अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

मप्र में भूमि विकास नियमों में जल्द बड़े बदलाव की तैयारी

Share

भवन निर्माण में भविष्य की जरूरतों का इंतजाम  संबंधी प्रावधान किए जाएंगे

 मप्र में जमीन के साथ निर्माण की अनुमति भी ट्रांसफर हो जाएगी। अब तक जमीन खरीदने के बाद उसके लेआउट की अनुमति अलग से लेनी होती थी। अब ऐसा नहीं होगा। हालांकि यदि लेआउट प्लान बदला तो दोबारा अनुमति लेनी होगी।  दरअसल, भविष्य की जरूरतों के लिए राज्य सरकार भूमि विकास नियमों में जल्द बड़े बदलाव करेगी। इन्हें केंद्र के मॉडल बिल्डिंग बायलॉज 2016 के अनुरूप बनाया जाएगा। भवनों में इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन बनाने, बिजली के लोड का पांच प्रतिशत नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पादित करने और अग्निशमन की आधुनिक तकनीकें अपनाने संबंधी प्रावधान किए जाएंगे।

अभी तक जरूरत के अनुसार छोटे-छोटे संशोधन कर नए प्रावधान जोड़े गए हैं, लेकिन बड़े स्तर पर बदलाव नहीं हुआ है। इससे कई जरूरतें पूरी नहीं हो पा रहीं। गौरतलब है कि शहरी एवं आवासन मंत्रालय ने 2016 में मॉडल बिल्डिंग बॉयलाज बनाकर राज्यों को भेजा था। मप्र सरकार भी अपने भूमि विकास नियम 2012 को इन्हीं के अनुरूप बनाएगी। खासतौर पर पर्यावरण और स्वच्छता पर जोर दिया गया है। भवन अनुज्ञा लेते समय नए मापदंडों के अनुसार प्लान देना होगा। हाल ही में मप्र सरकार ने ईवी को बढ़ावा देने के लिए पॉलिसी जारी कर दी है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के प्रावधान वर्तमान भूमि विकास नियमों में नहीं हैं। इसके अलावा रेसीडेंशियल या कमर्शियल भवन बनाने के लिए 0.25 अतिरिक्त फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) भी मिल सकेगा। यानी लोग तय निर्माण से 25 प्रतिशत ज्यादा निर्माण कर सकेंगे। इस एफएआर के इस्तेमाल के लिए अतिरिक्त फ्लोर निर्माण की अनुमति भी मिल जाएगी। हालांकि, ये राहत ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) सर्टिफिकेट के जरिए खरीदनी पड़ेगी।
ग्रीन बिल्डिंग मापदंडों का पालन जरूरी
भूमि विकास नियमों में कई नए प्रावधान जोड़े जाएंगे। इनमें100 वर्गमीटर से ज्यादा प्लॉट साइज वाले सभी नए भवनों को ग्रीन बिल्डिंग मापदंडों के अनुसार बनाना होगा। हर 80 वर्गमीटर क्षेत्र में एक पेड़ लगाना अनिवार्य है। ऐसे भवन जो प्रतिदिन 10 हजार लीटर से अधिक पानी डिस्चार्ज करते हैं, उनमें वेस्ट वाटर री साइकलिंग सिस्टम लगाना होगा। प्लॉटेड और ग्रुप हाउसिंग में कुल बिजली के लोड का 5 फीसदी या 20 वाट प्रति वर्ग फीट रुफ टॉप सोलर सिस्टम से उत्पादित करना होगा। नर्सिंग होम, होटल, हॉस्टल, आर्मी बैरक, 150 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्र का निजी भवन, कम्यूनिटी सेंटर, मैरिज हॉल आदि में सोलर वाटर हीटिंग सिस्टम लगवाना अनिवार्य होगा। 45 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले अपार्टमेंट में आग बुझाने ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम लगाना होगा। नई बनने वाली बहुमंजिला बिल्डिंग की पार्किंग में ईवी चार्जिंग पॉइंट बनाना अनिवार्य होगा। मौजूदा भवनों में भी चार्जिंग पॉइंट बनाए जा सकेंगे। ऐसा करने वालों को प्रॉपर्टी टैक्स में छूट का प्रावधान होगा। सार्वजनिक भवनों में महिलाओं के लिए पर्याप्त अलग टॉयलेट, विजिटर्स के लिए भी अलग टॉयलेट बनाना अनिवार्य होगा।
संशोधन का ड्राफ्ट तैयार
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने भूमि विकास नियम-2012 में 5 बड़े संशोधन किए हैं। इस संशोधन का ड्राफ्ट तैयार है। इसका जल्द ही नोटिफिकेशन जारी होगा। नोटिफिकेशन के बाद दावे-आपत्ति के लिए महीनेभर का वक्त दिया जाएगा। इसके आधार पर अंतिम प्रकाशन होगा। इसके बाद सरकारी प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित जमीन पर जमीन मालिक को टीडीआर सर्टिफिकेट जारी होगा। जरूरत पडऩे पर वह पोर्टल पर टीडीआर बेच सकेंगे। यदि उस क्षेत्र की मांग ज्यादा हुई तो टीडीआर पर दाम भी ज्यादा मिल सकते हैं। ऐसे ही डेवलपर्स अपने प्रोजेक्ट में टीडीआर सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर अतिरिक्त निर्माण कर सकेंगे। विभाग ने भूमि विकास नियमों में संशोधन प्रस्तावित कर सुझाव मांगे हैं। अब विकास अनुज्ञा में भूमि का स्वामित्व बदला जा सकेगा। रेलवे परिसर से 30 मीटर के दायरे में रेलवे की सहमति से अनुज्ञा दी जा सकेगी। राष्ट्रीय राजमार्ग से भिन्न राजमार्गों पर बनने वाले पेट्रोल पंपों के लिए मापदंड तय किए गए हैं।

Add comment

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें