चाहिए उसे समाज की धरोहर से अपनी जीत का निर्वाह के लिए आवश्यक धनराशि दे सकते हैं शेष धनराशि समाज के लिए हितकारी कार्य में लगा दी जानी चाहिए यदि यदि पूंजीपति शिक्षा से अपनी संपत्ति का परित्याग करने के लिए तैयार नहीं है तो उन्हें अहिंसात्मक असहयोग तथा सत्याग्रह के साधनों के द्वारा सन्मार्ग पर लाया जा सकता है पूंजीपति जमीदार उद्योगपति आदि किसानों और मजदूरों के सहयोग से अपने समस्त कार्य करते हैं यदि वे सहयोग ना दें उनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा आता असहयोग के अहिंसक ब्रह्मास्त्र से पूंजी पतियों को अपनी संपत्ति का न्यास धर बनने के लिए बाद किया जा सकता है

आर्थिक समानता की लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उनकी तकनीकी तथा समाजवादियों एवं शाम वादियों की तकनीक में अंतर है अहिंसा द्वारा आर्थिक समानता की स्थापना करना घृणा के स्थान पर प्रेम  की शक्ति को उपयोग करूंगा मेरे विचारों के अनुरूप समाज समाज के बनने तक मैं प्रतीक्षा नहीं करूंगा आप स्वयं से ही इसका प्रारंभ कर दूंगा वास्तव में गांधीवादी विचारधारा  एक संगम जीवन दर्शन प्रस्तुत करती है

समाजवादी चिंतक विचारक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ राम मनोहर लोहिया के अनुसार राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी के अवसान के बाद तीन प्रकार के गांधीवादी उभरकर सामने आए

1।   सरकारी गांधीवादी

2।    मट्ठी गांधीवादी

3।  कुजात गांधीवादी

सरकारी गांधीवादी हर काम में गांधी का नाम गांधी की रूपरेखा से उलट नीति के आधार पर देश चलाने में लगे

    मठी  गांधीवादी महंत बालिका चंदा बटोर कर उपदेशक एवं सरकारी संत के रूप में अवतरित हो गए इसके  भिन्न-भिन्न नाम और मट्ठ है

      कुजात   गांधीवादी समाजचयुत कुजात गांधीवादी रहे जो अन्याय का प्रतिकार के लिए शक्तिशाली स्वशासन से बिना केवल टकराते थे वर्ण उनके द्वारा देश के प्रति किए गए विश्वासघात से देश को परिचित चलाते थे

कुजात गांधीवादीयो को सरकार अखबार और मठ तीनों का को भाजन बनना पड़ा

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनुसार सभी मुद्दों पर कोई मुझसे सहमत नहीं हो सकता लोकमान तिलक असहमत थे गुरु गोपाल कृष्ण गोखले ने मेरी किताब हिंद स्वराज को कूड़ेदान में फेंकने को कहा

भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारी मेरी अहिंसा के सामाजिक तथ्य के हथियार को खारिज किया था

सरदार बल्लभ भाई पटेल ने कई बार मुझसे असहमत हुए सुभाष चंद्र बोस से अंततः मेरी असहमति आजादी के पहले इतिहास में सबसे चर्चित परिच्छेद है हिंदुत्व के सबसे पुराने पेरोकार डॉ मुंजे r.s.s. संस्थापक बने डॉक्टर हेडगेवार दोनों कांग्रेसमें थे उन्हें मुझ से परहेज  था  कांग्रेस छोड़कर दक्षिण पंथी संगठन बनाया

सावरकर से मिलने 1909 में इंग्लैंड गया था उन्हें समझाया कि हिंसा के जरिए भारत की आजादी का ख्याल छोड़ दें अंग्रेजन अधिकारियों को समझाया दोनों ने मुझे खारिज कर दिया था

साबरमती आश्रम के कुष्ठ रोगियों की सेवा से इनकार करने पर मैंने अपनी बड़ी बहन और पत्नी कस्तूरबा को जाने के लिए कह दिया मेरे बड़े बेटे ने तो घर परिवार और हिंदू धर्म की छोड़ दिया कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना की नफरत तो पाकिस्तान बनने पर भी कम नहीं हुई मैंने तय किया था चाहे मैं नष्ट हो जाऊं लेकिन भारत की जनता मजदूर किसान और गरीब के प्रति अपने प्रेम कर्तव्य तथा भारत के महान सिद्धांतों से हटूंगा नहीं पूरे जीवन ऐसी राह पर चलने की कोशिश करता रहा

     गांधी जी से डॉ राम मनोहर लोहिया जयप्रकाश नारायण  हमेशा साथ  रहे गांधीजी के मुकाबले डॉक्टर लोहिया के विचारों ने साहित्यकारों को ज्यादा मथा  गांधी।  लोहिया में उतना ही भेद देखता देखता हूं जितना राम और कृष्ण में एक मर्यादाओं में बधा दूसरा मर्यादाओं को तोड़ने को हर क्षण तैयार

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान देश में ही  बगावत के शोले बाये गए थे जयप्रकाश नारायण गिरफ्तारी  से बचने के लिए नेपाल की ओर भागे उनके गिरफ्तार हो जाने पर गांधीजी ने ब्रिटिश हुकूमत को ललकारा यहां तक कहा कि जयप्रकाश नारायण डॉ राम मनोहर लोहिया में भारत की आत्मा बस्ती है जयप्रकाश नारायण गिने चुने नेताओं में गांधी के ग्राम स्वराज के साथ थे संत विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में शामिल हो गए

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का उद्देश्य राज्य शक्ति को जीत और व्यक्ति को सबल बनाना है इसमें शोषण को शांतिपूर्ण उपाय से समाप्त करने का जो प्रयास न्यासी न्यास पद्धति से किया गया है बह एक आदर्शवादी धारणा है और सिद्धांत रूप में समाजवादी वर्ग  संघर्ष का ही विकल्प

 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बापूजी को नमन

कैलाश रावत

ग्राम पोस्ट मडिया जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश 472338

7999606143

9826665847

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