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“वो खेत में मिलेगा खलिहान में मिलेगा” 

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मुनेश त्यागी

वो खेत में मिलेगा
खलिहान में मिलेगा,
इन्सान तो ऐ मानव
इंसान में मिलेगा।

मजदूर में मिलेगा
किसान में मिलेगा,
इन्सान तो ऐ मानव
इकबाल में मिलेगा।

मेहनत में मिलेगा
मशक्कत में मिलेगा
इन्सान तो ऐ मानव
बस काम में मिलेगा।

ना हकमार में मिलेगा
ना बेईमान में मिलेगा,
इन्सान तो ऐ मानव
ईमान में मिलेगा।

ना दुख दर्दों में मिलेगा
ना आंसूओं में मिलेगा,
इन्सान तो ऐ मानव
मुस्कान में मिलेगा।

ना पाखंडों में मिलेगा
ना कर्मकांडों में मिलेगा,
ज्ञानवान तो ऐ मानव
विज्ञान में मिलेगा।

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