वक्फ बोर्ड संशोधन बिलके मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के देश भर से आए प्रतिनिधियों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन में शामिल मुसलमानों ने इसे उनकी धार्मिक आजादी में सरकार का हस्तक्षेप बताया। मुसलमान नेताओं ने केंद्र सरकार से वक्फ संशोधन बिल वापस लेने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि सरकार इसे वापस नहीं लेती है तो वे पूरे देश में सीएए-एनआरसी जैसा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। तो क्या एक बार फिर पूरे देश में शाहीन बाग जैसे धरने-प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं? प्रदर्शनकारियों ने इसी तरह के तेवर दिखाए हैं। भाजपा ने कहा है कि यह संसद की कानून बनाने की संवैधानिक शक्ति को संख्या बल के आधार पर दी जा रही चुनौती है। इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।

वक्फ पर सबसे बड़ी चिंता
वक्फ मामले पर दूसरे पक्ष के लोगों की चिंता यह है कि वक्फ नियमों की आड़ में किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति करार दे दिया जाता है। हाल ही में प्रयागराज में आयोजित हुए महाकुंभ के दौरान एक मौलाना ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि महाकुंभ जिस भूमि पर हो रहा है, वह वक्फ की जमीन है। इसी तरह दक्षिण भारत के हजारों साल पुराने गांवों को अचानक वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने से भी विवाद खड़ा हुआ था।
बदलाव से यह होगा लाभ
कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार वक्फ बो्र्ड कानून में उचित बदलाव कर इस तरह के विवादों को हमेशा के लिए समाप्त करना चाहती है। बदलावों में वक्फ की कमेटी में उचित लोगों को जगह देकर वक्फ की संपत्तियों को उचित तरीके से देखभाल करना और इसका लाभ आम मुसलमानों तक पहुंचाना शामिल है। सरकार वक्फ की संपत्तियों का डिजिटल लेनदेन रखने का फॉर्मूला भी तैयार करने का बदलाव प्रस्तावित कर सकती है जिससे किसी गलत दावे के समय सही निर्णय लिया जा सके।
इससे यह लाभ होगा कि वक्फ बोर्ड किसी की संपत्ति को गलत तरीके से कब्जा नहीं कर सकेगा, वहीं दूसरे लोग भी वक्फ की संपत्तियों को कब्जा नहीं कर सकेंगे। इस समय वक्फ बोर्ड की हजारों संपत्तियों पर दूसरे लोगों का कब्जा होने की बात कही जा रही है। नए कानून के बाद इस तरह का कोई कब्जा संभव नहीं होगा।

केंद्र सरकार ने वक्फ बिल को आम मुसलमानों के हित में बताया
वक्फ बोर्ड कमेटी के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने इस प्रदर्शन को राजनीतिक हितों का प्रदर्शन बताया है। उन्होंने कहा है कि यह सुधार वक्फ बिल में उचित बदलाव कर इसका आम मुसलमानों के हित में उपयोग करना आवश्यक है। वक्फ की संपत्तियों पर कुछ लोगों का अवैध कब्जा है। इसमें सुधार कर इन संपत्तियों का आम मुसलमानों के हित में उपयोग करना चाहिए। कानून इसी मंशा को देखकर लाया गया है।
उन्होंने इन विरोध प्रदर्शनों को अनुचित बताया और कहा कि जब वक्फ बोर्ड कमेटी के सामने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लोगों को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया था, तब वे सामने नहीं आए। ऐसे में उनका अब सार्वजनिक प्रदर्शन करना केवल राजनीति है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस बदलाव के लिए तैयार है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार अगले सप्ताह वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लोकसभा में पेश कर सकती है।
सर तन से जुदा जैसी धमकी दे रहे कुछ लोग- भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने अमर उजाला से कहा कि वक्फ बिल आम मुसलमानों के हित में है। लेकिन कुछ राजनीतिक दल जिस तरह से इस मुद्दे पर मुसलमानों को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं, वह सही नहीं है। इन लोगों को मुसलमानों के मन से भ्रम दूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके पहले सीएए-एनआरसी के मामले में भी मुसलमानों को भ्रमित किया गया था, जबकि इसमें किसी की नागरिकता छीनने जैसी कोई बात नहीं कही गई थी, लेकिन इसके बाद भी आम मुसलमानों को इस मुद्दे पर भ्रमित कर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किए गए। आज के बयान एक बार फिर उसी तरह का इशारा कर रहे हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम सिविल राइट्स के चेयरमैन मोहम्मद अदीब ने ‘वक्फ बिल पास करने पर हश्र देख लेने’ की धमकी दी है। पूनावाला ने कहा कि यह ‘सर तन से जुदा’ वाले अंदाज में वक्फ संशोधन बिल के चेयरमैन जगदंबिका पाल को दी गई धमकी है। उन्होंने कहा कि इस तरह की मानसिकता वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
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