अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

दिल्ली वालों को महलों के लिए वोट देना है-शीशमहल या राजमहल

Share

अब यह कहना तो बड़ा मुश्किल है जी कि हमारा देश चकाचक अमेरिका टाइप का देश बन चुका है या फिर वह महलों, तख्तों, ताजों वाले मध्ययुग की ओर लौट गया है। अब साहिर साहब तो यह कह सकते थे कि यह महलों, यह तख्तों, यह ताजों की दुनिया, यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है। लेकिन हम यह कैसे कहें कि मेरे सामने से हटा लो यह दुनिया। क्योंकि फिलहाल दिल्ली वालों को इन्हीं महलों के लिए वोट देना है-शीशमहल या राजमहल। कोई कह रहा है कि देखो शीशमहल में खुल जा सिम-सिम टाइप के पर्दे हैं, सोने का कमोड है। दूसरा कह रहा है कि राजमहल में हजारों जोड़ी जूते हैं, कुर्ते और बंडियां हैं। किसी जमाने में रोमानिया के चाउसेस्कू के बाथरूमों की सोने की टूटियों की चर्चा दुनिया भर में हुई थी। फिलीपींस से भागे वहां के तानाशाह मार्कोस की पत्नी के हजारों जोड़ी सैंडिलों की चर्चा दुनिया भर में हुई थी। अब सेम टू सेम चर्चाएं हमारे यहां हो रही हैं, जिससे अपनेपन की फीलिंग तो कतई नहीं आ रही है। लगता है हम किसी और दुनिया की बात कर रहे हैं।

हमें अपना-सा तब लगता है जब मुख्यमंत्री आवास छोड़ते हुए टूटी चुराकर ले जाने की बात हो, पर्दे और सोफे ले जाने की बात हो। पहले भाजपा जब अखिलेश यादव या तेजस्वी यादव पर इस तरह के आरोप लगाती थी तो अपनेपन की फीलिंग आती थी। इससे भाजपा को फायदा भी बड़ा मिलता था। लेकिन अचानक पता नहीं भाजपा को क्या हुआ कि वह शीशमहल की बात करने लगी। वहां के पर्दों और कमोड की बात करने लगी। या तो भाजपा को यह लगा होगा कि यार कब तक टूटी चुराने की बात करते रहेंगे। चलो कुछ नया करते हैं, सोने का कमोड दिखाते हैं। उधर जब आप वाले शीशमहल-शीशमहल सुनते-सुनते तंग आ गए तो वे भी महल के बदले महल ले आए-राजमहल। हजारों जोड़ी जूतों की बात ले आए। अब करो महलों की बात।

वैसे हमने राजमहलों की बात तो खूब सुनी थी। लेकिन शीशमहल आज तक एक ही सुना था- वो जो मुगलेआजम फिल्म में था, जहां मधुबाला ने नाच-नाच कर गाया था कि प्यार किया तो डरना क्या। उसके बाद बस यही शीशमहल सुना है। वैसे न शीशमहल किसी का अपना है और न राजमहल किसी का अपना है। वो नजीर अकबराबादी ने कहा है न कि सब ठाठ पड़ा रह जाएगा-जब लाद चलेगा बंजारा। तो भैया जिस दिन पद गया उस दिन न शीशमहल इनका रहेगा और न राजमहल उनका रहेगा। तब तक महलों की बात सुन-सुनकर यह फीलिंग लेते रहिए जैसे हमारा देश चकाचक अमेरिका टाइप का देश बन गया है या फिर यह कि कहीं हम मध्ययुग वाली प्रजा ही तो नहीं हैं।

Add comment

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें