डॉ. नेहा, दिल्ली
वे लोग जो बहुत ज्यादा एसिडिक फूड और पेय पदार्थों का सेवन करते है। उनके दांतों का रंग, चमक और लेयर्स डैमेज होने लगते हैं। इससे इनेमल क्षतिग्रस्त हो जाती है और दांतों को संवेदनशलता का सामना करना पड़ता है।
दांतों की संवेदनशीलता के मामले 30 से 40 फीसदी आबादी में पाए जाते हैं। अधिकतर 20 से 50 वर्ष की उम्र के लोग इस समस्या का शिकार होते है.
दांतों में अचानक दर्द महसूस होना, झनझनाहट का बढ़ता और कैविटी की समस्या दांतों की संवेदनशीलता का परिचय देती है। दरअसल, ओरल हाइजीन का ख्याल न रखना इस समस्या का मुख्य कारण साबित होता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जिस प्रकार नियमानुसार आहार लेना आवश्यक है।
ठीक उसी तरह से सही समय पर दांतों की सफाई करना भी एक हेल्दी हेबिट है। दांतों का ख्याल न रख पाने के चलते कुछ भी ठंडा और गर्म खाते ही सेंसेशन महसूस होने लगती है. इससे दांतों में दर्द के साथ असहजता बढ़ जाती है।
*क्या है दांतों की अति संवेदनशीलता?*
दांतों की अति संवेदनशीलता एक सामान्य डेंटल प्रॉबल्म है। इससे दांतों में दर्द और झनझनाहट का सामना करना पड़ता है। दरअसल, दांतों की परत नरम होती है, जिसे इनेमल सुरक्षित रखने में मदद करता है।
मगर एसिडिक पेय पदार्थों और फूड्स का सेवन करने व माउथवॉश का अत्यधिक इस्तेमाल इनेमल को नुकसान पहुंचाता है और वो घिसने लगता है। इसका असर नसों पर दिखता है।
इनेमल से दांतों की चमक और मज़बूती बनी रहती है। मगर उसके डैमेज होने से दांतों की समस्याएं बढ़ने लगती है।
जिस प्रकार स्किन की कई लेयर्स होती हैं। उसी तरह से दांतों पर भी इनेमल, डेंटीन और उसके बाद पल्प लेयर पाई जाती है। जब एसिडिक पेय पदार्थों का सेवन करने और दांतों की जांच न करवाने से इनेमल और डेंटीन क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो नसें एक्सपोज़ होने लगती है। उस लेयर को पल्प कहा जाता है, जिससे कुछ भी खाने से संवेदनशीलता का सामना करना पड़ता है।
कुछ भी खाने के दौरान ऊपर और नीचे के दांत जब आपस में घिसते है, तो इरोज़न शुरू हो जाता है। दांतों पर कोई भी लेयर मौजूद न होने के चलते कुछ भी खाने से दांतों में दर्द और असहजता बढ़ने लगती है।
इन कारणों से दांतों में अति संवेदनशीलता बढ़ जाती है :
*1. एसिडिक फूड्स और बेररेजिज़ का सेवन :*
वे लोग जो बहुत ज्यादा एसिडिक फूड और पेय पदार्थों का सेवन करते है। उनके दांतों का रंग, चमक और लेयर्स डैमेज होने लगते हैं। इससे इनेमल क्षतिग्रस्त हो जाती है और दांतों को संवेदनशलता का सामना करना पड़ता है।
इसके अलावा अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड का सेवन भी दांतों को नुकसान पहुंचाने लगता है।
*2. एसिडिटी की समस्या :*
वे लोग जिन्हें एसिडिटी की समस्या बनी रहती है, उन्हें अक्सर दांतों से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। दरअसल, गैस्ट्राइटिस से ग्रस्त लोगों का स्लाइवा एसिडिक होने लगता है इौर पीएच का स्तर प्रभावित होने लगता है। इसका असर दांतों पर नज़र आने लगता है, जो सेंसिटीविटी को नुकसान पहुंचाता है।
