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मध्यप्रदेश में धरती आबा अभियान

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सीमा श्रीवास्तव

जनजातीय बहुल गांवों के समग्र विकास एवं जनजातियों को देश में हो रहे चहुंमुखी विकास के प्रकाश का लाभ देने के लिये मध्यप्रदेश में भी धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान चलाया जा रहा है। अभियान अन्तर्गत मध्यप्रदेश के 51 जिलों के 267 विकासखंडों में स्थित 11 हजार 377 जनजातीय बहुल गांवों का संर्वागीण विकास का काम किया जा रहा है। इन 51 जिलों में 43 जनजातीय समुदायों के 18 लाख 58 हजार परिवार निवास करते हैं, जिनकी कुल 93 लाख 23 हजार यानी लगभग 20.10 प्रतिशत जनसंख्या इस अभियान से लाभान्वित हो सकेगी। अभियान अन्तर्गत गांव में बुनियादी ढांचे में सुधार, आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के मानकों को भी शामिल किया गया है। मध्य प्रदेश की 46 अनुसूचित जनजातियों में प्रमुख रूप से गोण्ड, भील, कोरकू, बैगा, सहरिया, कोल, भारिया, गोवारी, हल्बी जनजातियाँ सम्मिलित हैं। इनमें तीन विशेष पिछड़ी जनजातियां बैगा, भारिया एवं सहरिया भी सम्मिलित हैं। 17 मंत्रालयों से संबद्ध 25 विशेष कार्यक्रमों वाले अभियान के क्रियान्वयन के लिए मध्यप्रदेश़ में संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
अभियान अन्तर्गत मध्यप्रदेश में सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सामाजिक बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका में महत्वपूर्ण अंतराल को भरने, पीएम जनमन की सीख और सफलता के आधार पर जनजातीय क्षेत्रों एवं समुदायों का समग्र और सतत विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। पात्र अनुसूचित जनजाति परिवारों को पीएमएवाई (ग्रामीण) के अन्तर्गत जल, विद्युत, पक्के आवास, आयुष्मान भारत कार्ड और बेहतर सड़क संपर्क से जोड़ा जा रहा है। प्रयास यही है कि उन्हें स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के साथ बुनियादी मूलभूत सुविधाएं मिल सकें। जनजातीय बंधुओं और इनकी पुरा संस्कृति के संरक्षण और समयानुकूल विकास के लिये सरकार द्वारा अनेक नवाचारी कदम उठाये जा रहे हैं। सरकार के प्रयासों से ही जनजातीय वर्ग के विद्यार्थी, युवा, खिलाड़ी और कलाकार अब विकास की एक नई राह पर चल पड़े हैं।
इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में अनुसूचित जनजाति (उप योजना) के लिये 40 हजार 804 करोड़ रूपये का बजट पारित किया है। जनजातियों के समग्र विकास के लिये पारित यह बजट वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 3,856 करोड़ रूपये (करीब 23.4 प्रतिशत) अधिक है। जनजातीय परिवारों शिशु मृत्यु दर, मातृत्व मृत्यु दर में राष्ट्रीय मानकों को हासिल करना और उन स्थानों, जहां स्वास्थ्य उपकेंद्र मैदानी क्षेत्रों में 10 किमी से अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों में 05 किमी से अधिक दूरी पर है, वहां मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में वर्तमान में जनजातीय विद्यार्थियों को आकांक्षा योजना के अंतर्गत जेईई, नीट, क्लेट की तैयारी के लिये भोपाल, इंदौर एवं जबलपुर में कोचिंग दी जा रही है। अखिल भारतीय सेवाओं की परीक्षा की तैयारी कराने के लिये निजी कोचिंग संस्थाओं द्वारा विद्यार्थियों को कोचिंग दी जा रही है।
अब सभी ट्राइबल ब्लॉकों में जनजातीय विद्यार्थियों को इस तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग का लाभ देने के लिये योजना की संशोधित डीपीआर तैयार कर ली गई है। जनजातीय वर्ग के बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की ठोस चिंता करते हुए सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों में सीएम राइज स्कूलों के निर्माण के लिये 667 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है। इस वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालयीन का छात्रवृत्ति के लिये 500 करोड़ रूपये प्रावधान किया हैं। निःशुल्क कोचिंग के साथ सरकार जनजातीय विद्यार्थियों को टैबलेट भी देगी। टैबलेट के लिये डेटा प्लान भी सरकार निःशुल्क उपलब्ध करायेगी। योजना के लिये सरकार ने बजट में 10.42 करोड़ रूपये आरक्षित किये हैं। इन जनजातियों के विद्यार्थियों को संभागीय मुख्यालय में रहकर पढ़ने की सुविधा प्रदान करने के लिये विभाग द्वारा जबलपुर, ग्वालियर और शहडोल में छात्रावास भवन बनाने की कार्यवाही भी की जा रही है।
जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिये राज्य सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। जनजातीय विद्यार्थियों को बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित कराने के लिये फ्री-कोचिंग दी जायेगी। इसके लिये सरकार प्रदेश के सभी जनजातीय विकासखंडों में रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी स्थापित करने की दिशा में ठोस प्रयास कर रही है। रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी के जरिये जनजातीय विद्यार्थियों को जेईई, नीट, क्लेट और यूपीएससी जैसी राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की बड़ी परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग देकर इन्हें परीक्षाओं में सफल होने के गुर सिखाए जायेंगे। शासन से स्वीकृति मिलते ही रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी प्रारंभ कर दी जायेंगी।
जनजातीय कार्य विभाग में विशेष पिछड़ी जनजातीय समूह (पीवीटीजी) की विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये संचालक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में विशेष पिछड़ी जनजातीय समूहों के विकास के लिए योजना बनाने एवं इनका क्रियान्वयन के लिये एजेन्सी भी कार्यरत है। इन विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिये योजना बनाने एवं योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिये प्रदेश में बैगा, भारिया एवं सहरिया पीवीटीजी के लिये पृथक-पृथक विकास प्राधिकरणों सहित कुल 11 प्राधिकरण कार्यरत हैं। इनके लिए अलग से बटालियन गठित करने के साथ ही इस समूह के इच्छुक युवाओं को पुलिस, सेना एवं होमगार्ड में भर्ती कराने के लिये आवश्यक प्रशिक्षण दिया जायेगा।
मध्यप्रदेश के सभी एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) मे,ं सभी विभागीय कन्या शिक्षा परिसरों एवं आदर्श आवासीय विद्यालयों डिजीटल बोर्ड लगाने के लिये केपिटल मद से बोर्ड क्रय एवं स्थापन की कार्यवाही की जा रही है। प्रदेश के सभी 89 जनजातीय विकासखंड़ मुख्यालयों में ई-लाइब्रेरी भी प्रारंभ की जायेंगी।
मध्यप्रदेश में जनजातीय विद्यार्थियों के लिये कक्षा पहली से आठवीं तक प्री-मेट्रिक राज्य छात्रवृत्ति योजना में वर्ष 2023-24 में 17 लाख 36 हजार 14 विद्यार्थियों को 56 करोड़ 59 लाख रूपये छात्रवृत्ति दी गई। कक्षा 9वीं और 10वीं केन्द्र प्रवर्तित प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना में वर्ष 2023-24 में 01 लाख 51 हजार 292 विद्यार्थियों को 52 करोड़ 15 लाख रूपये छात्रवृत्ति दी गई। कक्षा 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालय में पढ़ रहे कुल 2 लाख 33 हजार 91 विद्यार्थियों को 356 करोड़ 95 लाख रूपये पोस्ट मेट्रिक छात्रवृति वितरित की गई।
अजजा विदेश अध्ययन छात्रवृति योजना में वित्त वर्ष 2023-24 में 10 होनहार विद्यार्थियों को 2 करोड़ 89 लाख रूपये की विदेश अध्ययन छात्रवृति राशि दी गई। आवास किराया सहायता योजना में वित्त वर्ष 2023-24 में विभाग द्वारा एक लाख 44 हजार से अधिक विद्यार्थियों को 109 करोड़ 52 लाख रूपये की किराया प्रतिपूर्ति भुगतान की गई। सिविल सेवा परीक्षा के लिये निजी संस्थाओं द्वारा कोचिंग योजना में वर्ष 2023-24 में 2 करोड़ 13 लाख रूपये व्यय कर 97 विद्यार्थियों को कोचिंग कराई गई। सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना में 2023-24 में एक करोड़ से 497 अभ्यर्थियों को लाभ दिया गया। परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण योजना में 2023-24 में 18 लाख रूपये से 580 अभ्यर्थियों को लाभान्वित किया गया।

