उज्जैन। एक साल पहले श्री महाकालेश्वर मंदिर के नाम की विक्रमनगर स्टेशन के पीछे की कब्जाधारी से मुक्त कराई जमीन अब उज्जैन विकास प्राधिकरण के दाव में फस गई है। इस जमीन को विकास प्राधिकरण ने अपनी योजना में लेकर उस पर विकास कार्य को अंजाम देना शुरू कर दिया है। नियमानुसार मंदिर समिति को बाद में मात्र 50 फीसदी विकसित जमीन मिल सकेंगी।
श्री महाकालेश्वर मंदिर के नाम से उज्जैन ही नहीं आसपास के जिलों एवं अन्य प्रदेशों में भी जमीन है। ये जमीनें कालांतर में अनन्य भक्तों की और से दान पत्र के माध्यम से दी गई बताई जाती हैं। इसी में शामिल करीब 45 बीघा जमीन है जो कि उज्जैन के विक्रम नगर रेलवे स्टेशन के पिछले क्षेत्र में है। यह जमीन विकास प्राधिकरण की विक्रमनगर क्षेत्र योजना से लगी हुई है। यह जमीन पूर्व में एक पुजारी को दी गई थी जिसने बाद में पास ही के रहने वाले एक अन्य व्यक्ति को इसे लीज पर दे दिया था और उसकी राशि को हजम कर रहा था। पूर्व वर्षों में इस जानकारी के सामने आने पर मंदिर समिति के जमीनों के जानकारों ने इसे लेकर कार्रवाई शुरू की और प्रशासन के सहयोग से इसे वर्ष 2023 में कब्जा मुक्त करवा लिया गया था। मामले को लेकर अधिकारियों से उनका पक्ष जानने के प्रयास किए गए लेकिन अति प्रशासनिक व्यस्तता के चलते न तो राजस्व के अधिकारी, न मंदिर समिति के जिम्मेदार और न ही उज्जैन विकास प्राधिकरण के अधिकारी मोबाईल उठा सके।
जमीन को लेकर मंदिर की आपत्ति-
इधर सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि जमीन का यह मामला मंदिर प्रबंध समिति में अब तक सामने नहीं आया है। न ही इसे लेकर अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की कोई सहमति ही हुई है और न ही मंदिर समिति की बैठक की प्रोसिडिंग में ही ठहराव प्रस्ताव के तहत इसका अंकन ही हुआ है। यह भी बताया जा रहा है कि श्री महाकालेश्वर मंदिर शासन के धर्मस्व विभाग के अंतर्गत आता है ऐसे में इसकी किसी भी संपत्ति को लेकर अनुमति आवश्यक है जो कि न तो मंदिर समिति ने ली हे और न ही विकास प्राधिकरण ने ही अधिग्रहण को लेकर आवश्यक प्रक्रिया इसके तहत की है।
यूडीए की 2 हजार बीघा की योजना-
उज्जैन विकास प्राधिकरण इसी क्षेत्र में भूमियों का अधिग्रहण कर विकास कर रहा है। इस क्षेत्र में करीब 2 हजार बीघा से अधिक जमीन पर विकास कार्य करते हुए योजनाओं को अंजाम दिया जाना है। यूडीए सूत्रों के अनुसार इसमें से दो योजनाओं पर अमल शुरू हो चुका है और दो योजनाएं पाईप लाईन में है।अमल की जा रही योजना में ही श्री महाकालेश्वर मंदिर की जमीन का बडा हिस्सा शामिल है जिस पर विकास कार्य को अंजाम देते हुए खुर्द बुर्द कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि विकास प्राधिकरण ने जमीन को लेकर मुआवजे के अनुमोदन का पत्र मंदिर समिति को जारी किया था लेकिन यह पत्र मंदिर समिति तक पहुंचा ही नहीं और बीच में ही पत्र पर हेरफेर कर दिया गया।योजना को लेकर विकास प्राधिकरण ने अधिग्रहण को लेकर सार्वजनिक प्रकाशन किए थे। मंदिर समिति को जानकारी के अभाव में इस पर आपत्ति समय पर नहीं की गई।
50 फीसदी विकसित भूमि मिलेगी-
विकास प्राधिकरण के सूत्र बता रहे हैं कि ली गई जमीन के कुल हिस्से में विकास कार्य करने के बाद उनके मूल नामी के पक्ष में 50 फीसदी विकसित जमीन दे दी जाएगी जिसे वे बाद में विक्रय करें या जो भी उनकी योजना हो ।
-विक्रम नगर के पीछे जमीन पर विकास काम किए जा रहे हैं। योजना कार्यपालन यंत्री राकेश गुप्ता देख रहे थे वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं अभी उनका काम किसी को सौंपा नहीं गया है। शेष मेरी जानकारी में नहीं है।
-के सी पाटीदार,कार्यपालन यंत्री,उज्जैन विकास प्राधिकरण ,उज्जैन
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