मुनेश त्यागी
किसानों मजदूरों के राज के गीत
जो कोई भी खुलकर गायेंगे,
कोई भी हों निश्चय ही वे
सच्चे इंकलाबी कहलायेंगे।
हिंदू मुस्लिम एकता का
जो भी परचम लहरायेंगे,
कोई भी हों निश्चय ही वे
जनता के दोस्त कहलायेंगे।
वंचितों पीड़ितों के हक की बातें
जो भी लबों पर लायेंगे,
कोई भी हों निश्चय ही वे
मेहनतकशों के मित्र कहलायेंगे।
पूरे देश के कल्याण की बातें
जो भी मुखड़ों पर लायेंगे,
कोई भी हों निश्चय ही वे
पक्के देशभक्त कहलायेंगे।
इंकलाब जिंदाबाद के नारों को
जो भी खुलकर लगायेंगे,
कोई भी हों निश्चय ही वे
क्रांतिकारी वीर कहलायेंगे।
मां बहनों की हिफाजत की बातें
जो कोई भी मुखों पर लायेंगे,
कोई भी हों निश्चय ही वे
सच्चे और अच्छे सुपुत्र कहलायेंगे।
समता समानता भाईचारे का झंडा
जो कोई भी खुलकर फहरायेंगे,
कोई भी हों निश्चय ही वे सब
असली हिंदुस्तानी कहलायेंगे।
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