सरकार द्वारा डिण्डोरी जिले की 7 एवं मंडला जिले की 14, कुल 21 बैगा जनजाति, छिंदवाड़ा जिले में 12 भारिया जनजाति बहुल बसाहटों के हेबिटेट राइट को भी मान्यता प्रदान कर दी गई है। पर्यावास अधिकार (हेबिटेट राइट) मिलने से आशय यह है कि इस विशेष अधिकार से पिछड़ी जनजातियों को उनकी पारम्परिक आजीविका स्त्रोत और पारिस्थितिकीय ज्ञान को सुरक्षित रखने में भरपूर सहायता मिलेगी।
हेबिटेट राइट मिलने से ये जनजातियां अब न केवल अपने जल, जंगल, जमीन, जानवर का संरक्षण करने के लिए सक्षम हुए हैं, बल्कि अपनी पारम्परिक कृषि, औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के यथा आवश्यकतानुसार उपयोग को लेकर भी स्वायत्त धारणाधिकारी (स्वतंत्र) हो गई हैं। हैबिटेट राइट केवल एक कानूनी अधिकार ही नहीं है, बल्कि इन पीवीटीजी की मूल पहचान और प्राकृतिक संस्कृति को बचाने की दिशा में सरकार का एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

सरकार ने आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, विशेष रूप से आय सृजन और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (प्रधानमंत्री जनमन योजना) अन्तर्गत जनजातीय बहुल जिलों में अब तक 11 हजार 826 घरों को रोशन किया गया है।योजना में ग्वालियर, विदिशा, अशोकनगर, श्योपुर, दतिया, गुना, शिवपुरी, रायसेन, भिण्ड, अनूपपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, मंडला, नरसिंहपुर, शहडोल, सीधी, कटनी, जबलपुर, उमरिया और सिंगरौली जिले शामिल हैं। इस योजना में जनजातीय बहुल गावों एवं मजरा-टोलों को ऊर्जीकृत किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश के 19 जिलों में जनजातीय ग्रामीण हाट बाजार तैयार करने की योजना है। मध्यप्रदेश सरकार ने इस दिशा में त्वरित एवं प्रगतिशील कदम उठाते हुए केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव को वित्त वर्ष 2024-25 में प्रदेश के 19 जिलों में एक-एक जनजातीय हाटबाजार स्थापित करने का अधिकृत प्रस्ताव भेज दिया है। प्रस्ताव के अनुसार 19 जिलों में यह टीएमएमसी एक-एक करोड़ रूपये लागत से लगभग 2000 स्क्वायर मीटर लैंड एरिया में बनाये जायेंगे, जिसका बिल्ट-अप लैंड एरिया करीब 367.80 स्क्वायर मीटर होगा। यह राज्य सरकार के जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित किये जायेंगे। हाट बाजार में जनजातियों की पुरातन कला, संस्कृति के प्रतीक, शिल्पकारी, चित्रकारी, खिलौने, मिट्टी व बांस से निर्मित उत्पाद आदि का विक्रय भी किया जायेगा। इससे जनजातीय समुदाय को आजीविका के नये साधन मुहैया होंगे और इन्हें अतिरिक्त आय उपार्जन भी हो सकेगा

