सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) का मानना है कि यदि अमित शाह और उनका दल भाजपा भगवान के बजाए डाॅ. अम्बेडकर का काम करता, यानी संविधान के अनुसार चलता, तो आज देश बहुत तरक्की कर गया होता। सोचिए यदि राम मंदिर बनाने और उसके बाद एक-एक कर अन्य मस्जिदों व मजारों की जगह मंदिर बनाने के प्रयास के बजाए यह सारी उर्जा देश से अशिक्षा दूर करने, बिमारों का इलाज कराने, बेरोजगारों को रोजगार दिलाने, जिनके साथ अन्याय हो रहा है उनको न्याय दिलाने में लगती तो देश कितना खुशहाल हुआ होता।
यदि मुसलमानों के फ्रिज में गोमांस खोजने और फिर उनको पीटने, मारने, मुस्लिम-हिन्दू प्रेम विवाहों को रोकने के लिए कानून बनाने, नागरिकता संशोधन कानून बना कर पड़ोसी देश से आए मुसलमानो को नागरिकता से वंचित रखने, खाने-पीने की दुकानों पर मालिक का नाम लिखवाने ताकि हिन्दू मुस्लिम दुकानदारों के समान न खरीदें, मुसलमानों के घर बुलडोजर से गिरवाने, मुसलमानों को हिन्दुओं के धार्मिक कार्यक्रमों, जैसे रामलीला, में शामिल होने से रोकने व हिन्दुओं को मुसलमानों व ईसाइयों के धार्मिक आयोजनों, जैसे रोज़ा इफ्तार व क्रिसमस, में शामिल होने से रोकने में अपनी उर्जा लगाने के बजाए समाज में साम्प्रदायिक सद्भावना मजबूत करने के काम में लगते तो देश का माहौल कितना शांतिपूर्ण होता।
हद तो यह हो गई्र है कि गांधी जी का प्रिय भजन ’ईश्वर, अल्लाह तेरे नाम….’ को भी सार्वजनिक रूप से गाने से पटना में रोका गया। यदि भाजपा से जुड़े अपराधियों जैसे बृज भूषण शरण सिंह, अजय मिश्र टेनी व उसके बेटे को खुली छूट देने के बजाए उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही होती तो आज देश में कानून का राज होता और महिलाएं अपने को ज्यादा सुरक्षित महसूस करतीं। यदि अडाणी, अम्बानी जैसे चहेते पूंजीपतियों को ही सारे काम दिला कर उनको दुनिया के सबसे अमीर व्यापारी बनाने के बजाए इस देश के आम नागरिक की आय बढ़ाने में ध्यान दिया गया होता तो आज भारत की प्रति व्यक्ति आय की दुनिया के देशों की सूची में 140वां स्थान न होता।
यदि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य कानूनी गारंटी के रूप में मिल जाता तो किसान रास्ते पर होने के बजाए इस देश की उत्पादकता बढ़ा रहा होता। इस देश के तमाम मेधावी व विलक्षण क्षमता वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों, प्रोफेसरों, छात्रों को गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत जेल में रखने के बजाए जमानत दी जाती तो ये सारे लोग अपने अपने तरीके से समाज के वंचित तबकों के अधिकारों की लड़ाई में शामिल होकर देश को मजबूत करने के काम में लगे होते। यदि इस देश के धार्मिक कट्टरपंथियों पर लगाम लगती तो हो सकता है पड़ोसी देशों में भी कट्टरपंथियों को प्रतिक्रिया स्वरूप बढ़ावा न मिलता। यानी यदि देश संविधान के रास्ते चलता तो आज माहौल कुछ और ही होता। देश में खुशहाली, शंाति, सद्भाव होता व पड़ोसी देशों से हमारे सम्बंध अच्छे होते।
जगरूप प्रसाद, 9125963622, मुन्नालाल, 9452755765, सलमान राइनी, 9335281976, सलीम खान, 9918964151, संतोष धरकार, 9918811384, सामाजिक न्याय मंच, सोशलिस्ट पार्टी (इ.)
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