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JPC से अलग होने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है विपक्षी सांसदों को

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विपक्षी दलों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के अध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगाया है। विपक्षी सांसदों ने समिति की बैठकों में अनदेखी और एकतरफा फैसलों का दावा करते हुए चेतावनी दी है कि उन्हें JPC से हटने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

 विपक्षी दलों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के अध्यक्ष के एकतरफा फैसलों पर चिंता जताई हैं। विपक्षी सांसदों ने आगाह किया है कि उन्हें JPC से अलग होने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

लोकसभा ने मॉनसून सत्र में सरकार की ओर से पेश किए गए वक्फ विधेयक की जांच के लिए जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली JPC को जिम्मेदारी सौंपी है। इस बिल का विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों ने कड़ा विरोध किया है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि वक्फ विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित किया जाएगा।
बिरला से मुलाकात कर सकते हैं विपक्षी सांसद

विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नाम लिखे पत्र में यह दावा भी किया कि समिति की कार्यवाइयों में उनको अनसुना किया गया और ऐसे में वे इस समिति से खुद को अलग करने के लिए मजबूर हो सकते हैं। विपक्ष से जुड़े सूत्रों का कहना था कि वे मंगलवार को बिरला से मिलकर उन्हें शिकायतों से अवगत करा सकते हैं। द्रमुक सांसद ए राजा, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद और इमरान मसूद, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी सहित विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष के नाम यह संयुक्त पत्र लिखा है।

जगदंबिका पाल पर क्या आरोप लगाए?

उन्होंने बीजेपी के अनुभवी सांसद जगदंबिका पाल पर आरोप लगाया कि समिति के अध्यक्ष ने बैठकों की तारीखें तय करने और कभी-कभी लगातार तीन दिनों तक बैठकें आयोजित करने और समिति के समक्ष किसे बुलाया जाए, यह तय करने में ‘एकतरफा निर्णय’ लिया है। उन्होंने कहा कि सांसदों के लिए बिना तैयारी के बातचीत करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।

विपक्षी सदस्यों ने कहा कि समिति को उचित प्रक्रिया की अनदेखी करते हुए प्रस्तावित कानून को सरकार की इच्छानुसार पारित कराने के माध्यम के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। कई मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के लगातार विरोध के कारण समिति की कार्यवाही बाधित हुई है, जबकि बीजेपी सदस्यों ने उन पर जानबूझकर इसके काम को बाधित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। पाल ने इस आरोप को खारिज कर दिया है कि उन्होंने विपक्षी सदस्यों को अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति नहीं दी। उनका कहना था कि उन्होंने सुनिश्चित किया है कि हर किसी की बात को सुना जाए।

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