सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में एक हलफनामा पेश कर कहा किया गया कि 2014 से पहले के मेडिकल रिकॉर्ड बहुत पुराने हैं। ऐसे में हर दिन केवल 3000 पृष्ठों को ही स्कैन किया जा सकता है। अनुमान के अनुसार, इस कार्य में लगभग 550 दिनों का समय लगेगा। कार्य प्रारंभ होने के बाद ही अंतिम समय सीमा बताई जा सकेगी।
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की मेडिकल रिपोर्ट का डिजिटलीकरण (ऑनलाइन) करने के संबंध में दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विशाल जैन की युगलपीठ ने आदेश जारी कर सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के सचिव और बीएमएचआरसी के निर्देशक को संयुक्त बैठक कर मरीजों की मेडिकल रिपोर्ट का डिजिटलीकरण करने के संबंध में अंतिम कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि अनावेदक निर्धारित बिंदुओं पर कार्य पूर्ण करने के प्रति गंभीर नहीं है। हाईकोर्ट की ओर से याचिका पर अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।
सरकार बोली- 550 दिनों का समय लगेगा
सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में एक हलफनामा पेश कर कहा किया गया कि 2014 से पहले के मेडिकल रिकॉर्ड बहुत पुराने हैं। ऐसे में हर दिन केवल 3000 पृष्ठों को ही स्कैन किया जा सकता है। अनुमान के अनुसार, इस कार्य में लगभग 550 दिनों का समय लगेगा। कार्य प्रारंभ होने के बाद ही अंतिम समय सीमा बताई जा सकेगी। इसके अलावा, एनआईसी की तरफ से ई-हॉस्पिटल परियोजना के अंतर्गत क्लाउड सर्वर की स्थापना के लिए प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, जो वित्तीय अनुमोदन के लिए वित्त विभाग के पास लंबित है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में बजट आवंटित किया जाएगा। इसके बाद स्कैन किए गए अभिलेख को उक्त सर्वर में समाहित कर दिया जाएगा। एनआईसी द्वारा दिए गए प्रस्ताव के अनुसार, सम्पूर्ण कार्य एक साल में पूर्ण किया जाएगा।
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