। जहां जनजातियों द्वारा एकत्रित की जाने वाली लघु वनोपजों व गैर लघु वनोपजों का एक ही छत के नीचे प्रदर्शन, इनकी गुणवत्ता संवर्धन एवं इन वनोपजों के विक्रय के लिये जनजातीय बंधुओं को स्थायी प्लेटफार्म उपलब्ध कराना है। इससे जनजातियों की आजीविका में तेजी से सुधार के साथ इन्हें अपने स्व-निर्मित उत्पादों के प्रमोशन के लिये स्थानीय स्तर पर आऊटलेट की सुविधा भी उपलब्ध होगी। प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) में विशेष रूप से पिछड़े एवं कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सर्वांगीण विकास के लिये भी मध्यप्रदेश सरकार अत्यंत संवेदनशीलता से कार्य कर रही है। पीएम जन-मन में इन विशेष पिछड़ी जनजाति बहुल क्षेत्रों में बहुउद्देश्यीय केन्द्र, ग्रामीण आवास, ग्रामीण सड़क, समग्र शिक्षा एवं विद्युतीकरण से जुडे कार्य कराये जा रहे हैं। सरकार ने जारी साल के बजट में इन कामों के लिये 1,607 करोड़ रूपये दिये हैं। केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति द्वारा वित्त पोषित 63 एकलव्य आवासीय विद्यालय मध्यप्रदेश में संचालित हैं।

इन विद्यालयों में लगभग 25 हजार से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत होकर अपनी सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं खेलकूद की विभिन्न विधाओं में अपनी प्रतिभाओं एवं क्षमताओं को निखार रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा भी इन विद्यार्थियों के कौशल संवर्धन एवं दक्षता उन्नयन के लिये निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति द्वारा हर साल राष्ट्र स्तरीय सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन देश के विभिन्न राज्यों में किया जाता है। इसी अनुक्रम में विद्यालय स्तर, जिला स्तर एवं जोन स्तर की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होने वाले प्रतिभागियों को 4 जोन में वर्गीकृत किया गया है। प्रतियोगिता में नर्मदापुरम् जोन के 80 प्रतिभागी, इंदौर जोन के 77 प्रतिभागी, शहडोल जोन के 77 प्रतिभागी एवं जबलपुर जोन के 78 प्रतिभागी, इस प्रकार कुल 312 प्रतिभागी सम्मिलित हुए। इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने का अवसर मिलेगा। जनजातीयों के लिए संचालित सावधि ऋण योजना, व्यावसायिक इकाइयों के लिए ऋण प्रदान करती है।

इस योजना के तहत व्यावसायिक इकाइयों को 5 से 10 वर्षों की पुनर्भुगतान अवधि के साथ इकाई लागत का 90 प्रतिशत तक आसान ऋण प्रदान किया जाता है। आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना (एएमएसवाई) आदिवासी महिलाओं के लिए बनाई गई है, जो केवल 4 प्रतिशत ब्याज पर ₹2 लाख तक का रियायती ऋण प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, माइक्रो क्रेडिट योजना प्रति एसएचजी को ₹5 लाख तक के ऋण की पेशकश करके आदिवासी स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का समर्थन करती है। आदिवासी शिक्षा ऋण योजना (एएसआरवाई) आदिवासी छात्रों को आसान ऋण प्रदान करती है, जिससे उन्हें अपनी पढ़ाई के दौरान ब्याज सब्सिडी के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलती है। इन योजनाओं का उद्देश्य उद्यमिता, शिक्षा और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करके आदिवासी आबादी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना है। पेसा एक्ट में मध्यप्रदेश में पेसा नियम, नवम्बर 2022 से लागू हैं। यह नियम प्रदेश के 20 जिलों के 88 विकासखंडों की 5 हजार 133 ग्राम पंचायतों के अधीन 11 हजार 596 गॉवों में लागू है। इन नियमों में प्राप्त अधिकारों का उपयोग जनजातीय वर्ग के हितों के लिये अत्यंत प्रभावशाली साबित हो रहा है।

