सामान्य आदमी भी सत्ता पक्ष के ये खेल समझने लगा है
.@ *राजेश ज्वेल*
मुंबई में जब अंडरवर्ल्ड का दखल अत्यधिक बढ़ गया और पुलिस कंट्रोल करने में असफल होने लगीं तब एनकाउंटर का फार्मूला खोजा गया है और उसका शुरूआती अच्छा असर हुआ और कई अंडरवर्ल्ड नामचीन हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिए गए मगर कुछ समय बाद ही ये एनकाउंटर तगड़ी वसूली का जरिया बने और अंडरवर्ल्ड ने भी अपने प्रतिद्वंदी गिरोह के खात्मे के लिए इनका इस्तेमाल शुरू कर दिया और साथ में राजनीतिक दबाव प्रभाव तो था ही…
नतीजतन कई एनकाउंटर फर्जी हुए तो कई के बदले तगड़ी राशि वसूली गई और जब इनका खुलासा मयप्रमाण हुआ तब फिल्मी हीरो की तरह स्टार बने कई एनकाउंटर विशेषज्ञों को जेल जाना पड़ा.. ठीक यही स्थिति कुछ वर्ष पूर्व शुरू हुए ऑपरेशन बुलडोजर की रही…मुझे यह जानकारी देते हुए प्रसन्नता है कि इंदौर से ही ये ऑपरेशन बुलडोजर शुरू हुआ था जिसकी सलाह 2017 में मेरे द्वारा तत्कालीन डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्र को दी गई थी , जो इन दिनों भोपाल पुलिस कमिश्नर है . दरअसल उस दौरान नगर निगम ने आवारा पशुओं से मुक्ति दिलाने के लिए पशुपालकों के बाड़ों को बुलडोजर से तोड़ना शुरू किया था, उसी वक्त क्राइम कंट्रोल के मकसद से मेरी सलाह पर पुलिस महकमे ने कुछ अपराधियों के अवैध मकानों पर बुलडोजर चलवाए और जब यह खबर मीडिया के जरिए फैली और उत्तर प्रदेश तक पहुंची तब वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस की सराहना करते हुए ट्वीट किया और अपने एक आला अधिकारी को इंदौर पुलिस से इस बारे में जानकारी लेने को कहा और फिर यूपी में बाहुबलियों के साथ अन्य जघन्य अपराधियों की संपत्तियों को बुलडोजरों से धराशायी किया जाने लगा.. चूंकि सभी बड़े न्यूज चैनल नोएडा से चलते है,
लिहाज़ा यूपी के बुलडोजर की गड़गड़ाहट देश भर में गूंजने लगी और और अन्य राज्यों में भी ऐसी कार्यवाही पसंद की जाने लगी और सोशल मीडिया पर भी ये लोकप्रिय हो गई और इसका श्रेय योगी जी के खाते में चला गया जबकि असल श्रेय शिवराज मामा को मिलना था, बहरहाल यहां तक तो बुलडोजर की कार्यवाही ठीक थी मगर फर्जी एनकाउंटर की तरह ही जब बुलडोजर का भी इस्तेमाल अति के रूप में होने लगा और फिर ये धर्म / जाति के साथ राजनीतिक प्रतिशोध और विरोधियों को तबाह करने का हथियार बन गया और कुछ बेगुनाह भी इसकी चपेट में आए…तब इसका विरोध शुरू हुआ और कानूनी सवाल भी खड़े होने लगे.. जबकि दुर्दांत अपराधी, बलात्कारी या ऐसे ही गंभीर मामलों में लिप्त माफियाओं के खिलाफ ही बुलडोजर का इस्तेमाल होना था मगर दुरुपयोग और अति के चलते फिर मामला अदालत की चौखट तक पहुंचा और फिर अब सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर की कार्रवाई को अवैध करार दे दिया..
.हालांकि कानून और संविधान में ना तो एनकाउंटर के लिए कोई जगह है और ना ही बुलडोजर के लिए.. दोनों ही फार्मूले जघन्य अपराधियों के खात्मे के लिए अपनाए गए ताकि कानून की पेचीदगियों का फायदा उठाकर दुर्दांत अपराधी छूट कर फिर समाज के लिए नासूर न बन जाए…मगर एनकाउंटर की तरह बुलडोजर का भी दुरुपयोग शुरू हो गया..आने वाले समय में सीबीआई या ईडी की कार्रवाइयों को लेकर भी इस तरह के आदेश देखने को मिल सकते हैं, क्योंकि कई मामलों में अब अति साफ नजर आती है और सामान्य आदमी भी सत्ता पक्ष के ये खेल समझने लगा है.
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