अग्नि आलोक
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तुम्हारे हर तकलीफों का एक मुकम्मल जवाब हूं मैं, भारत का संविधान हूं मैं!

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तुम्हारे हर तकलीफों का एक मुकम्मल जवाब हूं मैं, कभी वक्त मिले तो मुझे अवश्य पढ़ना , भारत का संविधान हूं मैं!

मै ही तो हूं जो तुम्हे सही से जीने का हक दिया ,
मै ही तो हूं जो तुम्हे लोकतान्त्रिक अधिकारों से परिचित कराया!
मै ही तो हूं जो समस्त धर्मो को समान तराजू में तौलने का प्रयास किया !

वरना तुम सभी खुद को सर्वश्रेष्ठ और दूसरों को निकृष्ट समझ बैठे थे!
मै ये नहीं कहता कि तुम अपने आप को श्रेष्ठ मत समझो परंतु तुम्हे दूसरों को निकृष्ट समझने की घटिया सोच भी नहीं रखनी चहिए!

तुम्हारे प्रत्येक काव्यो और ग्रंथो में कुछ वर्गों का जरूर उपेक्षित भाव से देखने का प्रयास किया गया है
परंतु मुझमें (मेरी ग्रंथ में) सभी वर्गों का सामान दर्जा देने का प्रयास है!

तुम्हारे हर समस्याओं का समाधान हूं मैं ,कभी वक्त मिले तो जरूर पढ़ना , भारत का संविधान हूं मैं!

आप सभी को संविधान दिवस के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं!!

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