पेसा से जनजातीय वर्ग अपनी क्षेत्रीय परम्पराओं, अपनी संस्कृति और जरूरतों के मुताबिक फैसले लेकर विकास की राह में आगे बढ़ सकेंगे। पेसा नियमों के क्रियान्वयन से जनजातीय समुदाय के एक करोड़ से अधिक लोगों को लाभ हो रहा है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विशेष रूप से पिछड़े एवं कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) आहार अनुदान योजना में इन जनजातीय परिवारों की महिला मुखिया को 1,500 रूपये प्रतिमाह पोषण आहार अनुदान राशि दी जाती है। इसके लिये सरकार ने बजट 2024-25 में 450 करोड़ रूपये आवंटित किये हैं। बैगा, भारिया एवं सहरिया जनजातीय परिवारों के समग्र विकास के लिये मध्यप्रदेश सरकार 2024-25 में 100 करोड़ रूपये अतिरिक्त व्यय करेगी। पीवीटीजी क्षेत्रों में 217 नये आंगनवाड़ी भवन बनाये जा रहे हैं। इसके लिये बजट में 150 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अन्तर्गत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने सिकल सेल रोग (एससीडी) सहित हीमोग्लोबिनोपैथी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राज्यों को एक व्यापक दिशानिर्देश जारी किये गए हैं। आदिवासी आबादी के बीच प्रचलित आनुवंशिक रक्त विकार एससीडी के गंभीर प्रभाव को पहचानते हुए, सरकार ने इसके लगभग पूर्ण उन्मूलन की दिशा में प्रयास तेज कर दिए हैं। इस उद्देश्य से, प्रधानमंत्री द्वारा 01 जुलाई, 2023 को मध्य प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन शुरू किया गया था। यह मिशन सभी एससीडी रोगियों को सस्ती और सुलभ देखभाल प्रदान करने, उपचार की गुणवत्ता में सुधार करने और जागरूकता अभियान, सार्वभौमिक स्क्रीनिंग और परामर्श सेवाओं के माध्यम से बीमारी की व्यापकता को कम करने पर केंद्रित है। यह केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के बीच सहयोग पर जोर देता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबसे कमजोर आदिवासी आबादी को इन प्रयासों से लाभ मिले। एससीडी पहल के अलावा, ‘मिशन इंद्रधनुष’ जैसी अन्य स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं का लक्ष्य आदिवासी समुदायों पर विशेष ध्यान देने के साथ दो साल तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना है। इस मिशन का विस्तार मुफ्त कोविड-19 टीके उपलब्ध कराने के लिए भी किया गया है, जिससे आदिवासी आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित हो सके। एक अन्य उल्लेखनीय कार्यक्रम ‘निक्षय मित्र’ पहल है, जो तपेदिक (टीबी) रोगियों को अतिरिक्त नैदानिक, पोषण और व्यावसायिक सहायता प्रदान करता है, जिनमें से कई आदिवासी समुदायों से संबंधित हैं। इस पहल का उद्देश्य कमजोर आबादी के समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करके टीबी से प्रभावी ढंग से निपटना है। इसके अलावा, जनजातीय अनुसंधान संस्थानों को सहायता (टीआरआई) योजना, टीआरआई को अनुसंधान, दस्तावेज़ीकरण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण गतिविधियों के लिए सशक्त बनाने का प्रयास करती है। ये संस्थान ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करते हैं, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करके जनजातीय विकास में योगदान देते हैं। जनजातीय समाज के आर्थिक सशक्तिकरण, सर्वसमावेशी विकास और इस समुदाय के समग्र उत्थान के लिये अभियान में 4 प्रमुख लक्ष्य तय किये गये हैं। इसमें सभी पात्र जनजातीय परिवारों के गांवों के बुनियादी बांचे में सुधार किया जायेगा। कौशल विकास, उद्यमिता संवर्द्धन और स्वरोजगार के जरिये जनजातीय समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जायेगा। जनजातीय वर्ग के बच्चों की अच्छी शिक्षा तक पहुंच का लोकव्यापीकरण तथा स्वस्थ जीवन और सम्मानजनक वृद्धावस्था यापन के लिये समुचित व्यवस्था करना भी इस अभियान के लक्ष्यों में शामिल है। -डॉ. मोहन यादव, माननीय मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश जनजातीय विकास के लिए ‘धरती आबा अभियान’ में तेजी से कार्य किए जा रहे हैं। अभियान से 93 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा। मध्यप्रदेश सरकार ने जनजातीय समुदायों के विकास के लिए ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ को प्राथमिकता दी है। इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश की जनजातीय आबादी को शासकीय सेवाओं और सुविधाओं का लाभ पहुंचाना है। प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी पात्र जनजातीय परिवार इस अभियान के लाभ से वंचित न रहे। – डॉ. कुंवर विजय शाह, जनजातीय कार्य मंत्री

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