*3. डीप बाइट की समस्या :*
दांतों की लेयर को डीप बाइट से नुकसान पहुंचता है। जिन पेशेंटस को डीप बाइट की समस्या है यानि अगर उपर के दांत मसूढ़ों को छू रहे है, तो वो डीप बाइट की केटेगरी में आता है। इससे दांत आपस में घिसते हैं, जिससे इनेमल को नुकसान पहुंचता है। वे लोग जो इस समस्या से ग्रस्त है, उन्हें दांतों की नियमित जांच अवश्य करवानी चाहिए।
ओवरसेंसिटिव टीथ के लिए इन 3 चीजों को जरूर रखना चाहिए :
*1. सेंसेटाइजिंग टूथपेस्ट और माउथवॉश की मदद लें :*
दांतों को स्वस्थ रखने के लिए सेंसिटाइज़िग टूथ पेस्ट इस्तेमाल करें। इसके अलावा सोडियम फ्लोराइड और पोटेशियम नाइट्रेट से भरपूर माउथवॉश प्रयोग करे। इससे दांतों को सेंसेशन से बचाया जा सकता है और दांतों पर एक लेयर बनने लगती है।
*2. ब्रशिंग के साथ फ्लासिंग भी ज़रूरी :*
दांतों की स्वच्छता बनाए रखने के लिए मुलायग ब्रश का इस्तेमाल करें। इससे दांतों की लेयर्स को नुकसान से बचाया जा सकता है। साथ ही फ्लासिंग की मदद से दांतों में जमा फूड पार्टिकल्स को रिमूव करने से मदद मिलती है, जिससे दांत बैक्टीरिया से बच सकते हैं।
*3. डेंटल चेकअप करवाएं :*
अपने दांतों को संवेदनशीलता से बचाने के लिए नियमित रूप से चेकअप के लिए जाएं। इससे मसूढ़ों में बढ़ने वाले दर्द व केविटी की समस्या से बचा जा सकता है। द बॉर्गन प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के अनुसार भारत में दांतों की समस्या से जूझ रहे 80 फीसदी बच्चों में से 30 प्रतिशत बच्चों के दांत और जबड़े मिसअलाइंड नज़र आते हैं। डेंटिस्ट विज़िट न करने पर इस समस्या से जूझना पड़ता है।
*ओवरसेंसिटिव दांतों का उपचार:*
1. माउथगार्ड का प्रयोग :
दांतों की संवेदनशीलता से बचने के लिए माउथगार्ड का इस्तेमाल करें। इससे दांतों और नर्वस पर दबाव कम होने लगता है। इससे दांतों की संरचना उचित बनी रहती है और जबड़े में दर्द व झनझनाहट को रोकने में मदद मिल सकती है
*2. फ्लोराइड युक्त डेंटल प्रोडक्टस हैं कारगर :*
रोज़ाना दांतों की स्वच्छता और ओरल हाइजीन को बनाए रखने के लिए फ्लोराइड युक्त माउथ रिंस का इस्तेमाल करें। इसके अलावा फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट इस्तेमाल करें। इससे दांतों की मज़बूती बनी रहती है और दांतो की संवेदनशीलता से बचा जा सकता है।
*3. नमक के पानी का कुल्ला करें :*
दर्द, संक्रमण और झनझनाहट को दूर करने के लिए पानी में नमक मिलाकर कमल्ला करने से दांतों के दर्द से बचा जा सकता है। इससे दर्द दूर करने के अलावा माउथ अल्सर का खतरा भी कम हो जाता है। इसके अलावा एसिडिटी से दांतों को नुकसान पहुंचाने वाले एसिडिक स्लाइवा से भी बचा जा सकता है।
*4. ग्रीन टी का सेवन करें :*
एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर ग्रीन टी में कैटेचिन की मात्रा पाई जाती है। इससे मसूड़ों की सूजन, सांस की दुर्गंध और ब्लीडिंग को कम करने में मदद मिलती है। मसउथ बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकने के लिए रोज़ाना इसका सेवन करें
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