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टीनेजर्स में हॉर्मोनल असंतुलन :  लक्षण और उपचार

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               डॉ. श्रेया पाण्डेय 

हार्मोनल इंबैलेंस किसी भी उम्र में महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। यहां तक की टीनेजर्स लड़कियों में भी हार्मोनल इंबैलेंस होता है। आमतौर पर टीनएज में लोगों को हार्मोन से जुड़ी अधिक जानकारी नहीं होती, इसलिए लड़कियां हार्मोनल इंबैलेंस के लक्षण को नहीं समझ पाती हैं। ऐसे में सभी मदर्स को मालूम होना चाहिए की आखिर कौन से लक्षण हार्मोनल इन्बेलेन्स की ओर इशारा करते हैं।

      हार्मोनल इंबैलेंस सभी को अलग-अलग रूपों में प्रभावित करता है. इस स्थिति में नजर आने वाले लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कौन से हार्मोंस और ग्लैंड सही से काम नहीं कर रहे। हार्मोनल इंबैलेंस के लक्षण से जुड़ी जानकारी सभी को होनी चाहिए, ताकि उन्हें समय रहते समझा जा सके और उनके लिए ट्रीटमेंट लिया जा सके। तो चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ लक्षण जो हार्मोनल इंबैलेंस के दौरान टीनेजर लड़कियों में नजर आते हैं।

    टीनएजर लड़कियों में इन हार्मोंस का बैलेंस बिगड़ सकता है :

*1. प्रोजेस्टेरोन :*

यह हार्मोन ओवरी द्वारा निर्मित होता है और ओव्यूलेशन के दौरान इसका उत्पादन बढ़ जाता है। कम प्रोजेस्टेरोन सिरदर्द, एंजायटी और अनियमित पीरियड्स का कारण बन सकता है। प्रोजेस्टेरोन एस्ट्रोजन को संतुलित करने में भी अहम भूमिका निभाता है, इसलिए जब प्रोजेस्टेरोन कम होता है, तो प्रमुख एस्ट्रोजन अपनी तरह की कई समस्याएं पैदा कर सकता है।

*2. एस्ट्रोजन :*

एस्ट्रोजन असंतुलन एक यंग लड़की के जीवन के कई पहलू को प्रभावित कर सकता है। बहुत अधिक एस्ट्रोजन के कारण आपका वजन बढ़ सकता है, आपकी सेक्स ड्राइव कम हो सकती है, स्तन कोमल हो सकते हैं, मूड स्विंग और पीएमएस हो सकता है। बहुत कम एस्ट्रोजन के कारण हॉट फ्लैश, बार-बार यूटीआई, थकान, शरीर में दर्द और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है।

*3. कोर्टिसोल :*

कोर्टिसोल को आमतौर पर “स्ट्रेस हार्मोन” कहा जाता है। अतिरिक्त कोर्टिसोल यंग लड़कियों में वेट गेन, एंजायटी और डिप्रेशन का कारण बन सकता है। कम कोर्टिसोल एडिसन रोग, थकान और वजन घटाने का कारण बनता है।

*4. थायराइड हार्मोन :*

हाइपरथायरायडिज्म, या बहुत अधिक थायराइड हार्मोन अन्य लक्षणों के अलावा एंजाइटी, वेट लॉस, रैपिड हार्टबीट, अनियमित पीरियड्स और थकान का कारण बन सकते हैं। हाइपोथायरायड, या कम थायरॉयड हार्मोन का स्तर भी थकान, वजन बढ़ना, अवसाद, शुष्क त्वचा और बाल के साथ अनियमित पीरियड्स का कारण बन सकता है।

*5. टेस्टोस्टेरोन :*

टीनएजर लड़कियों में भी टेस्टोस्टेरोन होता है और यह पीसीओएस के कारणों में से एक है, लेकिन यह अन्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे चेहरे पर काले बाल आना और एक्ने की समस्या पैदा कर सकता है।

*समान्य लक्षण :*

   ~हैवी, इरेगुलर और पेनफुल पीरियड

~ऑस्टियोपोरोसिस

~हॉट फ्लैश और रात को पसीना आना

~वेजाइनल ड्राइनेस

±ब्रेस्ट में दर्द महसूस होना

~कब्ज की समस्या

~पीरियड्स के पहले पिंपल्स आना

*टीनएजर गर्ल्स में हार्मोनल बैलेंसिंग के टिप्स :*

1. पर्याप्त प्रोटीन लें

प्रोटीन अमीनो एसिड प्रदान करते हैं, इस पोषक तत्व को आपका शरीर खुद नहीं बना सकता है। वहीं ये पेप्टाइड हार्मोन बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। ये हार्मोन कई शारीरिक प्रक्रियाओं को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें ग्रोथ, एनर्जी मेटाबॉलिज्म, भूख, तनाव और बहुत कुछ शामिल है।

2. एक्सरसाइजसे मदद :

 रोजाना उचित समय के लिए शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने से आपके हार्मोनल स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह हार्मोन रिसेप्टर सेंसटिविटी को बढ़ाता है, पोषक तत्वों और हार्मोन संकेतों के वितरण में मदद करता है।

*3. वेट मैनेजमेंट पर ध्फोकस :*

   वजन बढ़ना सीधे तौर पर हार्मोनल असंतुलन से जुड़ा होता है। मोटापा महिलाओं में ओव्यूलेशन की कमी से संबंधित होता है। अपनी डाइट में सीमित कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ लें, इससे हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

*4. गट हेल्थ पर ध्यान :*

 आपका पेट कई मेटाबोलाइट्स बनाता है, जो हार्मोनल हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए फाइबर से भरपूर खान पान और प्रयाप्त मात्रा में पानी पिएं, इससे आंतों की सेहत बरकरार रहती है।

*5. सीमित मात्रा में चीनी लें : अतिरिक्त चीनी का सेवन कम क६रने से हार्मोन को संतुलित करने में मदद मिल सकती है। अधिक चीनी लेने से इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ावा मिलता है, और फ्रुक्टोज का सेवन आंत के माइक्रोबायोम को असंतुलित कर देता है, जिससे अंततः हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।

*6. स्ट्रेस मैनेजमेंट :*

ट्रेस कई तरह से आपकी बॉडी हार्मोंस को नुकसान पहुंचा सकता है। नियमित तनाव को कम करने का प्रयास करें और स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्निक पर ध्यान दें।

*7. पर्याप्त नींद :* ज्यादातर बच्चे रात को देर से सोते हैं, जिसकी वजह से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। नींद हार्मोनल असंतुलन में एक महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। रात को 7 से 8 घंटे की नींद लें, इस प्रकार आपको हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।

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